पृथ्वी के वायुमंडल में लौटेगी China की अंतरिक्ष प्रयोगशाला, जानिए- अंतरिक्ष एजेंसी ने क्या कहा?
चीन ने दावा किया है कि पृथ्वी को इससे कोई खतरा नहीं होगा।
बीजिंग, प्रेट्र। अंतरिक्ष में मौजूद चीन की प्रायोगिक प्रयोगशाला तियानगोंग-2 अपनी कक्षा से निकलकर धरती के वायुमंडल में फिर प्रवेश करने वाली है। चीन की अंतरिक्ष एजेंसी का दावा है कि इससे धरती को कोई खतरा नहीं है। इसका ज्यादातर हिस्सा पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करने के दौरान ही जल जाएगा। बचा हुआ हिस्सा दक्षिणी प्रशांत महासागर में गिरेगा।
चीन ने तियानगोंग-2 को दो साल के मिशन के लिए 15 सितंबर, 2016 को लांच किया था। 8.6 टन वजन वाली 10.4 मीटर लंबी इस प्रयोगशाला में विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़े कई प्रयोग किए गए। इस लैब में किसी यान में दोबारा ईंधन भर सकने वाली तकनीक का भी परीक्षण किया गया। चीन की अंतरिक्ष एजेंसी सीएमएसईओ ने शुक्रवार को कहा कि लैब और उसमें लगे उपकरण अब भी पूरी तरह क्रियाशील हैं।
यह लैब पृथ्वी पर मौजूद वैज्ञानिकों के नियंत्रण में है। प्रयोगशाला के लिए निर्धारित किए गए सभी कार्य समाप्त हो गए हैं। तियानगोंग-2 के दोबारा पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश की तैयारी शुरू हो चुकी है। यह सब पहले से तय योजना के मुताबिक हो रहा है। सीएमएसईओ ने इसके प्रशांत महासागर में गिरने की अभी कोई तारीख नहीं बताई है।
पिछले साल अप्रैल में तियानगोंग-1 लैब भी इसी तरह दक्षिणी प्रशांत महासागर में गिरी थी। लेकिन धरती के वायुमंडल में प्रवेश के दौरान वैज्ञानिकों ने उस पर नियंत्रण खो दिया था। तियानगोंग-1 और तियानगोंग-2 चीन की उस महत्वाकांक्षी परियोजना का हिस्सा है जिसके तहत वह साल 2022 तक पृथ्वी की बाहरी कक्षा में स्थायी प्रयोगशाला स्थापित करना चाहता है।