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चीन में होगा दलाई लामा के उत्तराधिकारी का फैसला, भारत को लेकर कही ये बात

दलाई लामा के उत्तराधिकारी का फैसला चीन में होगा। इस मामले में भारत का किसी तरह का हस्तक्षेप दोनों देशों के रिश्तों पर असर डालने वाला होगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 14 Jul 2019 10:15 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jul 2019 10:15 PM (IST)
चीन में होगा दलाई लामा के उत्तराधिकारी का फैसला, भारत को लेकर कही ये बात
चीन में होगा दलाई लामा के उत्तराधिकारी का फैसला, भारत को लेकर कही ये बात

बीजिंग, प्रेट्र। दलाई लामा के उत्तराधिकारी का फैसला चीन में होगा। इस मामले में भारत का किसी तरह का हस्तक्षेप दोनों देशों के रिश्तों पर असर डालने वाला होगा। बौद्ध धर्मगुरु को लेकर यह बात चीन के शीर्ष अधिकारियों ने कही है।

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दोनों देशों के बीच के इस संवेदनशील मसले पर चीन के किसी बड़े अधिकारी ने पहली बार अपनी जुबान खोली है। तिब्बत के उप मंत्री स्तर के अधिकारी वांग नेंग शेंग ने कहा है कि दलाई लामा के अवतार को चीन की सरकार स्वीकृति आवश्यक होगी। अवतार का चुनाव भी चीन के भीतर से ही होगा।

यह 200 साल पुरानी ऐतिहासिक परंपरा है। दलाई लामा का पुनर्जन्म एक ऐतिहासिक, धार्मिक और राजनीतिक मसला है। वर्तमान दलाई लामा भी चीन की स्वीकृति से बने थे और उनके उत्तराधिकारी के लिए भी चीन की मान्यता आवश्यक होगी। वांग ने ल्हासा की यात्रा पर गए भारतीय पत्रकारों से यह बात कही है। वांग तिब्बत स्वायत्तशासी क्षेत्र के चीन द्वारा नियुक्त महानिदेशक हैं।

हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में 1959 से निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे 14 वें दलाई लामा अब 84 साल के हो गए हैं। हाल के वर्षो में उनके स्वास्थ्य में निरंतर गिरावट आई है। इसके चलते उनके उत्तराधिकारी को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा का उत्तराधिकारी हमेशा उनके गुणों के आधार पर चुना जाता है।

धर्मगुरु के खास गुण किसी खास बच्चे में मिलने पर धार्मिक विद्वानों की समिति नए दलाई लामा के बारे में निर्णय लेती है। वांग ने कहा, दलाई लामा के पुनर्जन्म के विषय में फैसला कोई एक व्यक्ति या विदेश में रहने वाला कुछ लोगों का समूह नहीं कर सकता। यह कार्य प्रक्रिया के तहत और परंपरा के अनुसार पूरा किया जाएगा।

वांग के सुर में सुर मिलाते हुए बीजिंग स्थित तिब्बत मामलों के शोध संस्थान के निदेशक झा लुओ ने कहा है कि स्थापित प्रक्रिया में बदलाव की कोई भी भारतीय कोशिश दोनों देशों के संबंधों पर असर डालेगी। अगर भारत चीन की मान्यता वाले दलाई लामा के रास्ते में बाधा खड़ी करता है तो स्थिति बिगड़ेगी।


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