उइगर मुस्लिमों पर चीन को घेरने के लिए 15 देशों ने बनाया ये मास्टर प्लान
15 देशों के राजदूत इस बैठक में उइगर मुस्लिमों के कथित मानवाधिकार उल्लंघन पर स्पष्टीकरण की मांग करेंगे।
बीजिंग, रायटर/प्रेट्र। चीन के शिंजियांग क्षेत्र में उइगर मुस्लिमों के मानवाधिकार हनन के मसले पर अमेरिका और 15 अन्य पश्चिमी देश बीजिंग को घेरने की तैयारी कर रहे हैं। कनाडा के नेतृत्व में 15 पश्चिमी देशों के राजदूतों ने शिंजियांग में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख चेन क्वांगुओ के नाम एक पत्र लिखकर मुलाकात का अनुरोध किया है। इस बैठक का उद्देश्य उइगर मुस्लिमों के कथित मानवाधिकार उल्लंघन पर स्पष्टीकरण की मांग करना है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह पत्र भेज दिया गया है अथवा नहीं। वहीं, इसी मुद्दे पर अमेरिका में सत्तारूढ़ और विपक्षी पार्टियों के दर्जनभर से अधिक सीनेटरों और दस सांसदों के शक्तिशाली समूहों ने चीन के खिलाफ विधेयक पेश किए हैं। इनमें चीन के खिलाफ कुछ प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव किया गया है।
अगस्त में संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार समिति ने कहा था, उसे कई विश्वसनीय रिपोर्टे मिली हैं जिनके मुताबिक चीन में 10 लाख से ज्यादा उइगर मुस्लिमों को बेहद गुप्त तरीके से बड़े नजरबंदी शिविरों में रखा गया है। इसके बाद से चीन मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और विदेशी सरकारों के निशाने पर है।
राजदूतों द्वारा लिखे पत्र के मसौदे के मुताबिक, इसे सीधे चेन क्वांगुओ को संबोधित किया गया है। चेन क्षेत्र के उइगर गवर्नर शोहरत जाकिर से पद में बड़े हैं। पत्र में राजदूतों ने शिंजियांग क्षेत्र को लेकर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। पत्र के मुताबिक, 'स्थिति को बेहतर तरीके से समझने और अपनी चिंताओं पर चर्चा के लिए हम आपके साथ आपकी सुविधानुसार बैठक करने का अनुरोध करते हैं।' इस पत्र की प्रति चीन के विदेश मंत्रालय, जनसुरक्षा मंत्रालय और कम्युनिस्ट पार्टी के अंतरराष्ट्रीय विभाग को संदर्भित की गई है। पत्र पर कनाडा के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, स्विटजरलैंड, यूरोपीय यूनियन, जर्मनी, नीदरलैंड, आस्ट्रेलिया, आयरलैंड, स्वीडन, बेल्जियम, नार्वे, एस्टोनिया, फिनलैंड और डेनमार्क के राजदूतों के नाम हैं।
कनाडा के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर शिंजियांग प्रांत में उइगर और अन्य मुस्लिमों को हिरासत में रखे जाने और उनकी सामूहिक निगरानी पर गहरी चिंता व्यक्त की है। लेकिन इस बयान में राजदूतों द्वारा लिखे पत्र का कोई जिक्र नहीं है। आस्ट्रेलियाई विदेश मंत्रालय ने भी इसी तरह का बयान जारी किया है। हालांकि चीन की संभावित नाराजगी के मद्देनजर बाकी देशों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं की है।
उधर, अमेरिका में सत्तारूढ़ रिपब्लिकन पार्टी और विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी के दर्जनभर से अधिक सीनेटरों के एक शक्तिशाली समूह ने सीनेट में और 10 सांसदों के समूह ने हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिट में चीन के खिलाफ विधेयक पेश किए हैं। इनमें चीन पर अमेरिकी क्षेत्र में अमेरिकी नागरिकों और कानूनी तौर पर स्थानीय नागरिकों (एलपीआर) को धमकाने का भी आरोप लगाया गया है। सीनेटर बॉब मेनेंनडेज ने कहा कि उइगर मुस्लिमों के साथ चीन का सुलूक घृणित से भी ज्यादा है।
उन्होंने कहा, 'राष्ट्रपति (ट्रंप) को चीन के प्रति अपना रुख साफ और एक जैसा रखना चाहिए और उन्हें इस बात की अनदेखी नहीं करनी चाहिए कि एक निरंकुश शासन के तहत लाखों मुस्लिमों को अन्यायपूर्वक बंदी बनाया गया है और उन्हें जबरन श्रमिक शिविरों में रखा गया है।' मालूम हो कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की इसी महीने के आखिर में अर्जेटीना में जी-20 सम्मेलन से इतर मुलाकात होनी है।
चीन ने कहा, विदेशी राजदूतों ने किया वियना समझौते का उल्लंघन
चीन ने गुरुवार को कहा कि 15 विदेशी राजदूतों ने उइगर मुस्लिमों के मसले पर पत्र जारी कर वियना समझौते का उल्लंघन किया है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि राजदूतों को अन्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर राजदूत उत्तर पश्चिम क्षेत्र शिंजियांग में स्थानीय अधिकारियों पर दबाव बनाने की मंशा से जाना चाहते हैं तो इससे समस्या हो सकती है। हुआ ने कहा कि कनाडा के नेतृत्व में इसी हफ्ते जारी कथित पत्र सुनी-सुनाई बातों पर आधारित है।