COVID-19: चीन में कोरोना पर लगभग काबू मगर बाकी दुनिया की बढ़ती जा रही परेशानी
चीन में बीते कुछ दिनों से कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी आ रही है मगर इटली में रोजाना मरने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है।
नई दिल्ली, आन लाइन डेस्क। चीन के दो प्रांतों से शुरू हुआ कोरोना का कहर अब पूरी दुनिया में दिख रहा है। अब चीन में रोजाना आने वाले मामलों में कमी आ रही है मगर कुछ देशों में ये काफी तेजी से फैल रहा है और वहां मौतों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। चीन के बाद अब इटली में रोजाना मरने वालों का आंकड़ा बढ़ गया है। बीबीसी और एएनआइ के आंकड़ों के अनुसार इटली में कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आकर अब तक कुल 3,405 लोगों की मौत हो चुकी है। कोविड-19 की वजह से होने वाली मौतों का यह आंकड़ा किसी भी अन्य देश से ज्यादा है।
दुनियाभर में 2 लाख 20 हजार मामले
दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण मामलों की संख्या कुल संख्या अब 2, 20,000 तक पहुंच चुकी है और मौतों का आंकड़ा 9,000 के पार हो चुका है। वहीं, सिंगापुर ने चीन से सबक लेकर जिस तरह कोरोना वायरस के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखी है, उसकी काफी तारीफ हो रही है। सिंगापुर उन देशों में से एक है जहां वायरस का संक्रमण सबसे पहले पहुंचा था।
हालांकि सिंगापुर पूरी मुस्तैदी से संक्रमित व्यक्तियों का पता लगाने और संक्रमण की कोशिशों में जुटा है, यहां तक कि वहां इस काम के लिए 'कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग' और जासूसों का इस्तेमाल किया जा रहा है। गुरुवार को इटली में कोरोना संक्रमण से मौत के 427 मामले दर्ज किए गए, वहीं शुक्रवार को ये बढ़कर 626 तक पहुंच गए। चीन में कोरोना की वजह से होने वाली कुल मौतों का आधिकारिक आंकड़ा 3,245 है हालांकि इस आंकड़े पर पूरी तरह से विश्वास नहीं किया जा रहा है। वैसे चीन में संक्रमण के कुल मामलों की संख्या (81,000) अब भी इटली से ज्यादा (41,035) है। इटली में 12 मार्च से ही लॉकडाउन है, पहले लॉकडाउन को 25 मार्च तक जारी रखे जाने की योजना थी लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए इसे बढ़ा दिया गया है। इस शहर में सभी चीजें बंद है।
इटली में रोजाना बढ़ रहे मौत के आंकड़ें
इटली के प्रधानमंत्री गुजेपे कॉन्टे का कहना है कि कोरोना से बचाव के लिए सख्त कदम उठाए जाने जरूरी हैं। उन्होंने ये भी कहा कि देश की जनता से लॉकडाउन के नियमों का सख्ती से पालन करने के लिए कहा जा रहा है जिससे संक्रमण पर कुछ हद तक रोक लग सके। लॉकडाउन के नियम इतनी सख्ती से लागू किए जा रहे हैं कि यदि कोई किसी स्थिति में घर से निकलता है और पकड़ा जाता है। उससे इसके लिए प्रमाण मांगा जाता है यदि वो संतोषजनक जवाब नहीं दे पाता है तो उसे जेल भी भेजा जा सकता है। इन दिनों इटली के हालात इतने अधिक खराब है कि लोग बॉलकनी में खड़े होकर और अपने घर की छतों पर जाकर तालियां बजाकर एक दूसरे की हौसला अफजाई कर रहे हैं और हौसला बनाए रखने को कह रहे हैं।
लॉकडाउन के बावजूद बढ़ रही मौतें
इटली में पूरी तरह से लाकडाउन है उसके बाद भी यहां मौत के आंकड़ों में कमी नहीं हो रही है। यहां मरीज इस कदर बढ़ रहे हैं कि अस्पतालों में बिस्तर कम पड़ गए हैं और शवों को दफनाने के लिए सेना को लगाना पड़ा है। अस्पतालों में बेड कम होने की वजह से एक समस्या ये भी है कि डॉक्टर ये तय नहीं कर पा रहे हैं कि किस मरीज का इलाज करें और किसे छोड़ दें। ये एक अलग समस्या उनके सामने पैदा हो रही है।
5200 आईसीयू
इटली में करीब 5,200 इंटेंसिव केयर बेड हैं। चूंकि इन दिनों वहां का मौसम सर्द है इस वजह से मौसमी बीमारियों से पीड़ित लोग भी अस्पताल पहुंचे हैं उनका भी वहां इलाज चल रहा है। आमतौर पर जंग में इस तरह के हालात पैदा होते हैं कि अस्पताल में तमाम तरह के मरीज आते हैं।
उबर रहा है चीन
इसके उलट संक्रमण के केंद्र चीन में नागरिकों के बीच गुरुवार को कोई नया मामला नहीं दर्ज किया गया। संक्रमण फैलने के बाद ये पहली बार है जब चीन में कोई नया मामला सामने नहीं आया। चीन के लिए यह एक महत्वपूर्ण पड़ाव है हालांकि चीन में 34 ऐसे नए मामले उन लोगों में दर्ज किए गए जो हाल ही में विदेश से वापस लौटे हैं। यानि एक तरफ चीन जहां कोरोना से धीरे-धीरे उबरने लगा है वहीं इटली अब भी इससे बुरी तरह जूझ रहा है। संक्रमण के केंद्र चीन ने कोरोना से लड़ने के लिए कई अभूतपूर्व कदम उठाए थे।
इन उपायों में पूरे हूबेई प्रांत और यहां रहने वाले 5.6 करोड़ लोगों को क्वारंटाइन करने (घर से बाहर निकलने और किसी से मिलने जैसी पाबंदियां लगाना) और इस वायरस की चपेट में आए लोगों के इलाज के लिए महज 10 दिनों में एक अस्थायी अस्पताल का निर्माण करना शामिल था। इन कदमों से चीन में यह वायरस काबू में आता दिखा लेकिन बाकी की दुनिया में यह दो सप्ताहों में ही 13 गुना बढ़ गया।
चीन से क्या सीख सकती है दुनिया?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रमुख टेड्रस एडॉनम ने कोरोना वायरस को एक पैनडेमिक (एक ऐसी महामारी जो दुनिया के बड़े हिस्से में फैल चुकी हो) घोषित करते हुए कहा कि इससे निबटने के लिए 'दुनिया भर के देशों को तत्काल और आक्रामक कदम' उठाने चाहिए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के सलाहकार डॉक्टर ब्रूस अलवार्ड का कहना है कि दुनिया ने चीन के अनुभव के असली सबक को अभी तक नहीं सीखा है। उन्हें समझाया गया है कि यह कितना गंभीर है, वो सरकार के साथ मिलकर उठाए गए कदमों के प्रभावी होने के लिए काम कर सकें।