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जानिए चीन से सटे ताइवान ने कौन से कदम उठाकर अपने को कोरोना वायरस की महामारी से बचाया

चीन से सटे ताइवान ने कोरोनावायरस की गंभीरता को समझते हुए पहले ही एहतियाती कदम उठा लिए जिसके कारण उनके यहां पीड़ितों की संख्या 50 से ऊपर नहीं पहुंच सकी।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 03:37 PM (IST)Updated: Sun, 15 Mar 2020 12:43 AM (IST)
जानिए चीन से सटे ताइवान ने कौन से कदम उठाकर अपने को कोरोना वायरस की महामारी से बचाया
जानिए चीन से सटे ताइवान ने कौन से कदम उठाकर अपने को कोरोना वायरस की महामारी से बचाया

बीजिंग। चीन के वुहान और हुबेई प्रांत से शुरू हुआ कोरोनावायरस का संक्रमण अब 132 देशों तक पहुंच चुका है। चीन के बाद अब इटली और ईरान में इससे सबसे अधिक मौतें हो चुकी हैं मगर एक बड़ा सवाल ये भी उठ रहा कि चीन से सटे ताइवान ने ऐसा क्या किया जिसकी वजह से कोरोना वहां के लिए महामारी नहीं बन सका। डोएचेवेले की रिपोर्ट के अनुसार जहां चीन में मौतों और संक्रमित होने वालों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है वहीं ताइवान में इस पर रोक लगी हुई है। वायरस पर कंट्रोल के लिए सेना की बटालियन को छिड़काव के लिए उतार दिया गया। स्कूलों में सभी को मास्क पहनकर आना अनिर्वाय कर दिया गया। 

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दुनिया के बाकी देशों में तो अब तक कोरोना संक्रमण के हजारों मामले सामने आ चुके हैं मगर चीन से सटे होने के बावजूद ताइवान में मात्र 50 मामले ही सामने आए थे जिस पर वहां के मंत्रालय ने एहतियाती कदम उठाते हुए काबू पा लिया। अब दुनिया का हर देश ये जानना चाह रहा है कि आखिर चीन से सटे होने के बावजूद ताइवान ने ऐसा क्या-क्या काम किया जिसकी वजह से उनके यहां ऐसे मामलों में बढ़ोतरी नहीं हुई और किसी के मरने की भी खबर नहीं आई।

जानकार मानते थे कि चीन के बाद ताइवान में ही मिलेंगे सबसे अधिक मामले 

जनवरी माह में चीन में कोरोनावायरस का संक्रमण शुरू हुआ था, उसी समय जानकारों ने उम्मीद जताई थी कि चीन से सटे सभी शहर इसका शिकार होंगे और वहां मौतों का आंकड़ा काफी रहेगा। चीन के बाद सबसे ज्यादा मामले ताइवान में ही देखने को मिलेंगे लेकिन चीन में जहां 80 हजार से भी ज्यादा मामले सामने आए हैं वहीं ताइवान ने इसे सिर्फ 50 मामलों पर ही रोक रखा है। स्वास्थ्य महकमे के जानकारों का कहना है कि ताइवान ने जिस फुर्ती के साथ वायरस की रोकथाम के लिए कदम उठाए, यह उसी का नतीजा है। 

सार्स एपिडेमिक के बाद बनाया नेशनल हेल्थ कमांड सेंटर 

अमेरिका की स्टैनफॉर्ड यूनिवर्सिटी के डॉक्टर जेसन वैंग का कहना है कि ताइवान ने बहुत जल्दी मामले की गंभीरता को पहचान लिया था। साल 2002 और 2003 में सार्स एपिडेमिक के बाद ताइवान ने नेशनल हेल्थ कमांड सेंटर स्थापित किया, ताइवान को अहसास हो गया था कि कोरोना अगली महामारी बनेगी, इसी को ध्यान में रखते हुए पहले से तैयारी कर ली गई। 

