China destroying Tibetans: छद्म विकास के नाम पर तिब्बतियों को उजाड़ रहा चीन, क्यों सख्त हुए शी चिनफिंग
चीन हर सूरत में तिब्बतियों को निर्वासित करने पर तुला है। समाचार एजेंसी एएनआइ की रिपोर्ट के मुताबिक चीन विकास के नाम पर तिब्बतियों को उजाड़ने पर तुला है। राष्ट्रपति शी चिनफिंग तिब्बतियों के प्रति सख्ती अख्तियार कर रहे हैं।
ल्हासा, एजेंसी। साल 2018 के संवैधानिक संशोधन के जरिये राष्ट्रपति पद की दो कार्यकाल की सीमा समाप्त करने के बाद शी चिनफिंग तिब्बतियों के प्रति और सख्त हो गए हैं। चीनी राष्ट्रपति छद्म रूप से विकास के नाम पर तिब्बतियों को उनकी जड़ों से अलग कर उनकी संस्कृति को नष्ट करने का प्रयास कर रहे हैं।
पालिसी रिसर्च ग्रुप की रिपोर्ट के अनुसार, कब्जे वाले तिब्बती क्षेत्र में
चीन कई वर्षों से राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व में तिब्बतियों के अधिकारों का दमन कर रहा है। वह तिब्बतियों को इंसान के रूप में उनकी भावनाओं और विचार को नहीं समझता। वह बस उनका अपनी विस्तारवादी नीति के तहत उपयोग कर रहा है। वह आयोग बनाकर पर्यावरण व विकास के नाम पर उन्हें दूसरी जगह बसा रहा है। इस तरह से यह उनकी संस्कृति और एकता को नष्ट करने का प्रयास है।
राष्ट्रपति के दो कार्यकाल की सीमा को हटाया
चीन की राष्ट्रीय विधायिका नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनसीपी) ने 2018 में अनुच्छेद 45 में संशोधन कर राष्ट्रपति के दो कार्यकाल की सीमा को हटा दिया। इस तरह चीनी नेतृत्व ने स्पष्ट कर दिया अगले कार्यकाल के लिए शी चिनफिंग ही राष्ट्रपति रहेंगे। शायद जब तक रहना चाहें तब तक राष्ट्रपति रह सकते हैं।
27 वर्ष बाद भी चीन ने नहीं बताया, कहां हैं 11वें पंचेन लामा
चीन ने 27 वर्ष बाद भी नहीं बताया कि तिब्बत के 11वें पंचेन लामा कहां और किस अवस्था में हैं। तिब्बत प्रेस के अनुसार, लामा का चीन द्वारा जबरन अपहरण विश्व में अब तक के सबसे लंबे समय तक जबरन गायब होने के मामलों में से एक है। 10वें पंचेन लामा की मौत के बाद गेदुन चोइकी को 14 मई 1995 को 11वां पंचेन लामा चुना गया। इसके तीन बाद ही चीन सरकार ने उनका परिवार सहित अपहरण कर लिया। तब से उन्हें कभी नहीं देखा गया। वह जीवित भी हैं कि नहीं।