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जानें कोरोनावायरस से बचाव के लिए अलग-अलग देश अपना रहे कैसी रणनीति

कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए अलग-अलग देश अलग-अलग तरह की रणनीति अपना रहे हैं जिससे वो उसकी दूसरी और तीसरी लहर से बच सकें।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Thu, 25 Jun 2020 01:11 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jun 2020 01:25 PM (IST)
जानें कोरोनावायरस से बचाव के लिए अलग-अलग देश अपना रहे कैसी रणनीति
जानें कोरोनावायरस से बचाव के लिए अलग-अलग देश अपना रहे कैसी रणनीति

नई दिल्ली, न्यूयॉर्क टाइम्स न्यूज सर्विस। दुनियाभर के देश कोरोनावायरस के प्रकोप से परेशान है। ऐसे में अब अलग-अलग देशों की ओर से कोरोनावायरस से बचाव के लिए अलग-अलग तरह के कदम भी उठाए जा रहे हैं। चीन, साउथ कोरिया, ब्राजील, जर्मनी जैसे देशों ने अपने यहां कोरोनावायरस से बचाव के लिए नियम तय कर दिए हैं, अब लोगों को इन्हीं नियमों का पालन करते हुए काम करना है। जिससे इसके फैलाव को रोका जा सके। 

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चीन में कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए रेस्टोरेंट वर्करों, डिलीवरी ब्वॉय को वहां की सोसायटियों में ब्लॉक टू ब्लॉक जाकर सर्वे किया जा रहा है। उधर साउथ कोरिया ने अपने यहां के नागरिकों को कोरोनावायरस से बचने के लिए अपने साथ दो मास्क रखने के लिए कहा है जिससे वो अपने आसपास की परिस्थितियों के अनुसार उसे इस्तेमाल कर सकें। यदि वो किसी अधिक भीड़भाड़ वाली जगह पर जा रहे हैं तो उनको वायरस से बचने के लिेए अधिक बेहतर मास्क इस्तेमाल करना चाहिए।

जर्मनी इस संक्रमण की कड़ी तोड़ने के तहत लोगों को जागरूक कर रहा है, वहां सरकार अपील कर रही है कि लोग खुद से ही सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें जिससे संक्रमण फैलने का खतरा कम रहे। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिन जॉनसन ने कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए अलग ही रणनीति तय कर रखी है। वो खुद भी कोरोनावायरस के संक्रमण का शिकार हुए थे, कुछ दिनों तक अस्पताल में गुजारा था उसके बाद वापस काम पर लौट सके थे। बोरिस जॉनसन ने जो रणनीति बनाई है उसे वहां की भाषा में "Whac-A-Mole" कहते हैं। उनका कहना है कि लोग नियमों का पालन करते रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे। इसके अलावा दूसरा कोई रास्ता फिलहाल नहीं है। 

कोरोनावायरस से बचाव के लिए देशों ने लॉकडाउन को अपनाया जिससे उसका प्रसार रोका जा सके। मगर अब चीन में दुबारा से कोरोनावायरस के मरीज पाए गए, उसके बाद से बाकी देशों ने अब कोरोनावायरस की दूसरी और तीसरी लहर से बचाव के लिए भी रास्ते तलाशने शुरू कर दिए हैं।

साउथ कोरिया ने कोरोना से बचाव के लिए एक नई स्ट्रेटजी अपनाई। उसने हर दिन जिंदगी को क्वारंटीन बताया। इस देश ने अपने यहां सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन को कभी सख्ती से लागू नहीं किया। इसी के साथ कोरिया ने रोजाना 50 कोरोना संक्रमितों का पता लगाने और अपने यहां मौजूद स्वास्थ्य प्रणाली के तहत उनका इलाज किया। तमाम तरह के उपाय किए जाने की वजह से ही कोरिया में संक्रमण के कम मामले देखने को मिले।

राजधानी सियोल में संक्रमण की दूसरी लहर फैलने से रोकने के लिए निर्देश दिए गए। यहां अधिकारियों ने लोगों को सार्वजनिक परिवहन में यात्रा करने के दौरान मास्क पहनने के लिए कहा। कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए दो सप्ताह के लिए सार्वजनिक सुविधाओं को बंद कर दिया गया था। कोरिया में कंपनियों के कर्मचारियों को एक सीध में बैठने की जगह जिगजैग अंदाज में बैठने की सलाह दी गई। एयर कंडीशनर को वेंटिलेशन बढ़ाने के लिए हर दो घंटे में बंद करवा दिया गया। 

इसके अलावा लोगों को गर्मियों में दो तरह के मास्क ले जाने की भी सलाह दी गई, जैसे - सर्जिकल मास्क और हैवी-ड्यूटी मास्क। ये मास्क स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा पहने गए N95 रेस्पिरेटर मास्क के समान है। इस मास्क का इस्तेमाल अधिक भीड़भाड़ वाले इलाके में करने की सलाह दी गई। जापान ने अपने इलाके में केवल सीमित समय के लिए लॉकडाउन किया। जापान ने भी अपनी अर्थव्यवस्था को फिर से शुरू कर दिया है, साथ ही लोगों को ये सलाह भी दी है कि वो कोरोना से बचाव के लिए खुद भी जागरूक रहें।

अब जापान ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, थाईलैंड और वियतनाम के यात्रियों को अपने यहां टूरिज्म पर आने के लिए अनुमति देने पर विचार कर रहा है। प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने कहा कि जापान अपनी सीमाओं को बंद रखने का जोखिम नहीं उठा सकता है, इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच रहा है चूंकि जापान एक पर्यटक देश है इस वजह से उड़ानें बंद करने और मार्केट बंद करने से काफी नुकसान होता है।

पिछले शुक्रवार को जापान ने एक संपर्क ट्रेसिंग ऐप लॉन्च किया जो उपयोगकर्ताओं को सचेत करेगा यदि वे पिछले 14 दिनों में सकारात्मक परीक्षण करने वाले व्यक्ति के संपर्क में थे। रेलवे ऑपरेटरों ने यात्रियों को यह बताते हुए एक ऐप और वेबसाइट लॉन्च की है कि किसी समय ट्रेनों में कितनी भीड़ होती है। वो उसी हिसाब से उस ट्रेन में यात्रा कर सकते हैं। जिससे कोरोना संक्रमित न हों।  


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