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डोकलाम पर भूटान को पटाने में जुटा चीन

डोकलाम विवाद के बाद पहली बार चीन के उप विदेश मंत्री कांग जुआन्यौ ने भूटान का दौरा किया।

By Srishti VermaEdited By: Published: Wed, 25 Jul 2018 02:15 PM (IST)Updated: Wed, 25 Jul 2018 02:15 PM (IST)
डोकलाम पर भूटान को पटाने में जुटा चीन
डोकलाम पर भूटान को पटाने में जुटा चीन

बीजिंग (आइएएनएस)। भारत के साथ 73 दिनों तक सैन्य तनातनी का कारण बने सीमावर्ती डोकलाम पर भूटान को पटाने के काम में चीन जुट गया है। इस विवाद के बाद पहली बार चीन के उप विदेश मंत्री कांग जुआन्यौ ने भूटान का दौरा किया। राजधानी थिंपू में दो दिन गुजार कर कांग मंगलवार को बीजिंग पहुंचे। सूत्रों के अनुसार, चीन के उप विदेश मंत्री ने थिंपू में भूटान के नेतृत्व के साथ डोकलाम सहित अन्य सभी सीमाई विवादों पर विस्तार से चर्चा की। इस दौरान द्विपक्षीय समझौतों की समीक्षा के साथ कुछ नए समझौतों पर भी दस्तखत किए गए। कांग ने भूटान को वन बेल्ट-वन रोड में हिस्सेदार बनने के लिए भी आमंत्रित किया।

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बता दें कि डोकलाम में भूटान ने चीन के सड़क बनाने का विरोध किया था। चूंकि यह क्षेत्र भारत के उत्तर-पूर्वी इलाके से रणनीतिक तौर पर नजदीक है, इसलिए उसने भी इसका विरोध किया था। इसके चलते चीन और भारत के बीच 73 दिनों तक तनातनी बनी रही।

हालांकि चीन और भूटान में कूटनीतिक रिश्ते नहीं हैं, पर दोनों देशों के अधिकारी यात्रओं के माध्यम से संबंध बनाए रखते हैं। चीन के विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता गेंग सुवांग ने कहा कि कांग जुआन्यौ भूटान में 22 से 24 जुलाई तक रहे। इस दौरान उनके साथ भारत में चीन के राजदूत लुओ झाऊही भी मौजूद थे। चीनी विदेश मंत्रलय के मुताबिक, दोनों देशों ने सीमाई विवाद सुलझाने के लिए आपसी बातचीत पर सहमति जताई। भूटान ने राष्ट्रपति सी चिनफिंग की ‘वन बेल्ट, वन रोड’ परियोजना द्वारा की गई सकारात्मक प्रगति का स्वागत किया है।

भूटान के अधिकारियों के साथ अपनी वार्ता में कांग ने कहा कि चीन भूटान के साथ पारंपरिक मित्रवत संबंधों को बहुत महत्व देता है ओर हमेशा भूटान की आजादी, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करता है। कांग ने अपनी यात्र के दौरान चौथे और पांचवें राजा (जिग्मे सिंघे वांगचुक और जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक) और प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे से भी मुलाकात की।

चीन ने तिब्बती छात्रों के धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने पर लगाई पाबंदी

चीन ने स्वायत्त क्षेत्र तिब्बत में ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान छात्रों के धार्मिक कार्यक्रमों में भाग लेने पर पाबंदी लगा दी है। चीन में सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के आधिकारिक अखबार ग्लोबल टाइम्स ने ल्हासा के एक शिक्षा अधिकारी के हवाले से यह जानकारी दी है। अधिकारी का कहना है कि छात्रों से इस संबंध में एक समझौते पर हस्ताक्षर भी कराए गए हैं। वह अपने अभिभावक और शिक्षकों की देख-रेख में इस नियम का पालन कर रहे हैं।

माना जा रहा है कि चीन ने यह कदम मुख्य रूप से बौद्ध धर्म मानने वाले हिमालयी क्षेत्र पर सख्ती बढ़ाने के लिए किया है। वह तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा को अलगाववादी मानता है और उनका प्रभाव खत्म करना चाहता है। तिब्बत से निर्वासित दलाई लामा भारत में रह रहे हैं। चीन दावा करता है कि तिब्बत पिछली सात शताब्दियों से उसका हिस्सा है।


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