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सांस से लेने वाली कोरोना वैक्सीन बनाने का चीन का दावा, कहा- 300 गुना तक बढ़ जाएगी एंटीबाडी

चीनी दवा कंपनी द्वारा हाल ही में कराए गए लैब अध्ययन के मुताबिक यह बूस्टर डोज कोरोना रोधी वैक्सीन की दोनों डोज के छह महीने बाद लेने पर अत्यधिक सुरक्षित और प्रभावी पाई गई है। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक इससे 300 गुना तक एंटीबाडी का स्तर बढ़ सकता है।

By Monika MinalEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 06:30 AM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 06:30 AM (IST)
सांस से लेने वाली कोरोना वैक्सीन बनाने का चीन का दावा, कहा- 300 गुना तक बढ़ जाएगी एंटीबाडी
चीन ने सांस से लेने वाली कोरोना वैक्सीन बनाने का किया दावा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

बीजिंग, आइएएनएस।  चीन (China) की कैन सिनो बायोलाजिक्स (CanSino Biologics) ने सांस से लेने योग्य (inhalable ) एक कोरोना वैक्सीन विकसित की है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी का दावा है कि यह बूस्टर डोज के रूप में लेने पर यह वैक्सीन एंटीबाडी के स्तर को 250 से 300 गुना तक बढ़ा देती है। चीनी दवा कंपनी द्वारा हाल ही में कराए गए लैब अध्ययन के मुताबिक यह बूस्टर डोज कोरोना रोधी वैक्सीन की दोनों डोज के छह महीने बाद लेने पर अत्यधिक सुरक्षित और प्रभावी पाई गई है। ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक सामान्य कोरोना वैक्सीन को बूस्टर डोज के रूप में लेने पर 300 गुना एंटीबाडी का स्तर बढ़ता है।

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चीनी ड्रग निर्माताओं द्वारा कराए गए नवीनतम अध्ययनों के अनुसार, वैक्सीन की दो डोज लेने के छह माह बाद एयरोसोल के तौर पर सांस में लिए जाने वाले एडिनोवायरस टाइप-5 वेक्टर आधारित Covid-19 वैक्सीन (Ad5-nCoV) को लेना सुरक्षित है। CanSinoBIO के कोफाउंडर और चीफ साइंटिफिक आफिसर झु ताओ (Zhu Tao) ने टर्की में कराए गए अध्ययन का हवाला दिया जिसके डाटा में mRNA वैक्सीन का बूस्टर डोज पश्चिमी देशों में व्यापक तौर पर इस्तेमाल किया गया है।

इसी साल चीन में बच्चों के लिए सिनोवैक बायोटेक (Sinovac Biotech) कोरोनावायरस वैक्सीन (Coronavirus vaccine) लगाने की आपात मंजूरी दे दी गई। तीन साल तक के बच्चों को वैक्सीन लगाने की अनुमति देने वाला चीन पहला प्रमुख देश बन गया है। बता दें कि वर्ष 2019 के अंत में पहला कोरोना वायरस संक्रमण का मामला चीन के वुहान में ही आया था और दो से तीन माह के भीतर इसने पूरी दुनिया के आने चपेट में ले लिया। मार्च 2020 में इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने महामारी घोषित कर दिया। इस महामारी की गंभीरता को देखते हुए तमाम देश प्रयोग और शोध में जुट गए। इसके परिणामस्वरूप 2020 के अंत तक कोरोना रोधी वैक्सीन विकसित किया गया और अब  कोरोना से बचने के लिए दुनियाभर के देशों में तेजी से वैक्सीनेशन किया जा रहा है।


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