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नई नहीं है हिंद महासागर में चीनी युद्धपोतों की मौजूदगी, पहले भी दे चुका है दखल

चीन द्वारा पूर्वी हिंद महासागर में 11 युद्धपोतों की तैनाती करने के बाद भारत की चिंता बढ़ गई है। चीन ने यह कदम उस वक्‍त उठाया है जब मालद्वीप राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Wed, 21 Feb 2018 05:49 PM (IST)Updated: Thu, 22 Feb 2018 10:22 AM (IST)
नई नहीं है हिंद महासागर में चीनी युद्धपोतों की मौजूदगी, पहले भी दे चुका है दखल
नई नहीं है हिंद महासागर में चीनी युद्धपोतों की मौजूदगी, पहले भी दे चुका है दखल

नई दिल्‍ली [स्‍पेशल डेस्‍क]। चीन द्वारा पूर्वी हिंद महासागर में 11 युद्धपोतों की तैनाती करने के बाद भारत की चिंता बढ़ गई है। चीन ने यह कदम उस वक्‍त उठाया है जब मालद्वीप राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है और वहां पर आपातकाल का समय 30 दिनों के लिए आगे बढ़ा दिया गया है। जहां पर इन जहाजों की तैनाती की गई है वह भारत के न सिर्फ काफी करीब है बल्कि इस दौरान ऐसा वक्‍त भी आया जब भारतीय नौसेना के पोत और चीनी युद्ध पोत काफी करीब आ गए थे। मीडिया रिपोर्टर्स में यह बात भी सामने आई है कि इसके जवाब में भारत ने भी अपने 8 युद्धक जहाज हिन्द महासागर में भेजे हैं जो चीनी गतिविधियों पर नजर रख सकेंगे। यहां आपको बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है कि जब चीनी नौसेना के युद्धपोत हिंद महासागर में दिखाई दिए हों। इससे पहले चीन के करीब 14 युद्धपोत यहां पर दिखाई दिए थे। इसके अलावा अप्रेल और जुलाई में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला था।

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नौसेना प्रमुख का कड़ा सुर
चीन के इस रवैये पर भारतीय नौसेना प्रमुख सुनील लांबा ने कड़ा एतराज किया है। उनका कहना है कि चीन लगातार इस तरह की कार्रवाई को अंजाम दे रहा है वह चाहे हिंद महासागर में अपने युद्धपोत बेड़े को भेजना हो या फिर डोकलाम में अपनी सेना को भेजना। इस तरह के फैसले ने क्षेत्र में तनाव बढ़ाने का काम किया है। इसके अलावा उनहोंने भारत से लगी सीमा पर चीन द्वारा अपने पश्चिमी कमांड के तहत हवाई घेराबंदी करने पर भी कड़ी नाराजगी जताई है। यहां पर चीनी सेना ने हल्के और बहुआयामी युद्धक विमान जे-10 और सिंगल सीटर ट्विन इंजन फाइटर जेट जे-11 को तैनात किया है।

चीन का मालद्वीप में निवेश
आपको बता दें कि चीन ने मालद्वीप में भारी निवेश किया हुआ है और इन दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट भी हो रखा है। इतना ही नहीं मालद्वीप में चीन फ्रेंडशिप ब्रिज के साथ-साथ एक पोत का निर्माण भी कर रहा है। मालद्वीप चीन के लिए रणनीतिक तौर पर काफी मायने रखता है। ऐसा इसलिए है कि वह यहां से भारतीय नौसेना पर निगाह रख सकता है। इससे पहले वह श्रीलंका के हंबनटोटा में पूरी तरह से अपनी दखल दे चुका है। उसकी पूरी कोशिश हिंद महासागर में भारतीय नौसेना को सीमित करना और उस पर निगाह रखना है जो भारतीय रणनीति के हिसाब से काफी खतरनाक है।

चीन के बेड़े में शामिल पोत
चीन के न्यूज पोर्टल Sina.com.cn के मुताबिक, चीन ने जिन जहाजों को इस इलाके में भेजा है उनमें विध्वंसक पोतों के बेड़े के अलावा एक फ्रिजेट, 30,000 टन का एंफिबियस ट्रांसपोर्ट डॉक और तीन टैंकर शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि चीन के नौसेना पोतों में एक ऐसा पोत भी शामिल है जिस पर विमान, हेलिकॉप्टर उतर सकते हैं। इसमें कहा गया कि पीपल्स लिबरेशन आर्मी की नौसेना के तीन पोत पूर्वी, दक्षिण और पश्चिम हिंद महासागर में तीन मुख्य इलाकों में हैं।

पोर्टल में नहीं दिए कई बातों के जवाब
हालांकि इस पोर्टल में इनकी तैनाती या इनके यहां होने की वजह को मालद्वीप के राजनीतिक संकट से नहीं जोड़ा है और न ही इसका कोई ठोस कारण बताया है। पोर्टल ने यह भी नहीं बताया यह बेड़ा यहां कब तक रहेगा। हालांकि इस पोर्टल ने यह जरूर माना है कि जहां इनकी तैनाती की गई है, उस जगह से भारतीय और चीनी नौसेना के बीच फासला ज्यादा नहीं है। इनकी तैनाती को लेकर चीन की सेना पीएलए ने अपने सोशल मीडिया ऐप विबो पर भी जानकारी दी थी और कुछ फोटो पोस्‍ट किए थे।

पुरानी प्रतिद्वंदिता
मालदीव में प्रभाव को लेकर भारत और चीन के बीच प्रतिद्वंद्विता किसी से छिपी नहीं है। यामीन ने चीन के साथ बेल्ट एंड रोड परियोजना के लिए समझौता कर चीन का प्रभाव बढ़ने का संकेत दिया है। वहीं भारत का मालदीव के साथ लंबा राजनीतिक और सुरक्षा संबंध रहा है। भारत मालदीव में चीन की मौजूदगी का विरोध करता है। चीन बेल्ट एंड रोड पहल को लेकर एशिया और अफ्रीका के देशों के साथ समझौते कर रहा है।

मालद्वीप को लेकर चीन की भारत को सलाह
आपको बता दें कि मालद्वीप के राष्ट्रपति अब्दुल्लाह यामीन को चीन का करीबी माना जाता है। जबकि पूर्व राष्‍ट्रपति मोहम्‍मद नशीद को भारत के करीब माना जाता है। वह मालद्वीप में लगे आपातकाल के बाद भारत से सैन्‍य मदद की मांग तक कर चुके हैं। पिछले दिनों चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने लिखा था कि भारत को चीन के मालद्वीप के करीब जाने को संदेह की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। अखबार का कहना था कि जैसे भारत को किसी भी देश से संबंध बनाने और मजबूत करने का हक है वैसा ही हक मालद्वीप को भी है। भारत को इसका सम्‍मान करना चाहिए।

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