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मीडिया संस्‍थानों के एक्‍शन पर चीन गुर्राया, कहा- अमेरिका की भाषा में देंगे जबाव, तनाव बढ़ा

प्रवक्ता झाओ लिजियन ने ट्रंप प्रशासन के इस कदम की कड़ी निंदा की है। उन्‍होंने कहा कि यह अमेरिका के राजनीतिक दमन का एक और नमूना है।

By Ramesh MishraEdited By: Published: Wed, 24 Jun 2020 08:57 AM (IST)Updated: Wed, 24 Jun 2020 11:51 AM (IST)
मीडिया संस्‍थानों के एक्‍शन पर चीन गुर्राया, कहा- अमेरिका की भाषा में देंगे जबाव, तनाव बढ़ा
मीडिया संस्‍थानों के एक्‍शन पर चीन गुर्राया, कहा- अमेरिका की भाषा में देंगे जबाव, तनाव बढ़ा

बीजिंग, एजेंसी। अमेरिका ने चीन के चार और मीडिया संस्थानों को विदेश मिशन का दर्जा दिए जाने के बाद बीजिंग ने अपनी उग्र प्रतिक्रिया दी है। चीन ने चेतावनी दी है कि वह जवाबी कार्रवाई करेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने ट्रंप प्रशासन के इस कदम की कड़ी निंदा की है। उन्‍होंने कहा कि यह अमेरिका के राजनीतिक दमन का एक और नमूना है। प्रवक्‍ता ने आगे कहा कि यह चीनी मीडिया में हस्‍तक्षेप है और प्रेस की स्‍वतंत्रता के प्रति अमेरिकी प्रतिबद्धता के साथ एक धोखा है। अमेरिका को उसी की भाषा मे जवाब दिया जाएगा। 

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शीत युद्ध की मानसिकता से काम कर रहा है ट्रंप प्रशासन 

उन्‍होंने कहा कि संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका शीत युद्ध की मानसिकता और वैचारिक पूर्वाग्रह की तर्ज पर काम कर रहा है। प्रवक्‍ता ने ट्रंप प्रशासन से इस मानसिकता को त्‍यागने का आग्रह किया है। प्रवक्‍ता ने कहा कि अमेरिका का चीन के खिलाफ किया जा रहा एक गंदा अभ्‍यास है। ट्रंप प्रशासन को चीन के खिलाफ इस प्रकार के व्‍यवहार को तुरंत बंद किया जाना चाहिए। झाओ लिजियन ने अमेरिका को धमकी भरे लहजे में कहा कि अन्‍यथा चीन को वैध प्रतिक्रिया देने के लिए बाध्‍य होना पड़ेगा। गौरतलब है कि शीत युद्ध के दौरान अमेरिका ने सोवियत आउटलेट को विदेशी मिशन के रूप में नामित किया था।

चीन के चार और मीडिया संस्थानों को विदेश मिशन का दर्जा दिया 

गौरतलब है कि अमेरिका ने चीन के चार और मीडिया संस्थानों को विदेश मिशन का दर्जा दिया है। अपने फैसले में ट्रंप प्रशासन ने कहा है कि ये चारों मीडिया संस्थान अनिवार्य रूप से चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और चीनी सरकार के लिए मुखपत्र हैं। इनका उपयोग दुष्प्रचार के लिए किया जाता है। ऐसे में इन्हें सामान्य विदेशी मीडिया की तरह नहीं माना जाना चाहिए। बता दें कि जिन चार संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, वह चाइना सेंट्रल टेलीविजन, चाइना न्यूज सर्विस, द पीपुल्स डेली और द ग्लोबल टाइम्स हैं।

दोनों देशों के बीच बढ़ेगा तनाव 

अमेरिका द्वारा उठाए गए इस कदम से दोनों देशों में और तनाव बढ़ेगा। कोरोना महामारी को विश्वभर में फैलाने को लेकर ट्रंप पहले ही बीजिंग को दोषी ठहरा चुके हैं। वह समय-समय पर चीन पर वायरस से जुड़ी जानकारी छिपाने का भी आरोप लगाते रहे हैं। हालांकि, चीन इससे इन्कार करता रहा है। विदेश विभाग की प्रवक्ता मॉर्गन आर्टागस ने कहा कि ये सभी मीडिया संस्थान स्वतंत्र मीडिया संगठन नहीं हैं। इन पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का नियंत्रण है। ये सभी दुष्प्रचार फैलाने का काम करते हैं।

विदेशी दूतावास की तरह कुछ प्रशासनिक जरूरतों का पालन करना होगा

प्रवक्ता ने कहा कि इन संस्थाओं को विदेशी मिशन का दर्जा देने का निर्णय इन संस्थाओं द्वारा प्रकाशित की गई सामग्री पर आधारित नहीं है।  हालांकि, विदेश मिशन का दर्जा पाने के बाद इन संस्थानों को विदेशी दूतावास और वाणिज्य दूतावासों की तरह कुछ प्रशासनिक जरूरतों का पालन करना होगा। पूर्वी एशिया और प्रशांत मामलों के सहायक विदेश मंत्री डेविड स्टिलवेल ने कहा, 'चीन की कम्युनिस्ट पार्टी हमेशा से ही चीन की आधिकारिक न्यूज एजेंसी को नियंत्रित करती रही है, लेकिन शी चिनफिंग के राष्ट्रपति बनने के बाद पिछले कुछ सालों में यह नियंत्रण और ज्यादा बढ़ा है। 

पांच मीडिया संस्थानों पर पहले की जा चुकी है कार्रवाई

इससे पहले 18 फरवरी को अमेरिका ने चीन के पांच मीडिया संस्थानों (सिन्हुआ समाचार एजेंसी, चाइना ग्लोबल टेलीविजन नेटवर्क, चाइना रेडियो इंटरनेशनल, चाइना डेली डिस्ट्रीब्यूशन कारपोरेशन और हाई तियान डेवलपमेंट यूएसए) को विदेशी मिशन का दर्जा दिया था। यही नहीं, अमेरिका में काम कर रहे चीनी पत्रकारों की संख्या भी सीमित कर दी थी। इसके बाद चीन ने अमेरिका के कई पत्रकारों को देश छोड़कर जाने के लिए कह दिया था।


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