अमेरिकी गश्त के जवाब में चीन का लड़ाकू विमान, दक्षिण चीन सागर बना मुद्दा
अमेरिका इस क्षेत्र में हवाई और नौ परिवहन की स्वतंत्रता पर जोर देता रहा है। जबकि चीन क्षेत्र पर अपना दावा जताता है।
बीजिंग, पीटीआई। चीन ने हाल ही में रूस से हासिल एसयू-35 लड़ाकू विमानों को दक्षिण चीन सागर में तैनात किया है। चीन के इस कदम को क्षेत्र में अमेरिकी हवाई और नौसैनिक गश्त को चुनौती माना जा रहा है। अमेरिका इस क्षेत्र में हवाई और नौ परिवहन की स्वतंत्रता पर जोर देता रहा है। जबकि चीन क्षेत्र पर अपना दावा जताता है। हालांकि वियतनाम, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रूनेई और ताईवान के अपने-अपने दावे हैं।
चीन की वायुसेना ने एक बयान जारी कर कहा है कि हाल ही में दक्षिण चीन सागर के ऊपर संयुक्त युद्धक गश्त में हिस्सा लेने के लिए उसने अपने एसयू-35 लड़ाकू विमानों को भेजा था। इस क्षेत्र में अमेरिकी सेना भी समय-समय पर अपने युद्धपोत और लड़ाकू विमान भेजती रहती है।
ऐसा पहली बार है जब पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की वायुसेना ने अपने एसयू-35 लड़ाकू विमानों की तैनाती को सार्वजनिक किया है। हालांकि, वायुसेना ने यह नहीं बताया कि उसके विमानों ने यह गश्त कब की थी। बयान के मुताबिक, युद्धक अभ्यास में इन बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमानों की हिस्सेदारी से वायुसेना को लंबी कार्रवाई की क्षमताओं को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। वायुसेना अपनी युद्धक क्षमताओं में सुधार के लिए ऐसे प्रशिक्षणों को जारी रखेगी। चाइना आर्म्स कंट्रोल एंड डिस्आर्मामेंट एसोसिएशन के वरिष्ठ सलाहकार और मेजर जनरल सेवानिवृत्त झू गुयानग्यू ने सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स से कहा कि पीएलए के लड़ाकू विमानों की दक्षिण चीन सागर में उपस्थिति अमेरिकी उकसावे की प्रतिक्रिया है।
बता दें कि एसयू-35 एक ऐसा बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमान है जो जमीन और समुद्र दोनों स्थानों पर अपने लक्ष्यों को निशाना बना सकता है। रूस की सरकार कंपनी रोसटेक ने इससे पहले बताया था कि रूस और चीन के बीच 24 एसयू-35 विमानों के लिए करीब दो अरब अमेरिकी डॉलर का सौदा हुआ है।