आतंकी मसूद को बचा रहा चीन, मुस्लिमों पर अत्याचार करने में सबसे आगे, जानें- क्या है वजह
मसूद मामले में चीन पहले ही दुनिया भर में आलोचना का शिकार हो रहा है। अब मुसलमानों को लेकर चीन का दोहरा चेहरा बेनकाब हुआ है। इसके बाद उसकी जगह-जगह आलोचना हो रही है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। ड्रैगन की पैंतरेबाजियों को समझना बहुत मुश्किल है। केवल भारत के लिए ही नहीं, बल्कि उसके खास दोस्त पाकिस्तान के लिए भी। आलम ये है कि चीन एक तरफ जैश-ए-मुहम्मद सरगना आतंकी मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बचा रहा है। वहीं दूसरी तरफ चीन खुद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में रह रहे आम मुस्लिम नागरिकों पर कहर बरपा रहा है। इसकी वजह पाकिस्तान के मुस्लिम कट्टरपंथियों या कहें पाक सरजमीं पर पल रहे आतंकियों से उसका डर है। अमेरिकी आयोग के अनुसार चीन अपने देश में बेहद गोपनीय तरीके से अल्पसंख्यकों (मुस्लिमों) का सबसे बड़ा कैदखाना चला रहा है। इसका मकसद इस्लाम के रास्ते से मुसलमानों को हटाना है।
पाकिस्तानी पतियों की चीनी पत्नियों पर जुल्म
न्यूज एजेंसी एएफपी के अनुसार वर्ष 2017 में पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थिति बल्तिस्तान में रहने वाले मुस्लिमों ने चीन के खिलाफ शिकायत दी थी। इन शिकायों में चीन पर आरोप लगाया गया था कि पाकिस्तानियों पतियों की चीनी पत्नियों को शिनचियांग प्रांत में अवैध तरीके से गिरफ्तार कर लिया जा रहा है। यहां कैद की गई 40 महिलाओं को दो साल बाद चीन ने रिहा तो कर दिया, लेकिन वह धार्मिक मान्यताओं को त्याग चुकी थीं। इन चीनी महिलाओं ने पाकिस्तान के गिलगित बल्तिस्तान इलाके में शादी की थी। इसके बाद चीन ने इन महिलाओं को शिनजियांग के कैदखाने में रखकर काफी अत्याचार किया गया और तरह-तरह की यातनाएं दी गईं। इतना ही नहीं इन कैदखानों में रहने वाली महिलाओं को जबरन सुअर का मांस खिलाया गया और शराब पिलाई गई, जिसे कि इस्लाम में हराम माना जाता है। चीन ने ऐसा केवल इसलिए किया है, क्योंकि उसे संदेह है कि गिलगित बल्तिस्तान से ताल्लुक रखने वाली महिलाओं का पाकिस्तान के इस्लामी कट्टरवादी समूहों से संबंध हो सकता है।
यहां चीन और पाक में रह हैं पारिवारिक संबंध
गिलगित बल्तिस्तान, पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर का उत्तरी इलाका है। गिलगित बल्तिस्तान और चीन के शिनचियांग प्रांत के बीच लंबे समय से ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और पारिवारिक संबंध रहे हैं। दोनों इलाकों के लोग आपस में शादियां भी करते हैं। जानकारों के अनुसार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी गतिविधियां बढ़ने के साथ ही चीन ने यहां के मुस्लिम नागरिकों पर कड़ी निगरानी रखनी शुरू कर दी थी। चीन को हमेशा डर सताता है कि यहां के लोगों का पाकिस्तान में पनप रहे इस्लामी क्ट्टरवादी समहूों से संबंध हो सकता है। ऐसे में चीन को हमेशा डर सताता है कि गिलगित बल्तिस्तान के कट्टरपंथी उसके देश में भी आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे सकते हैं। इसलिए चीन अपने यहां कि उन महिलाओं पर भी जुल्म करने से बाज नहीं आता, जिन्होंने पाकिस्तानी पुरुषों से शादी कर ली है।
रिहा होने के बाद भी जारी है जुल्म
चीन के गोपनीय कैदखाने से रिहा हुई एक महिला के पति ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया कि उनकी पत्नी को कैद में रखकर चीनियों ने सुअर का मांस खिलाया और शराबी जबरन शराब पिलाई। रिहा होने के बाद भी चीन का उनकी पत्नी समेत कैद में रखी गई अन्य महिलाओं पर जुल्म कामय है। चीन अब भी इन महिलाओं पर नजर रखता है। ऐसे में इन महिलाओं को अपनी धार्मिक मान्यताओं के विपरीत कुछ चीजें अब भी करनी पड़ती हैं, ताकि चीन का यह विश्वास बना रहे कि इसके मन में कोई मुस्लिम चरमपंथी विचार नहीं है। ये साबित करने के लिए, चीन की कैद से लौटी ज्यादातर महिलाओं ने इबादत छोड़ दी है और उनके ससुराल में अब कुरान की जगह अन्य किताबें मिलती हैं।
उईगर मुस्लिम पर भी जुल्म
