चीन ने कहा- डोकलाम विवाद खत्म करने के लिए अच्छा माहौल बनाया गया था..
चीन ने यह गतिरोध के दो साल बाद श्वेत पत्र जारी कर कहा। श्वेत पत्र में भारत अमेरिका रूस और अन्य देशों के सैन्य विस्तार से तुलनात्मक स्थिति प्रस्तुत की गई है।
बीजिंग, प्रेट्र। चीन की सेना भारत से लगने वाली अपनी सीमा पर सुरक्षा और स्थिरता बढ़ाने का निरंतर प्रयास कर रही है। 2017 में डोकलाम में भारत के साथ बने गतिरोध को दूर करने के लिए भी उसने सकारात्मक वातावरण बनाया था। चीनी सेना ने यह बात चाइनाज डिफेंस इन न्यू एरा (नए युग में चीन की सुरक्षा) शीर्षक से जारी श्वेत पत्र में कही है।
श्वेत पत्र में भारत, अमेरिका, रूस और अन्य देशों के सैन्य विस्तार से तुलनात्मक स्थिति प्रस्तुत की गई है। भारत-चीन सीमा के बारे में श्वेत पत्र में कहा गया है कि वहां पर सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए चीनी सेना लगातार प्रयास कर रही है। उसने डोकलाम विवाद को भी खत्म करने के लिए सकारात्मक माहौल बनाया था। डोकलाम में भूटान के क्षेत्र में चीन के सड़क बनाने के विरोध में भारत ने इलाके में अपनी सेना तैनात कर दी थी।
दोनों देशों के सैनिकों के बीच निशस्त्र संघर्ष भी हुआ था। दोनों देशों के सैनिक महज 100 मीटर की दूरी पर करीब ढाई महीने तक जमे रहे थे। इस सड़क के निर्माण से उत्तर-पूर्वी राज्यों को जोड़ने वाली संकरी सी भारतीय सड़क की सुरक्षा खतरे में पड़ने की आशंका थी।
गतिरोध के चलते दोनों देशों के बीच युद्ध जैसे हालात बन गए थे। अंतत: चीन ने इलाके में सड़क निर्माण न करने का वचन दिया, इसके बाद भारतीय सेना मौके से हटी। इसके बाद दोनों देशों की सरकारों ने संबंध को ज्यादा विश्वसनीय बनाने का फैसला किया। इतिहास में पहली बार भारत और चीन की अनौपचारिक शिखर वार्ता हुई।
2018 में वुहान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग मिले, दोनों नेताओं ने आपसी रिश्तों के विकास की नई रूपरेखा तैयार की। अनौपचारिक मुलाकात के सिलसिले को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रपति चिनफिंग इस वर्ष के अंत में भारत आएंगे।
उल्लेखनीय है कि भारत और चीन की सीमा 3,488 किलोमीटर लंबी है और कई स्थानों पर दोनों देशों के बीच विवाद है। इस विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से खत्म करने के लिए दोनों देश 21 बार बात कर चुके हैं।
श्वेत पत्र में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर सैन्य स्पद्र्धा बढ़ी है। ऐसे में नई चुनौतियों के हिसाब से सेना के चहुंमुखी विकास की आवश्यकता है। चीन इसके मद्देनजर कार्य कर रहा है। इसके लिए सेना को युद्ध के लिए ज्यादा बेहतर तरीके से तैयार किया जा रहा है।
अमेरिका का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि वह अपनी सेना को तकनीक और संस्थागत तरीके से बेहतर बनाने पर जोर दे रहा है जिससे दुनिया पर उसका अधिपत्य बना रह सके। बाकी देशों की सेनाएं भी तकनीक विकास के क्षेत्र में सक्रिय हैं।