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CoronaVirus चीन में जंगली जानवरों का बड़ा अवैध करोबार, सार्स महामारी से नहीं लिया सबक, जानें- पूरा मामला

2002 में सार्स बीमारी ने महामारी का रूप अख्तियार किया था। यह बीमारी भी जंगली जानवरों से फैली थी। इसके वायरस ने दुनिया में कोहराम मचाया था। लेकिन चीन ने इस घटना से सबक नहीं लिया।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 01:01 PM (IST)Updated: Tue, 04 Feb 2020 09:39 AM (IST)
CoronaVirus चीन में जंगली जानवरों का बड़ा अवैध करोबार,  सार्स महामारी से नहीं लिया सबक, जानें- पूरा मामला
CoronaVirus चीन में जंगली जानवरों का बड़ा अवैध करोबार, सार्स महामारी से नहीं लिया सबक, जानें- पूरा मामला

नई दिल्‍ली जागरण स्‍पेशल । चीन में 2002 में सार्स बीमारी ने महामारी का रूप अख्तियार किया था। यह बीमारी भी जंगली जानवरों से फैली थी। इसके वायरस ने दुनिया में कोहराम मचाया था। लेकिन चीन ने इस घटना से सबक नहीं लिया। इस बीमारी से लगभग 800 लोगों की जान गईं थी। इसके बावजूद चीन में दुनिया के जंगली जानवरों का अवैध कारोबार खूब फल-फूल रहा है। आज भी  चीन दुनिया का जंगली जानवरों का सबसे बड़ा उपभोक्‍ता है। कोरोना वायरस के चलते एक बार फ‍िर से जंगली जानवरों का यह बाजार सुर्खियों में है। हाल में यह खबरें चर्चा में रहीं कि किसी जानवर के कारण यह वायरस इंसानों तक फैला।

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विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के मुताबिक इस वायरस के प्राथमिक स्रोत चमगादड़ हो सकते हैं। ये भी कहा जा रहा है कि ये वायरस इंसानों में आने से पहले किसी अन्य जानवर में गया होगा, जिसकी पहचान अब तक नहीं की जा सकी है। आइए जानते हैं चीन में जंगली जानवरों को अवैध कारोबार का सच। इसके साथ ही इस अवैध कारोबार में कौन से जानवर हो रहे हैं विलुप्‍त। 

वन्‍य जीव के कारोबार पर फौरी तौर पर प्रतिबंध

जी हां, कोरोना वायरस ने एक बार फ‍िर चीन में जंगली जानवरों की धड़ल्‍ले से चले रहे कारोबार को दुनिया के सामने ला दिया है। वन्‍यजीव संरक्षण संस्‍थाओं ने इसको लेकर कई बार चेतावनी भी जारी किया है। अतंरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर इसकी निंदा भी हाेती रही है। उस वक्‍त यह आलोचन इसलिए होती थी क्‍यों कि अवैध कारोबार के चलते जानवरों की कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी हैं। कोरोना वायरस के प्रसार के बाद चीन की सरकार ने वन्‍य जीव के कारोबार पर फौरी तौर पर प्रतिबंध लगा दिया है, ताकि इस वायरस के प्रसार को रोका जा सके। लेकिन चीन ने यह कदम विलंब से उठाया है। है। वन्यजीव संरक्षण के लिए काम करने वाली संस्थाएं इस कोशिश में है कि इस मौक़े का इस्तेमाल इस व्यापार को पूरी तरह से रोकने में किया जाए।

हाल में किया गया एक विश्लेषण से यह ज्ञात होता है कि ज़मीन पर चलने वाले हड्डीधारी वन्यजीवों की कुल 32 हज़ार प्रजातियों में से 20 फ़ीसद प्रजातियों को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में वैध और अवैध ढंग से ख़रीदा-बेचा जा रहा है। स्तनधारियों, पक्षियों, सरीसर्पों और उभयचरों की 5,500 से ज़्यादा प्रजातियों की ख़रीद-फरोख़्त जारी है। 

विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की चौंकाने वाली  रिपोर्ट 

संगठन का कहना है कि इस वायरस का प्राथमिक स्रोत चमगादड़ हो सकता है। चीन में कई ऐसे रेस्त्रां हैं जहां पर बैट सूप यानी चमगादड़ का सूप लोग बहुत चाव से सेवन करते हैं। महंगे रेस्त्राओं में भुना हुआ कोबरा, भालू के भुने हुए पंजे, बाघ की हड्डियों से बीन शराब जैसी डिश उपलब्‍ध है। इन सूप के कटोरों में साबुत चमगादड़ भी मिलता है। यह भी दावा किया जा रहा है कि वायरस इंसानों में जाने से पहले किसी अन्‍य जंगली जानवर में गया होगा। हालांकि इसकी पहचान अभी तक नहीं हो सकी है। बता दें कि चीन में कुछ जानवरों का मांस उनके स्‍वाद की वजह से खाया जाता है। लेकिन कुछ जानवरों को इस्‍तेमाल यहां पारंपरिक दवाओं के लिए किया जाता है। यह कारोबार भी चीन में खुब पनप रहा है। 

जानवरों के अवैध कारोबार से विलुप्‍त होने का संकट

चीन में पेंगोलिन जानवर की कवच की मांग बहुत ज्‍यादा है। इसके चलते चीन में ये जानवर करीब-करीब विलुप्‍त हो चुका है। चीन में बढ़ती मांग के कारण दुनिया के दूसरे हिस्सों में भी ये सबसे ज़्यादा शिकार किया जाने वाला जानवर बन चुका है। चीनी दवाओं में गैंडे की सींग की अत्यधिक मांग है। इसके चलते गैंडा एक संकटग्रस्त जानवर बन चुका है। चीन में ये सब तब हो रहा है जब सरकार को यह पता है कि 70 फीसद नए वायरस जंगली जानवरों से आए हैं। 

चीन में हो रहा है बाघों का शिकार 

बाघों के शिकार के मामले में दूसरे नंबर पर चीन हैं। ब्रिटेन की एक संस्था ट्रैफिक इंटरनेशनल से जुड़े पॉलिन वेरहेइज का कहना है कि  हर साल कम से कम 100 बाघों के अंग पकड़े जाते हैं। इससे आप बस अंदाजा ही लगा सकते हैं कि कितने बाघों को हर साल मारा जा रहा है। जिन 13 देशों में बाघ रहते हैं उनमें से 11 देशों से जनवरी 2000 से अप्रैल 2000 के बीच 1069 से लेकर 1220 बाघों के अंग पकड़े गए। बाघों का घर कहे जाने वाले भारत में सबसे ज्यादा अंगों की तस्करी पकड़ में आई है। 

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