एशिया में शांति के लिए परमाणु हथियारों का प्रयोग नहीं करेंगे भारत, चीन और पाकिस्तान
एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि भारत, पाकिस्तान और चीन अपने हितों को देखते हुए परमाणु हथियारों का प्रयोग नहीं करेंगे।
वाशिंगटन (एएनआई)। हाल ही में भारत, चीन और पाकिस्तान की राजधानियों में कुछ कार्यशालाओं का आयोजन किया गया, जिसमें इस बात पर सहमति बनी कि तीनों देश स्वयं को मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में हितधारक के रूप में देखते हैं, और एक खुले आर्थिक परिवेश तथा बहुपक्षीय संस्थाओं के हितों के लिए प्रतिबद्ध हैं।
मैकआर्थर फाउंडेशन द्वारा समर्थित और वित्तपोषित एक रिपोर्ट जिसे गौरव कंपानी और भरत गोपालस्वामी द्वारा तैयार किया गया है, उसमें यह निष्कर्ष निकाला है कि इन तीनों में से कोई भी देश किसी भी तरह से अपने परमाणु हथियारों का प्रयोग नहीं करेगा क्योंकि तीनों देश स्वयं को "दूसरे परमाणु युग" के रूप में वर्णन करते हैं।
आपको बता दें कि 'पहले परमाणु युग' शब्द का प्रयोग पहली बार 1950 और 1960 में शीत युद्ध के वर्षों के दौरान हुआ था। कंपानी और गोपालास्वामी ने इस रिपोर्ट में कुछ महत्वपूर्ण चिंताओं पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। दोनों का मानना है कि इस क्षेत्र में सभी देशों की बढ़ती परमाणु संपन्नता क्षेत्र के लिए खतरनाक है लेकिन संस्थाओं के माध्यम से लगातार उन पर निगरानी हो रही है। रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया गया है कि चीन और भारत दोनों ही 'आक्रामक राष्ट्रवाद' का बढ़ावा दे रहे हैं। दोनों लेखकों ने चेतावनी दी है कि इस तरह के विचारों के बहुत ही खतरनाक परिणाम हो सकते है।
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