BRI-CPEC Project: क्या पाकिस्तान और श्रीलंका में वित्तीय संकट के कारण BRI, CPEC परियोजना तो नहीं? चीन ने किया खारिज
चीन के अपने सबसे महत्वाकांक्षी परियोजना बीआरआई का बचाव किया है। थिंक टैंक ने कई रिपोर्टों को हवाला देते हुए बताया था कि श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देशों को कर्ज में डूबने के कारण इस परियोजना पर संकट मंडरा रहा है।
बीजिंग, एजेंसी। चीन ने अपनी सबसे महत्वकांक्षी परियोजना बीआरआई का बचाव करते हुए उस रिपोर्टों को खारिज कर दिया है, जिसमें कहा गया था कि श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देशों को वित्तीय संकट का सामना करने और दोनों देशों के चीन को कर्ज नहीं चुका पाने के कारण राष्ट्रपति शी चिंनफिंग की सबसे महत्वपूर्ण परियोजना बीआरआई और सीपीईसी को संकट का सामना करना पड़ रहा है।
कई देश कर्ज में डूबे
चीन की महत्वपूर्ण परियोजना पर कई रिपोर्टों का हवाला देते हुए थिंक टैंक ने कहा है कि बेल्ट एंड रोड़ इनिशिएटिव (BRI) और 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बनाए जा रहे चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) के कारण एशिया से अफ्रीका तक के देश इसके कर्ज में डूबे हुए हैं और इस परियोजना को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं। ये सभी देश कर्ज चुकाने से या तो मना कर रहे हैं या फिर असमर्थ दिख रहे हैं।
पाकिस्तान और श्रीलंका में वित्तीय संकट की मार
पाकिस्तान और श्रीलंका जैसे देश अपने यहां विदेशी मुद्राओं की कमी का सामना कर रहे हैं और आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से कर्ज की उपेक्षा कर रहे हैं। श्रीलंका पहले ही चीनी कर्ज सहित कुल 51 अरब अमेरिकी डॉलर के कर्ज में फंस चुका है, जबकि पाकिस्तान में वित्तीय संकट अने ही वाला है। हालांकि इस वित्तीय संकट से बचने के लिए पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से कर्ज की मांग कर रहा है।
चीनी राष्ट्रपति की सबसे प्रमुख परियोजना
बीआरआई और सीपीईसी दोनों परियोजना चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की सबसे महत्वकांक्षी परियोजना में से एक है। चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (CPC) द्वारा 5 साल के तीसरे कार्यकाल के दौरान कांग्रेस से इसका समर्थन मिलने की पूरी उम्मीद है। सीपीईसी को गुलाम कश्मीर के रास्ते बिछाया जा रहा है, जिसके कारण भारत चीन के सामने कई बार इसका विरोध कर चुका है।
चीनी विदेश मंत्रालय ने रिपोर्ट को किया खारिज
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने बीआरआई के द्वारा देशों को वित्तीय संकट में फंसने की रिपोर्टों का खंडन करते हुए मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीन ने जुलाई तक 149 देशों और 32 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ बीआरआई दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किया है। उन्होंने कहा कि हमारे पास एक ट्रिलियन युवान ( 147 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का निवेश है। 87 देशों के साथ चीन के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोगात्मक संबंध हैं।