Move to Jagran APP

कोरियाई युद्ध की बरसी पर चीन का अमेरिका को संदेश, न पहले डरते थे न अब डरते हैं

चीन युद्ध की बरसियों का इस्तेमाल नए चीन की सैन्य ताकत से अमेरिका को परोक्ष रूप से धमकाने के लिए करता है। अमेरिका ने जब ताइवान को एक अरब डॉलर से ज्यादा कीमत का हथियार बेचने की मंजूरी दी है उसके बाद से विवाद बढ़ गया है।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 01:26 PM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 01:26 PM (IST)
कोरियाई युद्ध की बरसी पर चीन का अमेरिका को संदेश, न पहले डरते थे न अब डरते हैं
चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। (फाइल फोटो)

बीजिंग, एएफपी। कोरियाई युद्ध की बरसी पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका को खुली चुनौती दी। इशारों में जिनपिंग ने कहा कि जब चीन के हालात बहुत अधिक खराब थे उस समय भी वो अमेरिका से नहीं डरता था तो फिर अब वो हर मायने में मजबूत स्थिति में है ऐसे में अमेरिका से डर का कोई मतलब नहीं बनता है।

loksabha election banner

चीन युद्ध की बरसियों का इस्तेमाल नए चीन की सैन्य ताकत से अमेरिका को परोक्ष रूप से धमकाने के लिए करता है। अमेरिका ने जब से ताइवान को एक अरब डॉलर से ज्यादा कीमत का हथियार बेचने की मंजूरी दी है उसके बाद से चीन और अमेरिका के बीच विवाद बढ़ गया है। अमेरिका की इस घोषणा के बाद तनाव में बढ़ावा हो गया है।

इस युद्ध की 70वीं बरसी ऐसे दौर में मनाई जा रही है जब अमेरिका के साथ कारोबारी और तकनीक के लिए मुकाबलेबाजी, मानवाधिकार और ताइवान को लेकर पार्टी पर दबाव है। चीन ताइवान को अपना अभिन्न अंग मानता है। बरसी के मौके पर शी जिनपिंग ने चीनी सेना की वीरगाथाओं का जिक्र करते हुए उनमें देशभक्ति का भाव मजबूत करने की कोशिश की। 1950-53 के बीच चले युद्ध को उन्होंने इस बात की निशानी कहा कि यह देश उस ताकत से लड़ने के लिए तैयार है जो चीन के दरवाजे पर मुश्किल पैदा करेगा। चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए कोरियाई युद्ध वो कहानी है जिसने उसे अपनी जड़ें जमाने में मदद दी।

शी जिनपिंग ने कोरियाई युद्ध की ऐतिहासिक घटनाओं की मदद से मौजूदा दौर में एकाधिकारवाद, संरक्षणवाद और चरम अहंकार पर निशाना साधा। शी ने ताली बजाते दर्शकों के सामने कहा कि चीन के लोग समस्या पैदा नहीं करते, ना ही हम उनसे डरते हैं। हम कभी अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता का नुकसान हाथ पर हाथ धरे नहीं देख सकते और हम कभी भी किसी ताकत को हम पर हमला करने और हमारी मातृभूमि के पवित्र इलाके को बांटने नहीं देंगे।

कोरियाई युद्ध पहली और अब तक की इकलौती घटना है जब चीन और अमेरिका की सेना बड़े पैमाने पर एक दूसरे से सीधे लड़ीं थी। चीन की सरकार के मुताबिक तीन साल चली जंग में 197,000 से ज्यादा चीनी सैनिक मारे गए। इस युद्ध में अमेरिका के नेतृत्व वाली संयुक्त राष्ट्र के गठबंधन की सेना 38वीं समानांतर रेखा के पार जाने पर मजबूर हुई। साउथ कोरिया और नॉर्थ कोरिया के बीच आज यही रेखा सीमा का काम करती है। नॉर्थ कोरिया के साथ चीन की कम्युनिस्ट सेना के आने की वजह से ऐसा हुआ। इस युद्ध को चीन में विजय की तरह देखा जाता है।

जिनपिंग का भाषण कोरिया से ज्यादा चीन की अपनी सामरिक और कूटनीतिक चुनौतियों की ओर इशारा करता है। इस भाषण को अमेरिका और चीन के बीच शीत युद्ध की शुरुआत तो नहीं कह सकते लेकिन पिछले बयानों के मुकाबले इस बार शी जिनपिंग की अमेरिका को लेकर तल्खी काफी ज्यादा थी। इस बयान से यह भी साफ है कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव का पहला प्रमुख सामरिक थियेटर कोरिया प्रायद्वीप ही बनेगा।

इस सप्ताह चीन के प्रमुख अखबार ग्लोबल टाइम्स में इसको लेकर एक लेख भी छपा है, इसमें लिखा गया है कि जब चीन बेहद गरीब था, तब वह अमेरिकी दबाव के आगे नहीं झुका। आज चीन एक मजबूत देश के रूप में उभरा है तो चीन के पास कोई वजह नहीं है कि वह अमेरिका की धमकी से भयभीत हो। बीते कई दशकों में पहली बार चीन और अमेरिका के बीच तनाव जोरों पर है।

ऐसे में चीन कोरियाई युद्ध की बरसी का इस्तेमाल एक तरफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिद्वंद्वियों को चेतावनी देने के साथ ही घरेलू विरोध का दमन करने के लिए भी करना चाहता है। उधर शुक्रवार को चीन के सिनेमाघरों में सैक्रिफाइस फिल्म दिखाई गई जो चीनी सिनेमा के तीन बड़े नामों ने बनाई है। इसमें चीनी सैनिकों की एक छोटी टुकड़ी के कोरियाई युद्ध के अंतिम दिनों में अमेरिकी सैनिकों को रोकने की कहानी है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.