पहले चीन के लिए फाइनेंशियल हब था हांगकांग, अब है केवल भू-भाग, नहीं रही पहले जैसी अहमियत
90 के दशक के बाद हांगकांग में एक बड़ा फेरबदल हुआ है। पहले इसकी पहचान एक फाइनेंशियल हब के तौर पर होती थी लेकिन अब ऐसा नहीं है।
नई दिल्ली (जेएनएन)। पूरी दुनिया में चीन लगातार मीडिया की सुर्खियों में है। पूरी दुनिया की इस बात पर निगाह है कि चीन क्या कर रहा है और क्या करने वाला है। इसकी वजह ये भी है चीन से हर देश कहीं न कहीं प्रभावित जरूर होता है। भारत ही की बात करें तो लद्दाख में उसके द्वारा की गई घुसपैठ या जबरदन पैदा किया गया सीमा विवाद इसका ही एक उदाहरण है। हालांकि जानकारों की बात करें तो वे मानते हैं कि चीन काफी समय से अपने पूर्वी छोर पर मोर्चाबंदी करने में लगा हुआ है। यहां पर दक्षिण चीन सागर और ताइवान पर दावे से वो किसी सूरत से भी पीछे नहीं हट सकता है। वहीं काफी समय से हांगकांग को लेकर भी वो काफी परेशान है। यहां पर चीन की सरकार के खिलाफ होने वाले प्रदर्शन उसके लिए लगातार परेशानी का सबब बन रहे हैं। बीते दिनों चीन के राष्ट्रगान को लेकर जो बिल सदन में पास हुआ है उसको लेकिन वहां पर बवाल मचा हुआ है।
पहले जैसी स्थिति में नहीं हांगकांग
हांगकांग के सवाल पर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बीआर दीपक का मानना है कि चीन के लिए हांगकांग की स्थिति अब पहले जैसी नहीं रही है। 80-90 के दशक तक हांगकांग की पहचान एक बिजनेस हब के तौर पर होती थी लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है। हालांकि वे ये भी मानते हैं कि एक भू-भाग के तौर पर चीन के लिए हांगकांग की अहमियत हमेशा से थी और आगे भी रहेगी। इस दौरान हांगकांग के रास्ते से ही चीन के अंदर विदेशी निवेश पहुंचा था। वहीं वर्तमान में यदि इसके उदाहरण को समझना है तो भारत के साथ उसका ज्यादातर व्यापार आज भी हांगकांग के रास्ते ही होता है। कभी चीन के लिए फाइनेंनिशयल हब बना हांगकांग अब उस तरह से नहीं रह गया है। इसकी वजह है कि चीन के अंदर वर्तमान में कई हांगकांग या यूं कहें फाइनेंशियल हब बन गए हैं जो उसकी बड़ी कमाई का जरिया है। वहीं दुनिया की कई बड़ी कंपनियों के हैडक्वार्टर भी हांगकांग में न होकर अब चीन में ही हैं।
हांगकांग बेसिक लॉ और चीन
वो मानते हैं कि हांगकांग में रहने वालों को वहां पर मिली स्वायत्ता में वो रच बस गए थे। यही वजह थी कि वहां के लोगों को उसके और आगे बढ़ने की उम्मीद थी। इसकी एक वजह ये भी थी कि वहां पर उनकी अपनी करेंसी है और वहां पर चीन की मुद्रा नहीं चलती है। लेकिन धीरे-धीरे चीन ने उसको काफी हद तक खत्म कर दी है। चीन की रणनीति उसके महत्व को पूरी तरह से खत्म कर देने की है। चीन अपने विरोधी ताकतों को वहां से हटाना चाहता है। यही वजह है कि वहां पर लगातार अपने कानून थोपता जा रहा है, जबकि हांगकांग का बेसिक लॉ अलग है।
चीन के लिए बनेगी परेशानी
उनके मुताबिक हांगकांग में काफी समय से हो रहे प्रदर्शन इस बात का सुबूत हैं कि वहां के लोग चीन की सरकार और वहां की नीतियों के सख्त विरोधी हैं। इतना ही नहीं वे खुद को चीनी कहलाना भी पसंद नहीं करते हैं। चीन अपने खिलाफ होने वाले किसी भी प्रदर्शन को बेहद बेरहमी से कुचलता रहा है। उनके मुताबिक चीन का हांगकांग से ये गतिरोध जल्द खत्म होने वाला नहीं है। ऐसे में निश्चित तौर पर चीन के लिए दुखदायी साबित होगा। इससे उसकी वैश्विक मंच पर छवि भी जरूर खराब होगी।
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