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ओमान की खाड़ी में ईरान के साथ चीन और रूस की नौसेनाएं करेंगी संयुक्त सैन्य अभ्यास

चीन ने इस अभ्यास में मिसाइल से लैस युद्धपोत शिनिंग को भी शामिल किया है। संयुक्त अभ्यास में इस्तेमाल होने वाले अन्य हथियारों और उपकरणों के बारे में चीन ने बताने से इन्कार कर दिया।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Thu, 26 Dec 2019 09:05 PM (IST)Updated: Thu, 26 Dec 2019 09:13 PM (IST)
ओमान की खाड़ी में ईरान के साथ चीन और रूस की नौसेनाएं करेंगी संयुक्त सैन्य अभ्यास
ओमान की खाड़ी में ईरान के साथ चीन और रूस की नौसेनाएं करेंगी संयुक्त सैन्य अभ्यास

बीजिंग, एएफपी। ईरान, चीन और रूस की नौसेनाएं ओमान की खाड़ी में शुक्रवार से चार दिवसीय संयुक्त सैन्य अभ्यास करने जा रही हैं। ईरान के साथ चीन और रूस का यह सैन्य अभ्यास ऐसे वक्त पर हो रहा है जब अमेरिका के साथ इस इस्लामिक देश के रिश्ते बेहद खराब हैं। ईरान के खिलाफ पूर्व में तय समझौते से हटते हुए अमेरिका उस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगा चुका है।

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चीन के विदेश मंत्रालय ने तीनों देशों के इस संयुक्त नौसैनिक अभ्यास को सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा बताया। वहीं चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वु कियान ने कहा, इसका लक्ष्य तीनों देशों की नौसेना के बीच सहयोग और आपसी अदला-बदली को बढ़ाना है। चीन ने इस अभ्यास में मिसाइल से लैस युद्धपोत शिनिंग को भी शामिल किया है। संयुक्त अभ्यास में इस्तेमाल होने वाले अन्य हथियारों और उपकरणों के बारे में चीन ने बताने से इन्कार कर दिया।

समुद्र में भारत की मुश्किलें बढ़ा सकता है चीन

बता दें कि चीन ने हाल ही में अपना दूसरा और पहला स्‍वदेशी विमानवाहक पोत समुद्र में उतारा है। यह चीन के लिए जहां बड़ी उपलब्धि है वहीं भारत के लिए चिंता की बात है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि भारत के पास वर्तमान में केवल एक ही विमानवाहक पोत है, जिसको भारत ने रूस से वर्ष 2004 में 974 मिलियन डॉलर में खरीदा था। समस्‍या ये भी है कि आईएनएस विक्रमादित्‍य रूस की नौसेना में एडमिरल गोरशॉव के नाम से कई वर्षों तक सेवाएं दे चुका है। यह विमानवाहक पोत करीब 44,500 टन वजनी है। भारत के लिए इसको अपग्रेड किया गया है, इसके बावजूद यह सच्‍चाई है कि ये करीब एक दशक पुराना विमानवाहक पोत है।

वहीं भारत के लिए दूसरी चिंता की बात ये भी है कि चीन ने अपनी नौसेना में वर्ष 2049 तक दस विमानवाहक पोत शामिल करने की योजना बना रखी है। भारत के लिए तीसरी बड़ी चिंता नौसेना चीफ एडमिरल करमबीर सिंह के उस बयान से सामने आ गई है जिसमें उन्‍होंने कम से कम तीन विमानवाहक पोत की तुरंत जरूरत बताई है। उनका कहना है कि तीन विमानवाहक पोत होने पर हम कम से कम दो को हमेशा चालू रख सकते हैं। उनके मुताबिक ये विमानवाहक पोत 65 हजार टन वजनी होने के साथ-साथ इलेक्‍ट्रामैग्‍नेटिक प्रप्‍लशन से युक्‍त होने चाहिए।


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