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युद्ध के मुहाने पर खड़े चीन-फ‍िलीपींस: ड्रैगन को जवाब देने के लिए सेना आत्‍मघाती मिशन के लिए रेडी

दरअसल यह विवादित द्वीप दक्षिण सागर में सामरिक और आर्थिक रूप से बेहद उपयोगी है। इ‍सलिए चीन की नजर इस पर रहती है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Fri, 05 Apr 2019 10:52 AM (IST)Updated: Fri, 05 Apr 2019 01:16 PM (IST)
युद्ध के मुहाने पर खड़े चीन-फ‍िलीपींस: ड्रैगन को जवाब देने के लिए सेना आत्‍मघाती मिशन के लिए रेडी
युद्ध के मुहाने पर खड़े चीन-फ‍िलीपींस: ड्रैगन को जवाब देने के लिए सेना आत्‍मघाती मिशन के लिए रेडी

मनीला, जागरण स्‍पेशल। दक्ष्‍ािण सागर में एक विवादित द्वीप पाग-असा पर चीनी दस्‍तक से बीजिंग और फ‍िलीपींस के बीच तनाव बढ़ गया है। फ‍िलीपींस के  राष्‍ट्रपति रोड्रिगो दुतेर्ते ने गुरुवार को बीजिंग को आगाह करते हुए कहा कि उसे यहां से तत्‍काल वापस चले जाना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि चीन का यह कदम सैन्‍य कार्रवाई को उकसाने वाला है। बता दें कि इस सप्‍ताह मनीला में स्थित पैग आसा द्वीप पर सैकड़ों चीनी तटरक्षक और मछुआरों की हलचल ने दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा था। इसके बाद इस विवादित द्वीप पर चीनी सक्रियता ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है। आइए हम आपको बताते हैं इस विवादित द्वीप का पूरा सच। आखिर क्‍यों है चीन की इसमें दिलचस्‍पी।
आत्‍मघाती मिशन के लिए तैयार फ‍िलीपींस की सेना
फ‍िलीपींस के राष्‍ट्रपति ने कहा कि 'इस बाबत मैं न तो चीन से निवेदन करूंगा और न ही विनती। मैं यह कहना चाहूंगा कि हमारी सेना वहां मौजूद है। अगर चीन इस विवादित द्वीप का छूता है तो मेरे मेरे समक्ष केवल यही विकल्‍प है कि मैं अपने सैनिकों को आत्‍मघाती मिशन के लिए तैयार होने के लिए कहूंगा।' राष्‍ट्रपति ने आगे कहा कि मैं यह भी जानता हूं कि चीन के साथ युद्ध निरर्थक होगा और फ‍िलीपींस इस युद्ध में हार जाएगा और उसे भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। उधर, फ‍िलीपींस के विदेश विभाग ने अपने एक बयान में कहा है कि चीनी जहाजों की मौजुदगी फ‍िलीपींस की संप्रभुता का सरासर उल्‍लंघन है।

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ड्रैगन की नजर विवादित द्वीप पर क्‍यों
सवाल यह है कि आखिर ड्रैगन की नजर इस द्वीप पर क्‍यों है। यह कहा जा सकता है चीन की इस विवादित द्वीप पर दिलचस्‍पी अनायास नहीं है। हम आपको बताते हैं कि चीन की दिलचस्‍पी की बड़ी वजहें। दरअसल, यह विवादित द्वीप दक्षिण सागर में सामरिक और आर्थिक रूप से बेहद उपयोगी है। इ‍सलिए चीन की नजर इस पर रहती है। इस द्वीप के समीप से गुजरने वाले जलमार्ग से खरबों डाॅलर का व्‍यापार होता है। यह द्वीप व्‍यापार और निवेश को आकर्षित करता है। इसके अलावा दक्षिण चीन सागर का समृद्ध पेट्रोलियम भंडार इनके लिए आकर्र्षण का केंद्र रहा है। इसके अलावा इस द्वीप का सामरिक उपयोग भी है। खासकर इस द्वीप की भौगा‍ेलिक स्थिति को देखते हुए यह चीन के लिए बेहद उपयोगी है।

 मनीला के पक्ष में अतंरराष्‍ट्रीय समुद्री न्‍यायाधिकरण का फैसला
दक्षिण चीन सागर के विभिन्‍न द्वीपों पर चीन के साथ फ‍िलीपींस, ब्रुनेइ मलेशिया, ताइवान और वियतनाम पर अपने-अपने दावे करते रहे हैं। इसके साथ जलमार्ग पर उनके उसी तरह के दावे रहे हैं। हालांकि, अतंरराष्‍ट्रीय समुद्री न्‍यायाधिकरण ने वर्ष 2016 में यह फैसला सुनाया था कि इस विवादित द्वीप चीन का कोई कानूनी अधिकार नहीं है। यह फ‍िलीपींस का हिस्‍सा है। यह मनीला की बड़ी जीत थी। लेकिन गाहे बगाहे इस द्वीप पर विवाद करता रहा है।
विवादों के द्वीप, कई देशों के दावे
दरअसल, दक्षिणी चीन के समुद्र में तेल और गैस से समृद्ध कई द्वीप हैं। लेकिन इनमें से ज़्यादातर सीमा विवाद में उलझे हुए हैं। इन द्वीपों पर चीन के अलावा वियतनाम समेत कई देश दावेदारी करते हैं। मसलन, वियतनाम परासल द्वीप पर दावा ठोकता रहा है। इस द्वीप पर 1974 में चीन ने कब्जा किया था। स्प्राट्ली द्वीप पर भी वियतनाम और चीन दावा करते रहे हैं। जून, 2007 में ब्रिटिश कंपनी बीपी ने वियतनाम और स्प्राट्ली द्वीप के बीच में मौजूद ब्लॉक पर तेल खोजने की योजना रद कर दी थी। कंपनी ने इसकी वजह वियतनाम और चीन के बीच इस समुद्री इलाके के स्वामित्व को लेकर चल रहे विवाद को वजह बताया था। 

 


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