अमेरिकी विशेषज्ञ ने चेताया, कहा- क्षेत्रीय तनाव का स्रोत बनेगा CPEC
अमेरिका की ओर से विवादित क्षेत्र से गुजरने वाले चीन की परियोजना सीपीइसी को समर्थन नहीं दिया जा सकता है।
वाशिंगटन (एएनआई)। वाशिंगटन स्थित आर्मी वॉर कॉलेज के एक एक्सपर्ट का कहना है कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा या सीपीईसी परियोजना से क्षेत्रीय तनाव में और इजाफा होगा।
डॉक्टर रॉबर्ट जी डारियस ने कहा, ‘विवादित क्षेत्र से गुजरने वाला सीपीइसी न केवल असुरक्षा बल्कि क्षेत्रीय तनाव का अतिरिक्त स्रोत बन जाएगा जिसकी जरूरत दुनिया के इस हिस्से में नहीं है जो पहले से ही तनावग्रस्त और अस्थिर है।
यूएस वॉर कॉलेज से संबंधित पूर्व विशेषज्ञ का यह विचार इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने यह संकेत दिया था कि अमेरिका की ओर से विवादित क्षेत्र से गुजरने वाले सीपीइसी को समर्थन नहीं दिया जा सकता है। अमेरिका ने बीजिंग में हुए वन रोड वन बेल्ट समिट को भी समर्थन नहीं दिया था। अमेरिका का मानना है कि दुनिया को एक नहीं बल्कि अनेक बेल्ट व अनेक रोड चाहिए।
अमेरिका और चीन CPEC पर सहमत नहीं हैं और डॉक्टर रॉबर्ट का यह सुझाव सीपीइसी के परिणामों को लेकर चेतावनी है जिसका सामना विवादित क्षेत्र गिलगिट-बाल्टिस्तान में सीपीइसी के निर्माण के बाद साउथ एशिया को करना पड़ेगा।
डॉ. रॉबर्ट के इन विचारों का समर्थन एम्सटर्डम के थिंक टैंक में रिसर्च अनालिस्ट जोसफिन डर्क्स ने किया है। उन्होंने कहा, ‘अधिक दिनों तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस बात पर आंखें मूंद कर नहीं रह सकतीं कि CPEC विवादित क्षेत्र गिलगट बाल्टिस्तान से गुजर रहा है जो कि वैध तौर पर विवादित राज्य जम्मू कश्मीर का हिस्सा है। इस बात को भी कोई नजर अंदाज नहीं कर सकता कि गिलगिट बाल्टिस्तान इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ पाकिस्तान के तहत नहीं आता। इसलिए यह कॉरिडोर अंतरराष्ट्रीय कानून व पाकिस्तान के अपने संविधान का उल्लंघन करता है।‘
उन्होंने आगे कहा, गिलगिट बाल्टिस्तान में इस प्रोजेक्ट से यहां की बड़ी मात्रा में प्राकृतिक स्रोतों जैसे सोना, तांबा, कोयला, लोहा और चांदी बर्बाद हो जाएंगे।‘
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