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भारत के साथ पाकिस्तान के वार्ता प्रयास को चीन का समर्थन

भारत के साथ सभी विवादों को बातचीत के जरिये सुलझाने के पाकिस्तान के हर प्रयास को चीन का समर्थन है।

By TaniskEdited By: Published: Sun, 04 Nov 2018 07:46 PM (IST)Updated: Sun, 04 Nov 2018 09:02 PM (IST)
भारत के साथ पाकिस्तान के वार्ता प्रयास को चीन का समर्थन
भारत के साथ पाकिस्तान के वार्ता प्रयास को चीन का समर्थन

बीजिंग, प्रेट्र। भारत के साथ सभी विवादों को बातचीत के जरिये सुलझाने के पाकिस्तान के हर प्रयास को चीन का समर्थन है। साथ ही परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के पाकिस्तान के दावे का भी चीन समर्थन करता है। ये बातें चीन-पाकिस्तान के संयुक्त बयान में कही गई हैं। यह बयान पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और प्रधानमंत्री ली कछ्यांग से वार्ता के बाद जारी हुआ है। इमरान इन दिनों चीन यात्रा पर हैं। शनिवार को पाकिस्तान और चीन के बीच विकास योजनाओं के लिए 16 समझौते हुए थे।

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संयुक्त बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान के बातचीत के जरिये शांति स्थापित करने के प्रयास का चीन समर्थन करता है। भारत के साथ वार्ता, सहयोग और शांति स्थापित करने की पाकिस्तान की इच्छा की चीन प्रशंसा करता है।

चीन के अनुसार दोनों देशों के बीच रिश्ता आपसी सम्मान और बराबरी का होना चाहिए। भारत और पाकिस्तान के रिश्ते 2016 में उड़ी सैन्य अड्डे पर हुए आतंकी हमले के बाद से बिगड़े हुए हैं। उसी के बाद भारतीय सैनिकों ने पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। संयुक्त बयान में कहीं भी कश्मीर विवाद का जिक्र नहीं किया गया है।

हाल के वर्षो में चीन ने भारत और पाकिस्तान के संबंध सामान्य होने की वकालत की है। कश्मीर मसले को भी उसने शांतिपूर्ण ढंग से वार्ता के जरिये सुलझाने की वकालत की है। चीन खुद को क्षेत्रीय शांति का पक्षधर बताता है। भारत भी पाकिस्तान के साथ वार्ता के जरिये सभी विवाद निपटाना चाहता है। लेकिन वह वार्ता और आतंकी हमलों के साथ-साथ चलने का विरोधी है। ये हमले पाकिस्तानी सेना का समर्थन पाए आतंकी संगठन करवाते हैं।

संयुक्त बयान में पाकिस्तान ने दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) में चीन की प्रभावी भूमिका की आवश्यकता जताई है। ऐसा करके वह सार्क में भारत की प्रभावी भूमिका को संतुलित करना चाहता है। जबकि चीन एनएसजी में पाकिस्तान की दावेदारी का समर्थन कर उसे भारत के खिलाफ इस्तेमाल कर रहा है। भारत ने भी एनएसजी दावेदारी की है, 48 सदस्य देशों में सिर्फ चीन उसमें अड़ंगा लगा रहा है।


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