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विरोध प्रदर्शन के डर से चीन ने कोरोना महामारी के बीच पर्यटकों के लिए तिब्बत को फिर से खोला

चीन विरोधी प्रदर्शनों के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करने के चलते चीन ने कोरोना वायरस महामारी (COVID-19 Pandemic) के बावजूद मार्च में पर्यटकों के लिए तिब्बत को खोल दिया था। इस क्षेत्र के फिर से खोलने के कारण कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया।

By TaniskEdited By: Published: Fri, 04 Dec 2020 10:20 AM (IST)Updated: Fri, 04 Dec 2020 10:20 AM (IST)
विरोध प्रदर्शन के डर से चीन ने कोरोना महामारी के बीच पर्यटकों के लिए तिब्बत को फिर से खोला
चीन विरोधी प्रदर्शनों के चलते चीन ने तिब्बत को खोल दिया।

ताइपे, एएनआइ। चीन ने कोरोना वायरस महामारी (COVID-19 Pandemic) के बावजूद मार्च में पर्यटकों के लिए तिब्बत को खोल दिया और क्षेत्रीय पर्यटक अर्थव्यवस्था के तेजी से वृद्धि का दावा किया। यह कदम चीन विरोधी प्रदर्शनों के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित करने के बाद उठाया गया। द ताइवान टाइम्स ने कहा कि 9 अक्टूबर को 1.88 मिलियन घरेलू और विदेशी पर्यटक आए। इस बात पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि यह चीनी सरकार द्वारा इस क्षेत्र के फिर से खोलने के कारण कोरोना वायरस का पहला और एकमात्र मामला यहां देखा गया था। संक्रमित व्यक्ति वुहान का था। यह वही शहर है जहां से इस वायरस की उत्पत्ति हुई। 

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द ताइवान टाइम्स के अनुसार, चीन द्वारा टीएआर के पर्यटन क्षेत्र को फिर से खोलने के लिए तेजी दिखाने के पीछे कई कारण हैं। इनमें से एक प्रमुख कारण इस क्षेत्र में बढ़ती अस्थिरता के चलते सुरक्षा चिंताएं हैं। चीनी सरकार ने अक्सर टीएआर में अपनी दमनकारी नीतियों का बचाव करने के लिए 'क्षेत्र के आर्थिक विकास' के बहाने का इस्तेमाल किया है। प्राथमिक नीति दिशा के रूप में 'विकास और स्थिरताट के साथ, सरकार ने इस क्षेत्र में आर्थिक विकास के लिए भारी निवेश करना शुरू किया। इसके परिणामस्वरूप तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र, चीन में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में उभर कर राष्ट्रीय विकास दर को पार कर गया। 

ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट के अनुसार चीन में टीएआर सबसे कम विकसित क्षेत्र

एक ओर यह क्षेत्र सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन रहा है, लेकिन ह्यूमन डेवलपमेंट रिपोर्ट के अनुसार चीन में टीएआर सबसे कम विकसित क्षेत्र है। चूंकि राज्य नीति का मुख्य उद्देश्य क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखना है, इसलिए निर्माण क्षेत्र और सार्वजनिक प्रबंधन और सामाजिक संगठनों को सबसे बड़ी जीडीपी हिस्सेदारी के साथ देखना कोई आश्चर्य की बात नहीं है। क्षेत्र की कुल जीडीपी शेयर का लगभग 50 प्रतिशत। इन दोनों क्षेत्रों में भारी निवेश के कारण एग्रो-पासटोरल डॉमिनेटेड इकोनॉमी से सर्विस-लेड इकोनॉमी तक में क्षेत्र का संरचनात्मक परिवर्तन हुआ है।


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