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ताइवान को हथियारों की आपूर्ति पर भड़का चीन, अब इन अमेरिकी कंपनियों पर लगाएगा बैन

अमेरिका और चीन के बीच तनातनी खत्‍म होने का नाम नहीं ले रही है। अमेरिका के कई सख्‍त फैसलों के बाद अब चीन ने पलटवार करते हुए बोइंग और लॉकहीड मार्टिन समेत अमेरिकी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 05:38 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 03:30 AM (IST)
ताइवान को हथियारों की आपूर्ति पर भड़का चीन, अब इन अमेरिकी कंपनियों पर लगाएगा बैन
चीन ने अमेरिकी की कई हथियार कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है।

बीजिंग, एपी। अमेरिका और चीन के बीच तनातनी खत्‍म होने का नाम नहीं ले रही है। अमेरिका के कई सख्‍त फैसलों के बाद अब चीन ने पलटवार करते हुए बोइंग (Boeing) और लॉकहीड मार्टिन (Lockheed Martin)समेत अमेरिकी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने की बात कही है। समाचार एजेंसी एपी ने चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान के हवाले से बताया है कि चीन अमेरिकी कंपनियों पर ताइवान को हथियारों की आपूर्ति करने को लेकर नाराज है जिसके चलते वह प्रतिबंध लगाएगा। 

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झाओ लिजियान (Zhao Lijian) ने कहा कि चीन के कदम से रेथियॉन भी प्रभावित होगी। हालांकि उन्‍होंने यह विवरण नहीं दिया कि कौन सी और क्‍या पाबंदियां लगाई जा सकती हैं। उन्‍होंने यह भी नहीं बताया कि चीन ये प्रतिबंध कब लगाएगा। बता दें कि चीन और ताइवान साल 1949 के गृहयुद्ध में विभाजित हो गए थे। मौजूदा वक्‍त में उनके बीच कोई भी कूटनीतिक रिश्ता नहीं है। वहीं चीन दावा करता है कि लोकतांत्रिक नेतृत्व वाला द्वीप उसके मुख्य भू-भाग का हिस्सा है। 

यही नहीं चीन इस क्षेत्र पर कब्जे के लिए कई बार हमले की धमकी भी दे चुका है। झाओ (Zhao Lijian) ने बताया कि चीन ने अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका की उन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है जो ताइवान को हथियारों की आपूर्ति कर रही थीं। 

अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने गत हफ्ते बताया था कि विदेश विभाग ने ताइवान को सेंसर, मिसाइल और टैंक समेत 1.8 अरब डॉलर (करीब 13 हजार करोड़ रुपये) के रक्षा सौदे को स्वीकृति दी है। ताइवान का अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों के साथ आधिकारिक तौर पर कोई राजनयिक संबंध नहीं है, लेकिन वाशिंगटन इस द्वीपीय क्षेत्र को अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए हथियार मुहैया कराता है। चीन को यह रास नहीं आता है और इसकी तीखी आलोचना करता है। 


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