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एशिया पैसिफिक में पैर पसार रहे चीन का भारत को करना होगा विरोध: रिपोर्ट

शिनजियांग में चीनी गतिविधियों व हांगकांग पर चीनी हस्तक्षेपों पर भारत ने कभी कुछ नहीं बोला न हस्तक्षेप की कोशिश की है। लेकिन एशिया पैसिफिक में पैर पसार रहे बीजिंग पर बोलना होगा...

By Monika MinalEdited By: Published: Thu, 23 Jul 2020 08:55 AM (IST)Updated: Thu, 23 Jul 2020 08:55 AM (IST)
एशिया पैसिफिक में पैर पसार रहे चीन का भारत को करना होगा विरोध: रिपोर्ट
एशिया पैसिफिक में पैर पसार रहे चीन का भारत को करना होगा विरोध: रिपोर्ट

हांगकांग, एएनआइ। हाल में सीमा पर चीन की गतिविधियों के कारण भारत अपनी नीतियों पर दोबारा से सोचने को मजबूर और विवश हो गया है। साथ ही अन्य एशिया पैसिफिक देशों (Asia-Pacific nations) के लिए भारत बोलने की तैयारी कर रहा है जिसकी वजह से इस क्षेत्र में नई दिल्ली का प्रभाव कम हो गया है। मंगलवार को साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट में प्रकाशित विश्लेषण में द डिप्लोमैट के लेखक और फ्रीडम गैजेट के एडिटर इन  चीफ मोहम्मद जीशान ने कहा,'कोविड-19 के कारण चरमराई अर्थव्यवस्था और इस साल होने वाले चुनाव के मद्देनजर अमेरिका का क्षेत्र से वापसी की संभावना बरकरार है।'

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नई दिल्ली बीजिंग के आंतरिक राजनीतिक व संवेदनशील मामलों में हस्तक्षेप को लेकर हमेशा सतर्क रही है और हस्तक्षेप करने से बचती रही है यहां तक कि एक बार चीन  ने भारत में कॉन्फ्रेंस  करने की योजना बनाई थी और भारत की ओर से इसमें सहयोग दिया गया और इसमें शामिल होने वालों के  लिए वीजा की स्वीकृति भी दी। लेकिन बीजिंग की ओर से इवेंट रद किए जाने के बाद भारत सरकार ने वीजा कैंसल कर दिया था।  यह 2016 की बात है।  लंबे समय से इस क्षेत्र में भारत अन्य देशों की जियो पॉलिटिकल चिंताओं को स्पष्ट करता आया है और सतर्क भी रहा है। वहीं  नई दिल्ली ने वियतनाम जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय सैन्य सहयोग को आगे बढ़ाया और  आम तौर पर राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दों पर चुप रहा है।

क्षेत्र में बीजिंग से परेशान एकमात्र देश भारत नहीं है। दक्षिण चीन सागर की बात करें तो जुलाई में वियतनाम और फिलीपींस ने पैरासेल आइलैंड के पास चीनी सेना की ड्रिल पर चेतावनी जारी की थी। कुछ दिनों पहले मलेशिया ने कहा था कि चीन ने पिछले चार सालों के दौरान इसके अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की। बता दें कि भारत को चीन पर इस बात का संदेह है कि कड़ी निगरानी के बावजूद भारतीय बाजार में चीनी सामानों की सप्लाई जारी है और ऐसा एशियाई देशों के जरिये हो रहा है। भारत का कहना है कि मुक्त व्यापार समझौते के कारण ऐसा हो सकता है।  


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