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जानिए किन हालातों में कितने समय तक जीवित रह सकता है कोरोना का वायरस

चीन में वैज्ञानिकों ने एक शोध की है जिसमें ये पता लगाया गया है कि कोराना का वायरस किस जगह पर कितने समय तक जीवित रह सकता है। शोध के अनुसार हवा में तीन घंटे तक ये वायरस जीवित रहेगा।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 01:33 PM (IST)Updated: Tue, 17 Mar 2020 12:21 PM (IST)
जानिए किन हालातों में कितने समय तक जीवित रह सकता है कोरोना का वायरस
जानिए किन हालातों में कितने समय तक जीवित रह सकता है कोरोना का वायरस

बीजिंग। पूरी दुनिया चीन से फैले कोरोनावायरस से परेशान है। अब तक इससे मौतों का आंकड़ा 3100 को पार कर चुका है। दुनिया भर में लाखों लोग इस वायरस के संक्रमण का शिकार है। वैज्ञानिक इस वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए नित नई खोजों में भी लगे हुए हैं। चीन के ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इस बीच एक नया शोध सामने आया है, इस शोध में इस बात की खोज की गई है कि कोरोनावायरस किस जगह पर कितने समय तक जीवित रह सकता है और लोगों को प्रभावित कर सकता है।

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अमेरिका, चीन, स्पेन और इटली सहित कई देश बड़े पैमाने पर इन दिनों कोरोनावायरस के संक्रमण का शिकार हैं, वहां वैश्विक इमरजेंसी घोषित कर दी गई है। सभी मॉल्स, स्कूल, कालेज बंद कर दिए गए हैं। आपात स्थिति घोषित कर दी गई है उसी हिसाब से उस देश में मेडिकल सेवाओं को बढ़ा दिया गया है। अस्पतालों में आइसोलेशन बेड बना दिए गए हैं जिससे यदि ऐसा कोई मरीज सामने आए तो उसको तत्काल इलाज दिया जा सके।

दो दिन पहले 11 मार्च को medRxiv में एक स्टडी प्रकाशित हुई है। इसी में कहा गया है कि कोरोना का वायरस खुली सतहों में अधिकतम तीन घंटे तक रह सकता है। उसके बाद वो दो से तीन दिनों तक प्लास्टिक और स्टेनलेस स्टील की सतहों पर जीवित रह सकता है। शोध में यह भी दावा किया गया है कि वायरस तांबे की सतहों पर चार घंटे और कागज की सामग्री पर अधिकतम 24 घंटे तक जीवित रहने में सक्षम है। हालांकि इस शोध की अभी तक दोबारा से समीक्षा नहीं की गई है।

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार वुहान के एक वायरोलॉजिस्ट, यांग झानकियू ने कहा कि कोरोनावायरस के जीवित रहने पर वहां का तापमान, सतह का प्रकार और वातावरण की नमी पर निर्भर करता है। इसी के आधार पर ये कहा जा सकता है कि COVID-19 वायरस विभिन्न वस्तुओं की सतह पर कितने समय तक जीवित रह सकता है। यांग के अनुसार COVID-19 मुख्य रूप से बूंदों, एक दूसरे से संपर्क और वायु मंडल में ट्रांसमिशन के माध्यम से अधिक फैल रहा है।

उनका कहना है कि यदि इस वायरस के अनुकूल माहौल रहता है तो ये वायरस कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक सतह पर बना रह सकता है। वैसे दूसरे देशों के वैज्ञानिक भी इस तरह की शोध करने में लगे हुए हैं। कुछ देशों के वैज्ञानिक इस वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए उसके टीके की खोज करने के लिए भी काम कर रहे हैं। 

कोरोना वायरस से जहां पूरी दुनिया के करीब 124 देश प्रभावित है। शुक्रवार को जारी एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसका सबसे पहला मामला पिछले साल 17 नवंबर को चीन के हुबेई प्रांत में सामने आया था। यहीं से बाद में कई और मामले भी सामने आए। चीनी अधिकारियों ने अब तक कम से कम 266 लोगों की पहचान की है जो 2019 में संक्रमित थे।

हांगकांग स्थित साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट ने बताया कि सभी 266 व्यक्ति चिकित्सा निगरानी में थे। सरकारी आंकड़ों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि COVID-19 से पीड़ित चीन के पहले मामले का 17 नवंबर को पता लगाया जा सकता था। हुबेई प्रांत का एक 55 वर्षीय व्यक्ति पिछले साल 17 नवंबर को वायरल संक्रमण होने वाला पहला व्यक्ति हो सकता है। तब से तेजी से मामले सामने आने लगे थे, हालांकि, इस बात का खुलासा नहीं किया गया है कि वह महिला थी या पुरुष बिना जेंडर बताए इसका खुलासा किया गया था। हुबई प्रांत 23 जनवरी तक कोरोनवायरस के लिए एक युद्ध का मैदान बन गया।

चीन में अब तक COVID-19 कोरोना वायरस के कुल 67,786 मामलों की पुष्टि की गई है। स्थानीय स्वास्थ्य आयोग ने शुक्रवार को कहा कि हुबेई की राजधानी वुहान, ग्राउंड ज़ीरो, में अब तक 49,991 पुष्ट मामले दर्ज किए गए हैं, जिसमें 2,436 मौतें शामिल हैं। वैज्ञानिकों को COVID -19 के प्रारंभिक पैटर्न को मैप करने की कोशिश की गई। क्योंकि, जनवरी में आते-आते यह एक महामारी के रुप में फैल गया था। फैलने के दो महीने पहले एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन गया था। वैज्ञानिक ये समझना चाहते थे कि आखिर ये बीमारी फैली कैसे। 17  नवंबर के बाद से रोजाना 15 मामले सामने आ रहे है। 15 दिसंबर तक ये आंकड़ा बढ़कर 17 हो गया था। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 20 दिसंबर तक पुष्ट मामलों की संख्या 60 हो गई थी।  


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