चीन अपने हितों के लिए करेगा ताकत का इस्तेमाल, साउथ चाइना सी विवाद और गहराया
चीन का मानना है कि जिन द्वीपों पर उसका दावा है दुनिया के दूसरे देशों को भी उसे स्वीकार करना चाहिए। साउथ चाइना सी को पूरी दुनिया में भावी विवाद के जड़ के तौर पर देखा जा रहा है।
जयप्रकाश रंजन, बीजिंग। साउथ चाइना सी को लेकर चल रहा विवाद आने वाले दिनों में और तूल पकड़ सकता है। क्योंकि चीन ने साफ तौर पर इस बात के संकेत दिए हैं कि वह इस समुद्री इलाके में अपनी मौजूदा स्थिति में कोई नरमी नहीं बरतने जा रहा है। साथ ही परोक्ष तौर पर भारत को यह चेतावनी देने से भी नहीं हिचक रहा है कि वह इस इलाके में विएतनाम के बहकावे में आ कर वहां तेल व गैस ब्लाकों में निवेश नहीं करे। क्योंकि विएतनाम का इस इलाके पर कोई वैध दावा नहीं है।
साउथ चाइना सी के एक इलाके में विएतनाम और चीन के बीच पिछले दो महीनों से विवाद बढ़ गया है। इस विवाद का भारत के लिए महत्व इसलिए है कि जिस इलाके में समस्या पैदा हुई है वहां भारत की सरकारी तेल कंपनी ओएनजीसी के दो तेल ब्लाक भी हैं। ये ब्लाक विएतनाम सरकार की तरफ से की गई खुली निविदा प्रक्रिया के तहत भारतीय कंपनी ने हासिल किये थे, लेकिन चीन का दावा है कि अब यह इलाका उसके हिस्से में है।
पेट्रोलिंग जहाज तैनात
दो महीने पहले ही चीन ने इस ब्लाक के आस पास के इलाके में अपनी पेट्रोलिंग जहाजों को तैनात कर दिया है। चीन की तरफ से हाइड्रोकार्बन ब्लाकों के पास पेट्रोलिंग जहाज भेजने के बारे में विएतनाम ने भारत को सूचना दी थी। गुरुवार को इस बढ़ते विवाद के बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा था कि साउथ चाइना सी एक वैश्विक साझा विरासत है।
जहाजों के उड़ान की आजादी होनी चाहिए
भारत का इस क्षेत्र में शांति व स्थायित्व बहाली करने में गहरी रूचि है। भारत का मानना है कि सभी देशों के पास इस क्षेत्र में मालवाहक जहाजों के आवागमन व वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए जहाजों के उड़ान की आजादी होनी चाहिए। इस क्षेत्र में कोई भी विवाद का समाधान सभी पश्रों के बीच शांतिपूर्ण तरीके से होनी चाहिए। साथ ही इस बात का ख्याल रखा जाना चाहिए कि किसी प्रकार की शक्ति का इस्तेमाल न हो।
भारत से आये पत्रकारों के एक दल ने जब चीन के विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से इस विवाद के बारे में बात की तो उनका कहना था कि समस्या यह है कि विएतनाम अपने आप ही वहां की यथास्थिति में बदलाव करने की कोशिश कर रहा है।
विएतनाम ने बिना किसी दूसरे देश से विचार विमर्श किये ही वहां पेट्रोलियम उत्पादों की खोज व खनन के लिए निविदा आमंत्रित करना शुरु कर दिया। चीन लगातार विएतनाम से आग्रह कर रहा है कि वह कृपया इस तरह के कदम नहीं उठाये। लेकिन वे नहीं सुन रहे हैं। ऐसे में कई बार चीन को ताकत दिखाना पड़ता है कि यह इलाका उसका है। हमने पहले भी वहां अपने जहाज भेजे है।
साउथ चाइना सी विवाद
बताते चलें कि साउथ चाइना सी को पूरी दुनिया में भावी विवाद के जड़ के तौर पर देखा जा रहा है। इस इलाके से दुनिया के तकरीबन आधे वाणिज्यिक जहाजों का आवागमन होता है। यही वजह है कि दुनिया की तमाम ताकतें इस बात को लेकर संशकित रहती है कि अगर चीन का वर्चस्व बढ़ने से उनके लिए आने वाले दिनों में समस्या पैदा हो सकती है।
चीन का मानना है कि यह इलाके उसकी समुद्री सीमा के तहत आता है। चीन का यह भी मानना है कि जैसा अभी इलाके का इस्तेमाल हो रहा है वैसा भविष्य में भी होना चाहिए, लेकिन इस इलाके के जिन द्वीपों पर उसका दावा है दुनिया के दूसरे देशों को भी उसे स्वीकार करना चाहिए। इसको लेकर चीन का विएतनाम, फिलीपींस समेत दक्षिण एशिया के कई दूसरे देशों के साथ तनाव है।
अमेरिका की तरफ से भारत, जापान और आस्ट्रेलिया को लेकर चार देशों के एक गठबंधन को आगे बढ़ाने की जो कोशिश हो रही है उसके पीछे भी साउथ चाइना सी में हितों की रक्षा के लिए ही किया जा रहा है।