चीन ने की चंद्रमा के अनदेखे हिस्से की पड़ताल, धरती और चांद से जुड़ी कई गत्थियां सुलझने की उम्मीद
चांद के बाकी हिस्सों से अलग है इसकी रासायनिक संरचना। धरती के विकासक्रम से जुड़े कई राज खुलने की भी उम्मीद जताई जा रही है।
बीजिंग, पीटीआइ। चीन के अंतरिक्ष यान चांग ई-4 ने चांद के अनदेखे हिस्से की पड़ताल शुरू कर दी है। चांग ई-4 की मदद से चांद के इस हिस्से की सतह के रासायनिक और खनिज घटकों को लेकर व्यापक जानकारी मिली है। इससे आने वाले दिनों में धरती और चांद के विकासक्रम से जुड़ी कई गुत्थियों के सुलझने की भी उम्मीद है।
चांग ई-4 दुनिया का पहला यान है, जो चांद के दूसरी तरफ के हिस्से पर उतरा है। यह हिस्सा धरती से नहीं दिखाई देता है। चांग ई-4 यान को पिछले साल आठ दिसंबर को सिचुआन प्रांत के शिचांग सेटेलाइट लांच सेंटर से मार्च-3बी रॉकेट की मदद से लांच किया गया था। इसने तीन जनवरी को चांद पर सफल लैंडिंग की थी। इस अभियान से जुड़ी टीम का कहना है कि जिस जगह यान उतरा है, वहां की मिट्टी में ओलिविन और पायरोक्सिन के प्रमाण मिले हैं। चांद के अन्य हिस्सों की चट्टानों के रासायनिक घटकों की तुलना में यह अलग है।
वैज्ञानिक अभी यान से मिले डाटा का विस्तृत अध्ययन कर रहे हैं। आने वाले दिनों एक अन्य यान भेजकर चांद के इस अनदेखे हिस्से से मिट्टी का नमूना भी धरती पर लाने की योजना है। वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद और धरती की सतह में कई समानताएं हैं। ऐसे में चांद की सतह के बारे में मिलने वाली जानकारियां धरती और चांद के विकासक्रम को समझने में मददगार हो सकती हैं।
सबसे बड़े इंपैक्ट क्रेटर में उतरा है यान
चांग ई-4 ने चांद के जिस साउथ पोल-एटकेन बेसिन को अध्ययन के लिए चुना है, वह हमारे सौरमंडल के सबसे बड़े ज्ञात इंपैक्ट क्रेटर में से है। किसी ग्रह, उपग्रह या खगोलीय पिंड पर किसी छोटे पिंड के टकराने से बनी घाटी को इंपैक्ट क्रेटर कहा जाता है। चांद के इस क्रेटर का व्यास तकरीबन 2,500 किलोमीटर और गहराई करीब 13 किलोमीटर है। अनुमान के मुताबिक, यह क्रेटर कम से कम 3.9 अरब साल पुराना है। यान इस विशाल घाटी में स्थित 180 किलोमीटर चौड़े वोन कारमेन क्रेटर में अध्ययन कर रहा है।
संपर्क स्थापित करना भी है चुनौती
चांद के इस अनदेखे हिस्से पर भेजे गए यान और धरती पर स्थित केंद्र के बीच संपर्क स्थापित करना भी किसी चुनौती से कम नहीं है। यान और धरती के बीच संपर्क के लिए चीन ने पिछले साल मई में ही क्यूकिआओ नाम का एक रिले सेटेलाइट लांच कर दिया था।
क्यों अनदेखा है हिस्सा?
चांद अपनी धुरी पर इस तरह से घूमता है कि इसका 41 फीसद हिस्सा धरती से कभी नहीं दिखता। इस हिस्से के बारे में कोई जानकारी नहीं होने के कारण इसे 'डार्क साइड' भी कहा जाता है। हालांकि यह हिस्सा अंधेरे में नहीं है। चांद के दोनों हिस्सों पर सूर्य की बराबर रोशनी पड़ती है और दोनों हिस्सों पर धरती के हिसाब से करीब दो-दो हफ्ते के दिन-रात होते हैं।
लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप