चीन में नया संकट, प्रदूषण की जद में आया ड्रैगन, ओजोन गैस में 11 फीसद की वृद्धि
लेकिन ओजोन गैस के बढ़ते स्तर ने ड्रैगन की चिंता बढ़ा दी है। प्रदूषण से लड़ने के राष्ट्रीय प्रयासों के बावजूद इस अवधि में 11 फीसद की वृद्धि हुई है।
बीजिंग, एजेंसी । इन दिनों चीन एक नए संकट से गुजर रहा है। बीजिंग में प्रदूषण का मामला सुर्खियों में है। चीन में हाल में जारी एक रिपोर्ट में हानिकारक ओजोन गैस के बढ़ते स्तर पर चिंता जाहिर की गई है। हालांकि, चीन ने इस अवधि के दौरान अपने औसत सल्फर डाइऑक्साइड के स्तर भारी कमी लाई थी। इस हानिकारक गैस में करीब 55 फीसद की कमी देखी गई । लेकिन ओजोन गैस के बढ़ते स्तर ने ड्रैगन की चिंता बढ़ा दी है। प्रदूषण से लड़ने के राष्ट्रीय प्रयासों के बावजूद इस अवधि में 11 फीसद की वृद्धि हुई है।
रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
एक वर्ष पूर्व चीन की एक रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए थे। इस रिपोर्ट में दिखाया गया था कि हर साल चीन में वायु प्रदूषण से 16 लाख लोगों की मौत होती है। यह चीन में कुल मौतों का 17 फीसद है। बीजिंग में कोयला खनन अौर स्टील उत्पादन के कारण धुंध काफी गहरी हो जाती है। इससे आकाश सलेटी दिखने लगता है। चीन के एक कोने दूसरे कोने तक धुंध छा जाता है। इससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
आजेन प्रदूषण की समस्या
आजोन के प्रदूषण के कारण वर्ष 2016 में चीन में करीब 70 हजार लोगों की वक्त से पहले मौत हो गई थी। ओजोन अल्ट्रावॉयलट रेडिएशन को रोकर पृथ्वी पर जीवन की सुरक्षा करती हैं। धरती पर ओजोन गैसों की वृद्धि से सांस संबंधी बीमारियां उत्पन्न होती हैं। इससे लोगों का वक्त से पहले मौत हो जाती है। नाइट्रोजन ऑक्साइड और वोलाटाइल ऑर्गेनिक कंपाउंडस् के बीच सूरज की रोशनी के रहते केमिकल रिएक्शन के कारण ओजोन बनती है। हालांकि चीन ने पिछले कई वर्षों से प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए बड़े कदम उठाए हैं। प्रदूषण की मात्रा बढ़ने पर सरकार फैक्ट्रियों को बंद करने में कोई कोताई नहीं बरतती है। कोयले पर निर्भर बिजली बनाने वाली फैक्ट्रियों को बंद किया गया है।
चीनी शहरों में वायु प्रदूषण
प्रदूषण के मामले में कभी चीन की स्थिति भारत जैसी हुआ करती थी। महज सात साल पहले चीन के 90 फीसद शहरों में प्रदूषण का स्तर मानकों से ज्यादा था। इससे प्रतिवर्ष लाखों लोग काल कवलित होते थे। चीन ने इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाए और आज उसके शहरों की वायु गुणवत्ता काफी हद तक सुधर गई। भारत के अब तक के कदम कारगर नहीं साबित हुए।