कोरोना वायरस से चीन में तेल खपत भी हुई कम, दुनिया के तेल उत्पादक देश चिंतित
चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते वहां पर सभी तरह के काम बंद हो गए हैं। ऐसे में तेल की खपत भी कम हो गई है इससे तेल उत्पादक देश चिंतित हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। चीन में कोरोना वायरस के खतरे का असर अब दुनिया के तेल बाजार पर भी दिखने लगा है। ऐसा कहा जा रहा है कि चीन में कोरोना वायरस से वहां विमानों की आवाजाही और यातायात के साधनों के बंद होने की वजह से तेल का उत्पादन करने वाले देश उत्पादन भी कम कर सकते हैं। इसके पीछे एक बड़ा कारण ये भी बताया जा रहा है कि चीन में जब से कोरोना वायरस फैला है उसके बाद से वहां के बाजार बंद है।
तमाम एयरलाइंस ने चीन में अपने विमानों का आना-जाना रोक दिया है। चीन सरकार ने अपने यहां मार्केट आदि बंद कर दिए हैं। यहां की सड़कें सूनसान पड़ी हुई हैं। आबादी का एक बड़ा हिस्सा अपने घर में कैद होकर रह रहा है। इस वजह से यहां पर तेल का इस्तेमाल फिलहाल बंद सा है। ना तो एयरपोर्ट पर हवाई जहाज लैंड कर रहे हैं ना ही यहां से उड़ान भर रहे हैं। सड़कों पर भी लोग अपने वाहनों के साथ नहीं निकल रहे हैं।
यदि एयर पोर्ट पर दूसरे देशों के हवाई जहाजों का आना-जाना लगा रहे तो उनको भी तेल की जरूरत पड़ेगी, ऐसे में खपत होगी मगर जब से वहां पर कोरोना का कहर बढ़ा है उसके बाद से ऐसी गतिविधियां एकदम से बंद है। इन्हीं चीजों को देखते हुए अब ये कहा जा रहा है कि दुनिया के बड़े तेल उत्पादक देश तेल का उत्पादन भी गिरा सकते हैं।
चीन कितना करता है तेल का इस्तेमाल
चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। इस वजह से ये कहा जाता है कि दुनिया की अर्थव्यवस्था में जो तरक्की हो रही है चीन की उसमें एक अहम भूमिका है। यदि वहां पर किसी तरह की मुसीबत आती है तो अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने से इनकार भी नहीं किया जा सकता। चीन पर कोरोना वायरस के संकट के नकारात्मक असर का झटका दुनिया भर में महसूस किया जाएगा।
तेल उत्पादक देशों की होने वाली है बैठक
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल कीमतों को बरकरार रखने की मांग के मद्देनजर तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक और उसके सहयोगियों की इस सप्ताह एक बैठक होने की संभावना है। यदि कच्चे तेल की साल भर की कीमतों के लिहाज से देखें तो इस समय कच्चे तेल की कीमतें अपने निम्नतम स्तर पर हैं। जनवरी से इसकी कीमत में 20 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
तेल की कीमतें गिरने का कारण
कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से चीन के बड़े हिस्से में सभी चीजें बंद पड़ी हैं। सरकार ने नए साल की छुट्टियां बढ़ा दी हैं और साथ ही यात्रा पर प्रतिबंध भी लागू हैं। इन दिनों यहां फैक्ट्रियां, आफिस और शोरूम सब बंद हैं। चीन एक तरह से दुनिया में कच्चे तेल का बड़ा खरीदार है, चूंकि यहां बड़े पैमाने पर बंदी है इस वजह से कच्चे तेल की खरीदारी भी कम है। जब कच्चे तेल की खरीदारी ही कम होगी तो कीमतें गिरना वाजिब है। चीन सामान्य तौर पर हर दिन औसतन एक करोड़ चालीस लाख बैरल तेल खपत करता है मगर जब से कोरोना वायरस फैला है उसके बाद से तेल खरीदारी कम हो गई है जो बरकरार रखना फिलहाल मुश्किल है। कोरोना संकट की वजह से हवाई जहाजों के काम आने वाले जेट फ्यूल भी कम खपत हो रही है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय विमान सेवाओं में भी कटौती की जा रही है।
तेल की मांग में कमी
इस सप्ताह आई ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक चीन में कच्चे तेल की खपत में 20 फीसदी की गिरावट आई है। चीन की घरेलू खपत में ये गिरावट उतनी ही है जितनी इटली और ब्रिटेन को मिलाकर तेल की जरूरत पड़ती है। एशिया की सबसे बड़ी तेल रिफाइनरी सिनोपेक ने कच्चे तेल की प्रोसेसिंग में 12 फीसदी यानी छह लाख बैरल प्रतिदिन की कटौती की है। चीन की सरकारी स्वामित्व वाली इस कंपनी की पिछले एक दशक में ये सबसे बड़ी कटौती है। चीन में व्यापारिक गतिविधियों में आई गिरावट का नतीजा साफ तौर पर तेल की मांग में कमी के रूप में देखा जा सकता है। माना जा रहा है कि इस घटना से चीन की अर्थव्यवस्था में और सुस्ती आ सकती है।
तेल उत्पादक देशों के सामने चुनौती
चीन में कम हुए कच्चे तेल को लेकर दुनिया के तेल उत्पादक देश भी चिंतित हैं। अब तेल उत्पादक देश तेल उत्पादन में कटौती पर चर्चा कर रहे हैं। ऐसी खबरें हैं कि रूस समेत ओपेक प्लस के देश इस सप्ताह होने वाली एक बैठक में तेल उत्पादन में पांच लाख से दस लाख बैरल प्रति दिन की कटौती करने के बारे में चर्चा करेंगे। कुछ तेल उत्पादक देश इस बात को लेकर भी चर्चा कर रहे हैं यदि हालात और खराब हुए तो उत्पादन में और भी कटौती करनी पड़ सकती है।