एससीओ में गूंजी महिला मंत्रियों की आवाज, आतंकवाद पर पाकिस्तान को घेरा
एससीओ देशों के रक्षामंत्रियों की बैठक में सीतारमण ने कहा कि अच्छा आतंकवाद और बुरा आतंकवाद जैसा कुछ नहीं है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन से पहले उससे जुड़ी एक तैयारी बैठक में शामिल होने के लिये विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण चीन में है। मंगलवार को दोनों नेताओं ने आतंकवाद पर पाकिस्तान की घेरेबंदी की। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा कि आतंकवाद मूल मानवाधिकारों का दुश्मन है, और आतंक के खिलाफ लड़ाई में ऐसे देशों की पहचान करने की भी जरूरत है जो उसे बढ़ावा, समर्थन और धन देते हैं। तो सीतारमण ने कहा कि राजनीतिक सुविधा के लिए ऐसे लोगों का समर्थन करना जो आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े हैं अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
एससीओ देशों के रक्षामंत्रियों की बैठक में सीतारमण ने कहा कि अच्छा आतंकवाद और बुरा आतंकवाद जैसा कुछ नहीं है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री खुर्रम दास्तगीर खान की उपस्थिति में सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे को उठाते हुए सीतारमण ने कहा कि आतंकवाद के लिए कोई समर्थन अब सहनशील नहीं है। भारत और अफगानिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी समूहों को सुरक्षित आश्रय देने के लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया।
बता दें कि हक्कानी नेटवर्क ने अफगानिस्तान में अमेरिकी हितों के खिलाफ कई अपहरण और हमले किए हैं। इस समूह को अफगानिस्तान में भारतीय हितों के खिलाफ कई घातक हमलों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, जिसमें 2008 में काबुल में भारतीय मिशन पर बमबारी में 58 लोगों की मौत हो गई थी। उन्होंने कहा, 'सालाना सात से आठ फीसदी की दर से विकसित होती अर्थव्यवस्था के साथ एक युवा और सक्रिय भारत एससीओ में शामिल हुआ है और सहयोग के नए दौर में प्रवेश करना चाहता है।
एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक को संबोधित करते हुए सुषमा ने वैश्रि्वक आतंकवाद और संरक्षणवाद का मुद्दा उठाया। विदेश मंत्री ने कहा कि आज दुनिया के सामने कई चुनौतियां हैं। सबसे बड़ी चुनौती वैश्रि्वक आतंकवाद है और उससे लड़ने के लिए तुरंत मजबूत सुरक्षा ढांचा तैयार करने की जरूरत है।
गौरतलब है कि सुषमा ने इस दौरे पर अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मुलाकात की। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों पर और रिश्तों में सुधार के लिए उच्च स्तरीय संवाद की गति को तेज करने पर चर्चा की थी। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 27-28 अप्रैल को चीन दौरे पर रहेंगे। इस दौरान पीएम मोदी की चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी मुलाकात होनी तय है।