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अंतरिक्ष में दबदबा रखने वाला सुपर पावर बनना चाहता है चीन, भेजे दो नए सैटेलाइट

चीन अंतरिक्ष में सुपर पावर बनना चाहता है इसलिए वो उपग्रह में नए-नए सैटेलाइट भेज रहा है। रविवार को चीन ने दो नए सैटेलाइट भेजे हैं।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Mon, 18 Nov 2019 03:53 PM (IST)Updated: Mon, 18 Nov 2019 03:53 PM (IST)
अंतरिक्ष में दबदबा रखने वाला सुपर पावर बनना चाहता है चीन, भेजे दो नए सैटेलाइट
अंतरिक्ष में दबदबा रखने वाला सुपर पावर बनना चाहता है चीन, भेजे दो नए सैटेलाइट

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। चीन अंतरिक्ष में सुपर पावर बनना चाहता है इसी दिशा में अंतरिक्ष में वो नए उपग्रह भेजता रहता है। रविवार को चीन ने अंतरिक्ष में दो नए सैटेलाइट भेजे हैं। चीन की ओर से उत्तर पश्चिम चीन के जियुकान सैटेलाइट लॉन्च सेंटर से इसे भेजा गया है।

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उपग्रहों के नाम 

चीन की ओर से जो दो वैश्विक मल्टीमीडिया उपग्रह भेजे गए हैं उनके नाम केएल-ए-ए और केएल-ए-बी, को कुआइझोउ -1 ए (केज -1 ए) है। इनको बीजिंग समय के अनुसार, एक वाहक रॉकेट द्वारा 6 बजे लॉन्च किया गया था।

अंतरराष्ट्रीय सहकारी वाणिज्यिक परियोजनाएं 

चीन की ओर से जो दो उपग्रह भेजे गए हैं उनमें अंतरराष्ट्रीय सहकारी वाणिज्यिक परियोजनाएं शामिल हैं। चीनी विज्ञान अकादमी की ओर से नई अकादमी की ओर से इसे डेवलप किया गया है। इसे चीनी विज्ञान अकादमी के माइक्रोसैटेलाइट्स के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। वे मुख्य रूप से का-बैंड संचार प्रौद्योगिकी परीक्षण के लिए उपयोग किए जाते हैं। फिलहाल इसे एक जर्मन कंपनी इस्तेमाल करेगी।

कम लागत वाला ठोस ईंधन वाहक रॉकेट 

KZ-1A उच्च विश्वसनीयता और कम तैयारी की अवधि के साथ कम लागत वाला ठोस ईंधन वाहक रॉकेट है। चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड इंडस्ट्री कॉरपोरेशन के तहत एक कंपनी द्वारा विकसित किए गए रॉकेट का इस्तेमाल मुख्य रूप से कम-ऑर्बिट माइक्रोसैटेलाइट्स लॉन्च करने के लिए किया जाता है।  

पहली बार समुद्री पोत से रॉकेट लॉन्च करने में कामयाबी 

इससे पहले चीन ने पहली बार समुद्री पोत से सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में रॉकेट लॉन्च किया है। इस कदम से बीजिंग ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया है। शानडोंग प्रांत में येलो सी (पीले सागर) में तैरते प्लेटफॉर्म से सॉलिड प्रोपेलेंट कैरियर राकेट लॉन्ग मार्च-2 अंतरिक्ष के लिए रवाना किया था। यह चीन का समुद्र में स्थित प्लेटफॉर्म से पहला और लॉन्ग मार्च कैरियर राकेट श्रृंखला का 306वां अभियान था।

सुपर पावर बनने की तैयारी 

चीन ने अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी पर अरबों डॉलर खर्च किए हैं और 2030 तक वह अंतरिक्ष में दबदबा रखने वाला सुपर पावर बनना चाहता है। लॉन्ग मार्च-2 छोटे उपग्रहों को ले जा सकता है और एक ही समय में कई उपग्रहों को कक्षा तक पहुंचा सकता है। यह राकेट दो टेक्नोलॉजी प्रायोगिक और पांच व्यावसायिक उपग्रहों को अंतरिक्ष में लेकर गया है। रॉकेट के साथ भेजे गए दो उपग्रहों से हर मौसम में महासागरीय हवा की निगरानी करने में मदद मिलेगी। इससे तूफान की निगरानी में सुधार आएगा और चीन में सटीक मौसम पूर्वानुमान जारी किया जा सकेगा।


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