सरकारों की लालफीताशाही की वजह से डायमंड प्रिंसेज क्रूज बना कोरोनावायरस की फैक्ट्री
डायमंड क्रूज पर कोरोनावायरस के मरीजों की संख्या बढ़ने की एक बड़ी वजह सरकारों की लालफीताशाही भी मानी जा रही है। जब इस शिप पर मरीज पाए गए तो उनका इलाज समय पर नहीं शुरू किया गया।
बीजिंग। चीन के कोरोनावायरस ने पूरे देश में दहशत फैला रखी है। इससे मरने वालों की संख्या अब दो हजार से अधिक हो चुकी है। 72000 से अधिक लोग इससे संक्रमित है। हर दिन कहीं न कहीं के नागरिक इसकी चपेट में आ रहे हैं और मरने वालों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
अब एक बात ये भी सामने आ रही है कि सरकारों की लालफीताशाही के चलते डायमंड प्रिंसेज क्रूज पर मौजूद 3,700 लोगों में से 600 लोग इसकी चपेट में आए और इनकी संख्या में इजाफा होता गया। जब तक क्रूज पर मौजूद लोगों के बीच फैल रहे कोरोनावायरस को गंभीरता से लिया गया तब तक देर हो गई। क्रूज पर मौजूद हजारों लोगों के बीच दहशत फैलने लगी, वो इसके शिकार होने लगे।
दरअसल कोरोनावायरस को संक्रमित होने वाली बीमारी बताया जा रहा था। लोग एक दूसरे के संपर्क में आने से ही इसके शिकार हो रहे थे। क्रूज पर मौजूद लोगों ने बताया कि जब क्रूज पर मौजूद लोगों की तबियत खराब होने लगी तो उनकी ठीक तरह से देखभाल नहीं शुरू की गई। क्रूज पर कोरोनावायरस से निपटने या उससे बचाव की जानकारी देने के लिए कोई एक्सपर्ट डॉक्टर मौजूद नहीं था।
जब ये पता चला कि क्रूज पर कोरोनावायरस के मरीज हैं तो उनको तुरंत इलाज नहीं मिल पाया। नौकरशाहों ने क्रूज को कई दिनों तक समुद्र में रोककर रखने के आदेश दिए। इस दौरान क्रूज पर मौजूद लोगों के बीच कोरोना फैलता गया। एक के बाद एक लोग इस बीमारी की चपेट में आते गए। ये कहा जाए कि क्रूज कोरोना की फैक्ट्री बन गया तो कोई गलत नहीं होगा।
क्रूज पर मौजूद एक नागरिक ने इसका एक वीडियो भी बनाया और उसे सोशल मीडिया पर शेयर किया। डेलीमेल वेबसाइट पर ये वीडियो अपलोड किया गया है। इसमें वो बोल रहा है कि जब क्रूज पर कोरोना के मरीज का पता चला तो उसे सही तरीके से इलाज नहीं दिया गया। उसकी तबियत खराब होती रही और उसे खुले में रखा गया। इस दौरान कोरोना के वायरस फैलते गए। इन दिनों जिस तरह से चीन के वुहान और हुबेई में कोरोनावायरस के मरीजों को अलग वार्ड में रखकर इलाज किया जा रहा है, उस तरह की कोई सुविधा यहां मौजूद नहीं थी। जिसकी वजह से हालात इतने खराब हुए।
यदि क्रूज पर कोरोनावायरस का मरीज पाए जाने के साथ ही उसके इलाज का काम शुरू कर दिया जाता और उसे अलग रख दिया गया होता तो क्रूज पर सवार इतने लोग इसके शिकार नहीं होते, बल्कि इनकी संख्या और भी कम होती। क्रूज पर कोरोना के मरीजों की बढ़ी संख्या के लिए सरकारों की लालफीताशाही ही पूरी तरह से जिम्मेदार है। इस क्रूज पर तमाम देशों के नागरिक सवार थे। जब देशों के विदेश मंत्रालय को अपने नागरिकों के क्रूज पर फंसे होने की जानकारी मिली तो उन्होंने बचाव के लिए काम शुरू किया। कई देशों के नागरिकों को विमान से लेकर जाया जा चुका है तो कई का अस्पताल में इलाज चल रहा है।
वायरस कहां से आया है?
डेलीमेल की खबर और वहां के वैज्ञानिकों के अनुसार, वायरस निश्चित रूप से चमगादड़ से आया है। जानवरों में कोरोनाविरस की उत्पत्ति मूल रूप से होती है - इसी तरह के SARS और MERS वायरस क्रमशः सिवेट कैट और ऊंटों में उत्पन्न हुए हैं। सीओवीआईडी -19 के पहले मामले शहर के एक जीवित पशु बाजार में जाने या काम करने वाले लोगों से आए थे, जिन्हें जांच के लिए बंद कर दिया गया है। हालांकि बाजार आधिकारिक तौर पर एक समुद्री भोजन बाजार है, लेकिन अन्य मृत और जीवित जानवरों को बेचा जा रहा था, जिसमें भेड़िया शावक, सैलामैंडर, सांप, मोर, साही और ऊंट का मांस शामिल हैं।
वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी द्वारा फरवरी 2020 में प्रकाशित साइंटिफिक जर्नल नेचर के एक अध्ययन में पाया गया कि चीन में मरीजों में पाए जाने वाले जेनेटिक मेकअप वायरस के नमूने चमगादड़ों में पाए जाने वाले कोरोनावायरस की तरह 96 फीसदी हैं। हालांकि, बाजार में कई चमगादड़ नहीं थे, इसलिए वैज्ञानिकों का कहना है कि यह संभावना थी कि एक जानवर था जो एक मध्यम-पुरुष के रूप में कार्य करता था। यह अभी तक पुष्टि नहीं की गई है कि यह किस प्रकार का जानवर था।
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