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उइगर मुस्लिमों पर जुल्‍म ढाने वाले चीन के खिलाफ वकीलों ने खोला मोर्चा, ICC से लगाई यह गुहार

वकीलों के एक समूह ने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत में अभियोजकों को साक्ष्यों का एक डोजियर पेश करते हुए कहा है कि वैश्विक अदालत उइगर आबादी पर चीन की ओर से ढाए जा रहे गंभीर अपराधों की जांच करे।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 10 Jun 2021 05:28 PM (IST)Updated: Thu, 10 Jun 2021 05:59 PM (IST)
उइगर मुस्लिमों पर जुल्‍म ढाने वाले चीन के खिलाफ वकीलों ने खोला मोर्चा, ICC से लगाई यह गुहार
उइगर आबादी पर जुल्‍म ढाने वाले चीन के खिलाफ लामबंदी बढ़ती जा रही है।

द हेग, एपी। उइगर आबादी पर जुल्‍म ढाने वाले चीन के खिलाफ लामबंदी बढ़ती जा रही है। वकीलों के एक समूह ने अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत (International Criminal Court) में अभियोजकों को साक्ष्यों का एक डोजियर पेश करते हुए कहा है कि वैश्विक अदालत उइगर आबादी पर चीन की ओर से ढाए जा रहे गंभीर अपराधों की जांच करे। वकीलों ने कहा- इन सुबूतों से यह साबित होता है कि वैश्विक अदालत को उन आरोपों की जांच कर सकती है कि चीन उइगर आबादी को निशाना बनाने के गंभीर अपराध में शामिल रहा है। 

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अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार वकीलों के समूह ने चीन के उइगर मुस्लिमों के खिलाफ अत्याचारों की हेग स्थित अदालत से जांच शुरू करने की गुजारिश की है। चीन इस अदालत का सदस्य नहीं है। वकीलों ने अपने बयान में कहा है कि उनके डोजियर में यह बात साबित होती है कि चीन में उइगर मुस्लिमों को निशाना बनाया गया। चीन की ओर से उनको बंदी बनाया गया और ताजिकिस्तान से चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत में प्रत्यर्पण कराया गया।

वकीलों के इस समूह की दलील थी कि चीन के प्राधिकारियों ने ताजिकिस्तान में सीधा दखल दिया। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक अदालत (International Criminal Court, ICC) के पास इन आरोपों पर सुनवाई करने का अधिकार है। वकीलों ने आईसीसी अभियोजकों से बिना किसी देरी के इन गंभीर आरोपों की जांच करने को कहा। वकीलों का कहना था कि उनकी रिपोर्ट आईसीसी सदस्य ताजिकिस्तान समेत विभिन्न देशों में गवाहों के बयान और जांच पर आधारित है।

वहीं एक शोध में कहा गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा मानने के चलते चीन उइगर मुस्लिमों की आबादी का धीमा नरसंहार कर रहा है। चाइना स्टडीज के एड्रियन जेंज और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक कानून में विशेषज्ञता वाले वकील एरिन रोसेनबर्ग ने लिखा है कि उइगरों में जन्मदर रोककर चीन इस समुदाय का नरसंहार कर रहा है। दुनिया के कम से कम पांच देशों की सरकारों का भी यही मानना है।


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