चीनी कोरोना वैक्सीन बताई गई एकदम सुरक्षित, एंटीबॉडी बनाने में भी सक्षम; लैंसेट की रिपोर्ट का दावा
कोरोना वैक्सीन को लेकर जगी उम्मीद चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी लैंसेट के अध्ययन में यह बात सामने आई है। एंटीबॉडी बनाती है बीबीआइबीपी-सीओआरवी कोरोना वैक्सीन। शोधकर्ताओं ने कहा- कोरोना वायरस को पूरी तरह निष्क्रिय करती है यह वैक्सीन।
बीजिंग, आइएएनएस। कोरोना वायरस (कोविड-19) से निपटने के लिए चीन की कोरोना वैक्सीन को एक नए अध्ययन में सुरक्षित पाया गया है। 18 से 80 साल के लोगों पर किए गए परीक्षण में चीनी वैक्सीन के परिणाम अच्छे आए हैं। इससे किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हुआ है बल्कि इससे एंटीबॉडी बनने में मदद मिली है। चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी खबरें और शोध प्रकाशित करने वाली पत्रिका 'लैंसेट' में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी कोरोना वैक्सीन 'बीबीआइबीपी-सीओआरवी' से कोरोना वायरस को पूरी तरह से निष्क्रिय किया जा सकता है। यह सुरक्षित होने के साथ-साथ एंटीबॉडी बनाने में भी सक्षम है। लैंसेट ने इससे पहले भी एक अन्य वैक्सीन को लेकर भी ऐसी बात कही थी जो कोरोना के लिए जिम्मेदार सार्स-सीओवी-2 वायरस को निष्कि्रय करता है लेकिन उस अध्ययन ने वैक्सीन का परीक्षण केवल 60 वर्ष से कम आयु के लोगों पर किया गया था।
28 से 24 दिनों में विकसित हो जाती है एंटीबॉडी
द लैंसेट इन्फेक्शियस डिजीज जर्नल में प्रकाशित इस नवीनतम अध्ययन में बताया गया है कि इस वैक्सीन के परीक्षण में 18 से 80 वर्ष की आयु के प्रतिभागी शामिल थे और पाया गया कि सभी में एंटीबॉडी बनी है। अध्ययन के अनुसार, इस वैक्सीन में एंटीबॉडी बनाने की रफ्तार 18 से 59 साल के लोगों में 60 से अधिक उम्र वाले लोगों के मुकाबले अधिक रही। 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में एंटीबॉडी बनने में 42 दिन लगे जबकि 18 से 59 साल के प्रतिभागियों में 28 दिनों में एंटीबॉडी विकसित हो गई।
बुजुर्गो को मिलेगी राहत
बीजिंग के इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स कंपनी लिमिटेड के शोधकर्ता और इस अध्ययन के लेखक जियाओमिंग यांग ने कहा कि बुजुर्गो की सुरक्षा करना एक सफल कोरोना वैक्सीन का एक प्रमुख उद्देश्य है। क्योंकि इस आयु वर्ग के लोगों को इससे सर्वाधिक खतरा है। उम्मीद है कि इस वैक्सीन से आने से उन्हें राहत जरूर मिलेगी। उन्होंने कहा कि हालांकि यह वैक्सीन से बुजुर्गो के इम्यून सिस्टम को थोड़ा कमजोर कर देती है। लेकिन यह ज्यादा चिंता वाली बात नहीं है। एक उम्र के बाद इस तरह की समस्याएं अक्सर देखने को मिलती हैं। यांग ने कहा कि इसलिए यह देखना उत्साहजनक है कि बीबीआइबीपी-सीओआरवी बुजुर्गो में भी एंटीबॉडी प्रतिक्रिया को प्रेरित करता है। उन्होंने दावा किया कि भविष्य में होने वाले परीक्षण इस बात को भी पुख्ता करेंगे।