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डेमोक्रेसी समिट पर चीन आगबूबला, अमेरिका पर लोकतंत्र को जनसंहार के हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का लगाया आरोप

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की ओर से डेमोक्रेसी समिट के आयोजन पर चीन आगबबूला हो गया है। चीन का कहना है कि अमेरिका लोकतांत्रिक सुधारों पर जोर देता रहा है जिसके विनाशकारी परिणाम हुए हैं। जानें चीन ने क्‍या कहा...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sat, 11 Dec 2021 05:15 PM (IST)Updated: Sat, 11 Dec 2021 05:15 PM (IST)
डेमोक्रेसी समिट पर चीन आगबूबला, अमेरिका पर लोकतंत्र को जनसंहार के हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का लगाया आरोप
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की ओर से डेमोक्रेसी समिट के आयोजन पर चीन आगबबूला हो गया है।

बीजिंग, पीटीआइ। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की ओर से डेमोक्रेसी समिट के आयोजन पर चीन आगबबूला हो गया है। चीन का कहना है कि लोकतंत्र के नाम पर टकराव को भड़काना इतिहास में लौटने जैसा कदम है। इससे दुनिया में विभाजन, उथल-पुथल और आपदा के अलावा कुछ भी हास‍िल नहीं होगा। इसके साथ ही चीन ने इस शिखर सम्‍मेलन की आलोचना करते हुए अमेरिका पर लोकतंत्र को जनसंहार के हथियार के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उसने कहा कि थोपे गए अमेरिकी मूल्‍यों के भयावह परिणाम हुए हैं।

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दरअसल चीन के राष्‍ट्रपति शी चिनफिंग पर तानाशाही, असंवेदनशी और अमानवीय होने के आरोप लगते रहे हैं। शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न और उनके नरसंहार की कई रिपोर्टें भी सामने आ चुकी हैं। हाल ही में अभियानकर्ताओं और वकीलों के एक अनौपचारिक ट्रिब्यूनल ने शिनजियांग प्रांत में उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न और मानवता के प्रति अपराध के लिए चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग को जिम्मेदार ठहराया है। खास तौर पर अमेरिका की ओर से उइगर मुसलमानों के उत्पीड़न को लेकर चीन को कटघरे में खड़ा किया जाता रहा है।

यही नहीं हांगकांग में लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍थाओं को कुचलने के लिए भी चीन को जिम्‍मेदार ठहराया जाता रहा है। अमेरिका ने ताइवान को आमंत्रित किया जबकि चीन और रूस को इस सम्‍मेलन में नहीं बुलाया। अमेरिका की ओर से ताइवान को तरजीह देने के चलते चीन भड़का हुआ है। चीन ने इसे 'वन चाइना' नीति का घोर उल्लंघन बताते हुए कहा कि उसके उभरते दबदबे को रोकने और अलग-थलग करने के लिए अमेरिका ने इस सम्मेलन का आयोजन किया है। अमेरिका इसके द्वारा नए मोर्चा खड़ा करने की कोशिश कर रहा है।

अमेरिका की मेजबानी में आयोजित इस दो दिवसीय शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित 100 से अधिक नेताओं ने भाग लिया। यह सम्मेलन मानवाधिकारों की रक्षा करने, निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने और भ्रष्टाचार से लड़ने में प्रगति का मूल्यांकन करने के आह्वान के साथ संपन्न हुआ। चीनी विदेश मंत्रालय को मानवाधिकारों के हिमायत की बात संभवत: राश नहीं आई। उसने कहा कि अमेरिका अपनी राजनीतिक व्यवस्था और मूल्यों को दूसरों पर थोपता रहा है और लोकतांत्रिक सुधारों पर जोर देता रहा है जिसके विनाशकारी परिणाम हुए हैं।


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