चीन ने कैसे जीती वायु प्रदूषण के खिलाफ जंग, जानिए उन कदमों के बारे में
महज सात साल पहले चीन के 90 फीसद शहरों में प्रदूषण का स्तर मानकों से ज्यादा था। इससे प्रतिवर्ष लाखों लोग काल कवलित होते थे।
बीजिंग, एजेंसी। प्रदूषण के मामले में कभी चीन की स्थिति भारत जैसी हुआ करती थी। महज सात साल पहले चीन के 90 फीसद शहरों में प्रदूषण का स्तर मानकों से ज्यादा था। इससे प्रतिवर्ष लाखों लोग काल कवलित होते थे। चीन ने इसके लिए योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाए और आज उसके शहरों की वायु गुणवत्ता काफी हद तक सुधर गई। भारत के अब तक के कदम कारगर नहीं साबित हुए। पेश है एक नजर:
चीनी शहरों में वायु प्रदूषण
2013 में विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में चीन के शहर सबसे ऊपर थे। धुंध की चादर से ढके रहने वाले चीन के शहरों विशेष रूप से बीजिंग के कारण चीन की दुनिया भर में आलोचना होती थी। बीजिंग के लोगों की मास्क लगाई हुई तस्वीरें दुनिया भर में प्रकाशित होती थीं।
चीन के कदम
चीन की सरकार ने 2013 में नेशनल एयर क्वालिटी एक्शन प्लान बनाया और प्रदूषण पर काफी हद तक नियंत्रण पाने में कामयाबी पाई। ग्रीनपीस एयर विजुअल की रिपोर्ट के अनुसार आज दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित 30 शहरों में 22 भारत के हैं। दिल्ली व इसके आसपास के शहरों में तो पिछले कुछ दिनों से वायु गुणवत्ता सूचकांक 450 से 900 के बीच बना हुआ है।
बीजिंग पर कारगर योजना
देश की राजधानी बीजिंग सर्वाधिक प्रदूषित शहर था। चीन ने इसपर सबसे ज्यादा ध्यान दिया। यहां और इसके आसपास स्थापित कारखानों में ताले लगा दिए गए। स्टील तथा एल्यूमिनियम के कारखानों में उत्पादन कम कर दिया गया। वर्ष 2014 में प्रदूषण फैलाने वाले लाखों वाहनों को सड़क से हटाया गया। रेड लाइन क्षेत्र घोषित कर सभी वन या हरित क्षेत्र के आसपास निर्माण कायरें पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी गई।
अक्षय ऊर्जा पर ज्यादा जोर
चीन इस समय कोयला की बजाय अक्षय ऊर्जा पर अपनी निर्भरता बढ़ाने और प्रदूषण को कम करने की कोशिश कर रहा है। चीन ने दुनिया का सबसे ऊंचा एयर प्यूरीफायर भी बनाया है। 2014 में भारत सरकार कहती थी कि दिल्ली में बीजिंग की तुलना में कम प्रदूषण है। अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों ने भी अपने आंकड़े के आधार पर यह माना था कि भारत में गर्मियों व मानसून की हवा बीजिंग की तुलना में साफ है। केवल सर्दियों में हवा की गुणवत्ता खराब होती है या कहें बीजिंग की तरह होती है, लेकिन पांच साल में स्थिति बदल गई है। आज दुनिया के 200 प्रदूषित शहरों की सूची से बीजिंग बाहर निकलने को तैयार है।
जारी होता है पूर्वानुमान
चीन में वायु प्रदूषण के स्तर पर नजर रख रही एजेंसी मौसम की तरह पूर्वानुमान जारी करती है। किसी भी एक दिन वायु गुणवत्ता सूचकांक के 200 के ऊपर जाते ही ब्लू अलर्ट जारी कर दिया जाता है। इसके तहत धूल नियंत्रण संबंधी उपायों के साथ-साथ निजी वाहनों के परिचालन व स्कूली बच्चों की बाहरी गतिविधयों पर रोक लगाई जाती है। बच्चों व बुजुर्गों के स्वास्थ्य के लिए विशेष हिदायतें दी जाती हैं। इसके बाद सूचकांक अगर लगातार चार-पांच दिनों तक 200 के ऊपर बना रहता है तो रेड अलर्ट के तहत तत्काल आपातकालीन उपायों की घोषणा कर दी जाती है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के पार जाने पर स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा हुई। ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान पर काम करने में चीन और भारत में यह मूलभूत अंतर है। हम प्रदूषण को लेकर न तो कोई पूर्वानुमान करते हैं और न ही पहले से निवारक उपायों पर काम शुरू करते हैं।
तुरंत जारी होती है एडवाइजरी
पर्यावरण प्रदूषण (रोकथाम व नियंत्रण) प्राधिकरण ने प्रदूषण नियंत्रण को लेकर 27 सितंबर से ही बैठकों का सिलसिला प्रारंभ कर दिया था। प्राधिकरण की 24 अक्टूबर तक चार बैठकें हुईं और तब जाकर पराली को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए गए। पंजाब-हरियाणा के किसान हर साल अक्टूबर-नवंबर माह में पराली जलाते हैं लेकिन इसके बावजूद अक्टूबर के अंत तक निर्देश जारी नहीं हो सके। चीन में प्रदूषण के पूर्वानुमान के तहत ही ऑड-इवेन व कर्मचारियों के वर्किंग शिफ्ट को लेकर एडवाइजारी जारी कर दी जाती है। भारत में ऐसा तब होता है जब प्रदूषण गंभीर स्तर पर पहुंच जाता है।
60 फीसद कम करेगा वायु प्रदूषण
चीन के दावे की मानें तो वह अपने प्रमुख शहरों में वर्ष 2020 तक वायु प्रदूषण के स्तर को 60 फीसद तक कम कर लेगा।