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चीन को झटका, बीआरआइ प्रोजेक्ट को भारत का समर्थन देने से इन्कार

18वें शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि पड़ोसी देशों के साथ संपर्क भारत की प्राथमिकता है।

By Manish NegiEdited By: Published: Sun, 10 Jun 2018 08:53 PM (IST)Updated: Mon, 11 Jun 2018 11:13 AM (IST)
चीन को झटका, बीआरआइ प्रोजेक्ट को भारत का समर्थन देने से इन्कार
चीन को झटका, बीआरआइ प्रोजेक्ट को भारत का समर्थन देने से इन्कार

क्विंगदाओ (चीन), प्रेट्र/आइएएनएस। चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) प्रोजेक्ट का भारत ने रविवार को एक बार फिर समर्थन करने से इन्कार कर दिया। सम्मेलन के संयुक्त घोषणा पत्र के मुताबिक भारत को छोड़कर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सभी सदस्यों ने चीन के इस प्रोजेक्ट का समर्थन किया है। भारत और पाकिस्तान ने पहली बार पूर्ण सदस्य के रूप में इस सम्मेलन में शिरकत की।
एससीओ के 18वें शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि पड़ोसी देशों के साथ संपर्क भारत की प्राथमिकता है। भारत ऐसी संपर्क परियोजनाओं का स्वागत करता है जो टिकाऊ, पारदर्शी और सक्षम हों। चीन के बीआरआइ प्रोजेक्ट का परोक्ष उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि देशों को आपस में जोड़ने वाली बड़ी परियोजनाएं ऐसी हों जो देशों की संप्रभुता और राष्ट्रीय अखंडता का सम्मान करें। उल्लेखनीय है कि भारत चीन की इस परियोजना का लगातार कड़ा विरोध करता रहा है क्योंकि यह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से होकर गुजरती है। हालांकि, मोदी ने क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए संपर्क को एक महत्वपूर्ण कारक बताया। मोदी ने कहा कि हम एक बार फिर उस पड़ाव पर पहुंच गए हैं जहां भौतिक और डिजिटल संपर्क भूगोल की परिभाषा बदल रहा है। इसलिए हमारे पड़ोसियों और एससीओ क्षेत्र में संपर्क हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि भारत एससीओ को हर तरह का सहयोग देना पसंद करेगा, क्योंकि यह समूह भारत को संसाधनों से परिपूर्ण मध्य एशियाई देशों से दोस्ती बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।

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संपर्क का मतलब समझाया
चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मौजूदगी में परिवहन कॉरिडोर के माध्यम से संपर्क स्थापित करने के महत्व को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि संपर्क का मतलब सिर्फ भौगोलिक जुड़ाव से नहीं है बल्कि यह लोगों का लोगों से जुड़ाव भी होना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत की यह प्रतिबद्धता अंतरराष्ट्रीय उत्तर दक्षिण कॉरिडोर परियोजना में उसके शामिल होने, चाबहार बंदरगाह के विकास और अश्गाबत अनुबंध से भी झलकती है। अश्गाबत अनुबंध भारत, ईरान, कजाकिस्तान, ओमान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान के बीच अंतरराष्ट्रीय परिवहन व पारगमन कॉरिडोर के निर्माण के लिए अप्रैल 2016 में हुआ है। अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर भारत, ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबेजान, रूस, मध्य एशिया व यूरोप के बीच सामानों की आवाजाही के लिए 7200 किमी लंबी मल्टी मोड परिवहन परियोजना है।

'सिक्योर' की गढ़ी नई परिभाषा
प्रधानमंत्री ने एससीओ सदस्य देशों से एक-दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करने और आर्थिक वृद्धि, संपर्क सुविधाओं के विस्तार और आपस में एकता के लिए काम करने का आह्वान किया। उन्होंने अंग्रेजी के शब्द 'सिक्योर' के रूप में एक नई अवधारणा रखी। इसमें 'एस' से आशय नागरिकों की सिक्योरिटी (सुरक्षा); 'ई' से इकोनॉमिक डेवलपमेंट (आर्थिक विकास); 'सी' से क्षेत्र में कनेक्टिविटी (संपर्क); 'यू से यूनिटी (एकता); 'आर' से रेसपेक्ट फॉर सवरेंटी एंड इंटिग्रिटी (संप्रभुता और अखंडता का सम्मान) और 'ई' से तात्पर्य (एंवॉयर्नमेंटल प्रोटेक्शन) पर्यावरण सुरक्षा है।

अफगानिस्तान को सराहा, पाक पर निशाना
अफगानिस्तान में गड़बड़ियां फैलाने के लिए प्रधानमंत्री ने अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान की आलोचना भी की। मोदी ने कहा, 'क्षेत्र के सभी देशों को उन भावनाओं की कद्र करनी चाहिए जिसके तहत राष्ट्रपति (अफगानिस्तान) गनी ने शांति के लिए साहसिक कदम उठाए हैं। यह सुनिश्चित करना हमारी साझा जिम्मेदारी है कि अफगानिस्तान की संप्रभुता और सुरक्षा को खतरा पहुंचाने वाले कारणों की पुनरावृत्ति न हो।' भारत और अफगानिस्तान दोनों ने पाकिस्तान पर अपने देशों में आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाया।

आसानी से बढ़ा सकते हैं पर्यटन
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों में से केवल छह प्रतिशत एससीओ के सदस्य देशों से आते हैं। उन्होंने कहा कि हमारी साझा संस्कृतियों के बारे में जागरूकता फैलाकर हम इसे (पर्यटकों की संख्या) आसानी से बढ़ा सकते हैं।

चिनफिंग ने किया एससीओ को मदद का एलान
सम्मेलन के दौरान अपने संबोधन में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने संयुक्त परियोजनाओं के लिए एससीओ को 30 अरब युआन यानी 4.7 अरब डॉलर का ऋण देने की भी घोषणा की। एससीओ में अभी आठ सदस्य देश हैं जो दुनिया की करीब 42 प्रतिशत आबादी और वैश्विक जीडीपी के 20 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करते हैं। 


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