चीन को केवल पाकिस्तानी मुस्लिमों से ही नहीं, बल्कि अपने देश में रह रहे मुस्लमानों से भी बहुत ज्यादा नफरत है। आलम ये है कि चीन ने अपने देश में रह रहे उईगर मुस्लिमों पर भी कई तरह के प्रतिबंध थोप रखे हैं। चीन में उईगर मुस्लिमों पर जुल्म की खबरें आम बात हो चुकी है। उईगर मुस्लिमों की बहुत सी मस्जिदों को तोड़ दिया गया है। उनकी धार्मिक गतिविधियों पर भी कई तरह के प्रतिबंध थोपे जा चुके हैं। उईगर मुस्लिमों की पहचान और उन पर नजर रखने के लिए चीन गैरकानूनी तरीके से जबरन उनकी बॉयोमैट्रिक जानकारियां एकत्र कर रहा है। ऐसा इसलिए, क्योंकि चीन अपने ही देश में रहने वाले उईगर मुस्लिमों को आतंकवादी मानता है।
दुनिया भर में हो रही आलोचना
एक तरफ चीन आतंकवाद के मुद्दे पर भी जैश-ए-सरगना के मुखिया मसूद अजहर को बचाने पर तुला है। मसूद अजहर को बचाने के लिए चीन किसी भी हद तक जाने को तैयार है। दूसरी तरफ चीन अपने देश में ही रह रहे उईगर मुस्लिमों पर जुल्म कर रहा है। अब चीन द्वारा पाकिस्तान में शादी करने वाली अपने ही देश की महिलाओं या पाकिस्तान में रह रहे अपने नागरिकों पर जुल्म करने की खबर ने अंतरराष्ट्रीय जगत के होश उड़ा दिए हैं। जानकारों का मानना है कि चीन गोपनीय डिटेंशन कैंपों के जरिए इस्लाम के रास्ते से मुसलमानों को हटाना चाहता है। अमेरिकी एजेंसी ने चीन में चल रहे डिटेंशन कैंपों को दुनिया में मौजूद अल्पसंख्यकों की सबसे बड़ कैदगाह घोषित कर चुका है। उईगर मुस्लिमों पर अत्याचार, आतंकवादी मसूद अजहर और अब गोपनीय डिटेंशन कैंपों को लेकर चीन की दुनिया भर में आलोचना हो रही है। बावजूद चीन अपने रुख पर अड़ा हुआ है। चीन सरकार शिनजियांग प्रांत में चल रहे इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ कार्रवाई को शांति स्थापित करने के लिए आवश्यक सुरक्षा कदम बताता है।
पाक पतियों ने बयां किया चीनी जुल्म का दर्द
न्यूज एजेंसी एएफपी ने ऐसे नौ पाकिस्तानी नागरिकों से बातचीत की है जिनकी पत्नियां हाल में चीन के डिटेंशन कैंपों से वापस लौटी हैं। गिलगित बल्तिस्तान के सरकारी प्रवक्ता फैज-उल्ला-फैज ने भी न्यूज एजेंसी से बातचीत में चीन की कैद से अधिकतर लोगों के रिहा होने की पुष्टि की है। कुछ व्यापारियों ने बताया है कि वह काम की वजह से पत्नियों को शिनचियांग प्रांत में ही छोड़ देते थे। वहां उनकी पत्नियों को सिर्फ इसलिए डिटेंशन कैंप में कैद कर लिया गया, क्योंकि उनका कनेक्शन पाकिस्तान से है। ये स्थिति बेहद चिंता जनक और स्थानीय लोगों में डर पैदा करने वाली है। न्यूज एजेंसी से बातचीत में कुछ व्यक्तियों ने बताया कि रिहाई के बाद भी उनकी पत्नियों को निर्देश दिए गए हैं कि तीन माह तक वह शिनचियांग से बाहर नहीं जा सकती, ताकि उन पर आसानी से नजर रखी जा सके। इस दौरान अगर चीन सरकार को थोड़ा भी संदेह होता है तो वह इन महिलाओं को दोबारा डिटेंशन कैंप में भेज देगी।
गिलगित बल्तिस्तान में सीपैक का विरोध
पाकिस्तान के अवैध कब्जे की वजह से गिलगित बल्तिस्तान अंतरराष्ट्रीय विवाद वाला इलाका है। ऐसे में अरबों डॉलर की लागत से बनने वाले सीपैक (चीन-पाकिस्तान कॉरिडोर) को लेकर भी विवाद जैसी स्थिति है। कॉरिडोर निर्माण के लिए 10 हजार से 20 हजार चीनी कर्मचारी इन दिनों गिलगित बल्तिस्तान में डेरा डाले हुए हैं। ये कॉरिडोर पाकिस्तान के ग्वादर बंदरगाह को चीन के कशगर शहर से जोड़ेगा। पाकिस्तान को उम्मीद है कि इससे गिलगित बल्तिस्तान समेत पूरे देशे में प्रगति होगी। वहीं गिलगित बल्तिस्तान के लोग इसका विरोध कर रहे हैं। दरअसल इस इलाके में रहने वाले ज्यादातर मुस्लिम शिया हैं, जबकि पाकिस्तान सुन्नी बाहुल्य देश है। यहां शिया-सुन्नी के बीच खूनी टकराव आम बात है।
ऐसे में गिलगित बल्तिस्तान के अल्पसंख्यक शियाओं को डर है कि कॉरिडोर बनने के बाद उन्हें अपनी जमीनें खोनी पड़ सकती हैं। उनकी आबादी और संस्कृति पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। पाकिस्तान का दावा है कि कॉरिडोर से गिलगित बल्तिस्तान में 18 लाख नौकरियों के अवसर पैदा होंगे, जिसका सीधा लाभ यहां के युवाओं को मिलेगा। हालांकि, इलाके के लोगों को पाकिस्तान के इस दावे पर भरोसा नहीं है। मालूम हो कि गिलगित बल्तिस्तान पाकिस्तान के सबसे ज्यादा साक्षरता वाले इलाकों में शामिल है। बावजूद बहुत बड़ी संख्या में यहां के युवा बेरोजगार हैं।