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ब्रिक्स बैंक ने भारत को दिया एक अरब डॉलर का कर्ज, कोरोना से लड़ने में मिलेगी मदद

ब्रिक्स देशों के न्यू डेवलपमेंट बैंक (New Development Bank) ने कोरोना से लड़ने के लिए भारत को एक अरब डॉलर का कर्ज (emergency assistance loan) दिया है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 13 May 2020 04:16 PM (IST)Updated: Wed, 13 May 2020 04:42 PM (IST)
ब्रिक्स बैंक ने भारत को दिया एक अरब डॉलर का कर्ज, कोरोना से लड़ने में मिलेगी मदद
ब्रिक्स बैंक ने भारत को दिया एक अरब डॉलर का कर्ज, कोरोना से लड़ने में मिलेगी मदद

बीजिंग, पीटीआइ। ब्रिक्स देशों के न्यू डेवलपमेंट बैंक (New Development Bank) ने कोरोना महामारी से लड़ने के लिए भारत को एक अरब डॉलर की आपातकालीन सहायता कर्ज राशि (emergency assistance loan) दी है। समाचार एजेंसी पीटीआइ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस रकम का इस्तेमाल महामारी से होने वाले मानवीय, सामाजिक और आर्थिक नुकसान (social and economic losses) को कम करने के लिए किया जाएगा। शंघाई स्थित एनडीबी (Shanghai based NDB) की स्थापना ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) ने साल 2014 में की थी। मौजूदा वक्‍त में इसका नेतृत्व दिग्गज भारतीय बैंकर केवी कामथ (KV Kamath) कर रहे हैं।  

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मालूम हो कि न्यू डेवलपमेंट बैंक (New Development Bank) के निदेशक मंडल ने बीते 30 अप्रैल को इस आपातकालीन सहायता कर्ज राशि (emergency assistance loan) को मंजूरी दी थी। इस लोन का मकसद कोरोना महामारी के कारण होने वाले मानवीय, सामाजिक और आर्थिक नुकसान को कम करना है। बैंक के उपाध्यक्ष और मुख्य परिचालन अधिकारी झेन झू ने अपने बयान में कहा कि एनडीबी इस संकट के दौर में अपने सदस्य देशों की मदद करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हमने भारत को तत्काल अनुरोध पर तेजी से कार्रवाई करते हुए आपातकालीन सहायता कार्यक्रम ऋण (Emergency Assistance Program Loan) को मंजूरी दी है।

उल्‍लेखनीय है कि पीएम मोदी ने मंगलवार को कोरोना संकट से प्रभावित भारत की अर्थव्‍यवस्‍था को गति देने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। साथ ही भावी कदमों का संकेत दिया था कि वह आने वाले वर्षों में ना सिर्फ देश के समूचे आर्थ‍िक ढांचे को बदलने वाला होगा बल्कि इसका व्यापक कूटनीतिक असर भी देखने को मिल सकता है। साल 1991 में आर्थिक सुधारों के बाद पहली बार देश के किसी पीएम ने 'लोकल' स्तर पर मैन्यूफैक्चरिंग की इतनी जोरदार तरीके से वकालत की और इसे आम जनजीवन के मूल मंत्र के तौर पर स्थापित करने का नारा दिया। उन्होंने चीन से सशंकित वैश्विक समुदाय के सामने भारत को एक मजबूत औद्योगिक निर्माण स्थल के विकल्प के तौर पर पेश करते हुए यह भी जता दिया कि 21वीं सदी में भारत अपनी बड़ी भूमिका निभाने को तैयार है।  


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