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डाइंग टू सर्वाइवः चीन के कैंसर रोगियों को भारतीय दवा की जरूरत, शी सरकार नहीं दे रही मंजूरी

भारत सरकार भारतीय फार्मा उत्पादों को खासकर कैंसर की दवाओं को अनुमति देने के लिए चीन पर दबाव बनाता आ रहा है।

By Manish NegiEdited By: Published: Fri, 06 Jul 2018 06:56 PM (IST)Updated: Fri, 06 Jul 2018 09:59 PM (IST)
डाइंग टू सर्वाइवः चीन के कैंसर रोगियों को भारतीय दवा की जरूरत, शी सरकार नहीं दे रही मंजूरी
डाइंग टू सर्वाइवः चीन के कैंसर रोगियों को भारतीय दवा की जरूरत, शी सरकार नहीं दे रही मंजूरी

बीजिंग, पीटीआई। चीन में भारत की दवाओं को लेकर एक फिल्म 'डाइंग टू सर्वाइव' रिलीज हुई है। ये फिल्म ल्यूकेमिया रोगी पर आधारित है। इस फिल्म में बताया गया है कि किस तरह चीन में भारतीय दवाइयां दूसरे देशों की दवाइयों के मुकाबले कितनी सस्ती है। फिल्म के विषय को लेकर इन दिनों चीन के सोशल मीडिया में जमकर चर्चा हो रही है।

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भारत सरकार भारतीय फार्मा उत्पादों को खासकर कैंसर की दवाओं को अनुमति देने के लिए चीन पर दबाव बनाता आ रहा है। भारतीय दवाई अंतरराष्ट्रीय दवाओं से काफी सस्ती भी हैं। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में कुछ भारतीय फार्मा कंपनियां काम कर रही है। लेकिन, किसी भी कंपनी को चीन के खाद्य एवं औषधि प्रशासन की तरफ से जेनेरिक या कैंसर संबंधित दवाओं के निर्यात की मंजूरी नहीं मिली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय कंपनियां चीन में परीक्षणों के लिए लंबी प्रक्रियाओं की शिकायत करती हैं क्योंकि इसमें सालों का समय लग जाता है। जिसके कारण इन कंपनियों को अब कोई दिलचस्पी नहीं रह गई है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारी मांग के चलते भारतीय दवाओं की देश में तस्करी हो रही है। इस साल मई में चीन ने कैंसर समेत 28 दवाओं को आयात शुल्क में छूट दी, लेकिन ये छूट भारतीय दवाओं को नहीं मिली क्योंकि इन्हें बेचने की अनुमति नहीं है।

चीनी टेलीविजन के मुताबिक, हर साल करीब 43 लाख लोगों में कैंसर के रोग की शिकायतें आती हैं। वुहान समिट में चीनी पीएम शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई वार्ता में भारतीय चावल, चीनी और दवाइयों के निर्यात पर बातचीत हुई।

डाइंग टू सर्वाइव रिलीज
चीनी ब्लैक कॉमेडी फिल्म 'डाइंग टू सर्वाइव' ने गुरुवार को सिनेमाघरों में दस्तक दी। फिल्म में भारतीय दवाओं के बारे में बताया गया है जो अंतरराष्ट्रीय दवाइयों से काफी सस्ती हैं।

ये फिल्म ल्यूकेमिया रोगी लू योंग की असली कहानी पर आधारित है। लू योंग की भूमिका जू ने निभाई है। बता दें कि लू योंग को 'फेक' दवाओं को बेचने के लिए गिरफ्तार किया गया था, क्योंकि चीन में भारतीय जेनेरिक दवाओं को बेचने की अनुमति नहीं है। लू योंग ने भारतीय दवाओं का आयात कर उन्हें कैंसर रोगियों को बेचकर उनकी मदद की। साल 2006 से लेकर 2013 तक उन्होंने सैंकड़ों कैंसर मरीजों की मदद की। 2014 में लू पर हुनान प्रांत में जाली दवाओं की बिक्री के आरोप लगे। लेकिन, अगले साल अभियोजन पक्ष ने आरोप वापस ले लिया था।


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