यात्रा पर लगा दिया बैन 

चीन में जैसे ही कोरोना पीड़ितों के मामले बढ़ने लगे ताइवान ने अपने यहां के नागरिकों पर चीन, हांगकांग और मकाउ जाने पर बैन लगा दिया। इतना ही नहीं, ताइवान की सरकार ने सर्जिकल मास्क के निर्यात पर भी रोक लगा दी ताकि देश में इसकी कमी ना हो सके। उसी का नतीजा रहा कि वहां मास्क कम नहीं हुए, हालात खराब नहीं होने पाए। वैंग बताते हैं कि सरकार ने अपने संसाधनों को बहुत सोच समझ कर इस्तेमाल किया। ताइवान की सरकार ने नेशनल हेल्थ इंश्योरेंश, इमिग्रेशन और कस्टम के डेटा को कलेक्ट किया, लोगों की ट्रैवल हिस्ट्री को इससे जोड़कर मेडिकल अधिकारी पता लगा पाए कि किन-किन लोगों को संक्रमण हो सकता है, उसके बाद उसी हिसाब से उपाय किए गए। 

ऐप भी कर दिए तैयार 

यहां तक कि ताइवान की सरकार ने ऐसे कुछ ऐप भी तैयार किए जिनके जरिए लोग देश में प्रवेश करते वक्त क्यूआर कोड को स्कैन कर अपने लक्षण और अपनी यात्राओं की जानकारी दे सकें। इसी के बाद इन लोगों के फोन पर मैसेज भेजा जाता जिसे वे कस्टम अधिकारियों को दिखाते। अधिकारी इस तरह से पहचान कर पाते कि किसे प्रवेश करने देना है और किस पर नजर रखनी है।

वैंग बताते हैं कि नई तकनीक की मदद से ताइवान की सरकार बहुत कुछ करने में सफल हो पाई। ना केवल सरकार ने अपना काम संजीदगी से किया, बल्कि ताइवान की जनता ने भी अपनी सरकार का साथ दिया। उन्हें जो भी निर्देश दिए गए, लोगों ने उनका पालन किया। ऐसा नहीं किया कि उनको बीमारी का अहसास हो रहा हो और वो सार्वजिनक जगहों पर जाकर दूसरों को उससे प्रभावित कर रहे हो।

सार्स के दौरान लोगों को बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, वो चीजें उन लोगों के मन में ताजा थीं, इससे लोगों में सामाजिक एकजुटता का अहसास हुआ। उन्होंने इस बात को समझा कि इस मुश्किल घड़ी में वे सब एक साथ हैं और इसलिए सरकार जो कह रही है, उसे मानना ही सही है, ऐसा किए जाने की वजह से कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद मिली। 

ताइवान ने बायोमेडिकल रिसर्च में किया निवेश  

पिछले कुछ दशकों में ताइवान ने बायोमेडिकल रिसर्च में बहुत निवेश किया है। कोरोनावायरस कोविड-19 के मामले में भी सरकार बहुत जल्द वायरस को टेस्ट करने के सेंटर बनाने में कामयाब रही। अब वहां की टीम ऐसे टेस्ट पर काम कर रही है जिसके जरिए महज 20 मिनट में पता चल सकेगा कि टेस्ट किए गए व्यक्ति में कोरोना है या नहीं। यह अपने आखिरी चरण में है। ताइवान सरकार का मकसद ये भी है कि वो ऐसी किट तैयार कर लें जिससे लोग खुद अपने घर पर ही ये जांच कर पाएं कि उनको कोरोना का संक्रमण है या नहीं।

एक बात ये भी जानने योग्य है कि ताइवान विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)का हिस्सा नहीं है। मगर वर्तमान में जो हालात दुनिया भर में दिख रहे हैं उसको लेकर ताइवान अपने यहां कोरोनावायरस के संक्रमण को रोकने के लिए उठाए गए कदमों को साक्षा कर रहा है।  


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