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उत्तर कोरिया तनाव के बीच चीन ने दक्षिण सागर में पांव पसारे

अमेरिका उत्तर कोरिया से तनाव कम करने में लगा है। उधर चीन ने अमेरिका की चिंताएं बढ़ा दी हैं। उसने दक्षिण चीन सागर में सैन्य तैनाती बढ़ा दी है। चीन ने शक्तिशाली रडार इस क्षेत्र में तैनात किए हैं।

By Jagran News NetworkEdited By: Published: Fri, 15 Dec 2017 05:57 PM (IST)Updated: Fri, 15 Dec 2017 05:57 PM (IST)
उत्तर कोरिया तनाव के बीच चीन ने दक्षिण सागर में पांव पसारे
उत्तर कोरिया तनाव के बीच चीन ने दक्षिण सागर में पांव पसारे

वाशिंगटन, रायटर। इधर अमेरिका और बाकी दुनिया का ध्यान उत्तर कोरिया की ओर था, उधर चीन ने दक्षिण चीन सागर में सैन्य तैनाती बढ़ा दी। चीन ने इस अति महत्वपूर्ण सागर क्षेत्र के कृत्रिम द्वीपों पर पिछले एक साल में शक्तिशाली रडार से लेकर कई तरह के अत्याधुनिक सैन्य उपकरणों की तैनाती की है। यह जानकारी एक अमेरिकी थिंक टैंक ने दी है।

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 दुनिया में समुद्रों की स्थिति पर नजर रखने वाली अमेरिकी संस्था सेंटर फॉर स्टै्रटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के मुताबिक स्पार्टली और पार्सल द्वीपों की 72 एकड़ जमीन पर इन उपकरणों की तैनाती की गई। संस्था को ताजा जानकारी उपग्रह से प्राप्त फोटो से मिली है। इन द्वीपों पर कब्जे को लेकर चीन का अपने पड़ोसी देशों से विवाद चल रहा है। पड़ोसी देशों के साथ अमेरिका ने भी चीन के इन कब्जों को अवैध ठहराते हुए उसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया था। शुक्रवार को इस बाबत पूछे गए एक सवाल के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ल्यू कांग ने कहा, चीन का अपने क्षेत्र में निर्माण सामान्य घटना है। अपनी सुरक्षा के लिए चीन अगर अपने क्षेत्र में सैन्य उपकरणों की तैनाती कर रहा है तो उसमें कुछ भी गलत नहीं है। कुछ लोगों को राई का पहाड़ बनाने की आदत होती है, वे यही कर रहे हैं।

संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ महीनों में स्पार्टली द्वीप पर निर्माण कार्य करके चीन ने वहां पर शक्तिशाली रडार लगाया है। जबकि पार्सल द्वीप में नया हेलीपैड बनाया गया है और विंड टरबाइन लगाई गई हैं। दक्षिण चीन सागर में चीन की इस हरकत को देखते हुए अमेरिकी युद्धपोत अक्सर वहां का दौरा करते रहते थे और अमेरिका इस क्षेत्र को अंतरराष्ट्रीय यात्रा मार्ग कहता था। लेकिन उत्तर कोरिया विवाद बढ़ने से अमेरिका के लिए चीन की उपयोगिता बढ़ गई। उसके बाद अमेरिकी युद्धपोतों के दौरे कम हो गए। अमेरिका का ध्यान उत्तर कोरिया में केंद्रित हो गया।

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