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अमेरिका पर नजरें गढ़ाए बैठा चीन, जल्द शीर्ष राजनयिकों का फेरबदल संभव

अमेरिका से निपटने के लिए चीन अपने शीर्ष राजनयिकों के फेरबदल की घोषणा कर सकता है। मार्च में होने वाली संसद की वार्षिक बैठक से बदलाव संभव।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Tue, 27 Feb 2018 12:45 PM (IST)Updated: Tue, 27 Feb 2018 01:01 PM (IST)
अमेरिका पर नजरें गढ़ाए बैठा चीन, जल्द शीर्ष राजनयिकों का फेरबदल संभव
अमेरिका पर नजरें गढ़ाए बैठा चीन, जल्द शीर्ष राजनयिकों का फेरबदल संभव

बीजिंग (रॉयटर्स)। अमेरिका पर चीन नजर गड़ाए हुए बैठा है। माना जा रहा है कि मार्च में होने वाली संसद की वार्षिक बैठक से पहले चीन अपने शीर्ष राजनयिकों के फेरबदल की घोषणा कर सकता है। सूत्रों के मुताबिक, बीजिंग की तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बढ़ते संदेह से निपटने के लिए ऐसा फैसला लिया जा सकता है। सूत्रों की माने तो संभवत: अमेरिका के साथ संबंधों को संभालने के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने करीबी वांग किशन को वाइट प्रेसिडेंट की जिम्मेदारी सौंप सकते हैं। वांग को सीधे राष्ट्रपति जिनपिंग को रिपोर्ट करना होगा।

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कहा जा रहा है कि मौजूदा विदेश मंत्री वांग यी राज्य के शीर्ष राजनयिक और स्टेट काउंसिलर यांग जिची की जगह ले सकते हैं। तुलना की जाए तो स्टेट काउंसिलर का पद मंत्रीपद से ज्यादा वरिष्ठ होता है, जो कैबिनेट को रिपोर्ट करता है। सूत्रों की माने तो इसके साथ ही वांग यी विदेश मंत्रालय का भी पद संभालते रहेंगे। हालांकि एक अन्य संभावना यह भी है कि कम्युनिस्ट पार्टी के अंतर्राष्ट्रीय मामलों के प्रमुख और राष्ट्रपति जिनपिंग के करीबी सांग ताओ को विदेश मंत्री की पद दिया जा सकता है।

बता दें कि सांग ताओ ने बतौर राजनयिक भारत और फिलीपींस में काम किया है। बताया जाता है कि सांग काफी अच्छी अंग्रेजी बोलते हैं। अक्टूबर में पोलित ब्यूरो में शामिल होने वाले यांग विदेशी मामलों की जिम्मेदारी के साथ वाइस प्रीमियर भी बन सकते हैं, या फिर चीन की संसद के डिप्टी हेड बनाए जा सकते हैं। जिसका मतलब होगा कि वह सीधे अमेरिकी कांग्रेस के साथ संपर्क कर सकते हैं। बता दें कि वांग किशन चीन के सबसे वरिष्ठ राजनयिक हैं। जिसके बाद यांग और वांग यी का नाम आता है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि आखिरी मिनट भी राजनयिक फेरबदल में बदलाव होने की पूरी संभावना है। फिलहाल किसको क्या जिम्मेदारी सौंपी जाएगी, इसपर भी सस्पेंस बना हुआ है।

पिछले साल नवंबर में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन की यात्रा पर गए थे। दोनों देशों के बीच व्यापार को लेकर खासकर तनाव की स्थिति बनी हुई है। हालांकि ट्रंप लंबे समय से चीन के साथ संतुलित व्यापार संबंधों चाहते हैं। हालांकि अमेरिका की बौद्धिक संपदा की रक्षा करने के लिए वह चीन को कई बार चेतावनी भी जारी कर चुका है। ऐसे में चीन राजनयिक फेरबदल की रणनीति पर का कर रहा है, ताकि अमेरिका पर नजर और ज्यादा गढ़ाई जा सके।


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