COVID-19: चीन को देना होगा जवाब, खामियाजे को लेकर दुनिया करेगी सवाल
कोविड-19 को लेकर दुनिया के सामने चीन को हिसाब देना होगा। अब इसका समय आ गया है।
हांग कांग, एएनआइ। कोविड-19 के बाद अब चीन के सामने दूसरी मुसीबत है उन्हें दुनिया के तमाम देशों को हिसाब-किताब देना होगा क्योंकि घातक वायरस का सफर यहीं से शुरू हुआ था। पिछले साल दिसंबर में चीन के हुबेई प्रांत की राजधानी वुहान में कोरोना वायरस से संक्रमण का पहला मामला सामने आया था जिसने कुछ ही महीनों में दुनिया भर के देशों को अपने चंगुल में ले लिया। अब राष्ट्रपति शी चिनफिंग और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से हिसाब-किताब लेने के लिए दुनिया खड़ी है।
चीन को मजबूरन दो सत्र रद करना पड़ा। मार्च में आयोजित होने वाले वार्षिक नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (NPC) के साथ चीनी पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कांफ्रेंस को रद किया गया। इसके लिए किसी अगली तारीख का ऐलान भी नहीं किया गया है। 18 अप्रैल को चीन ने ऐलान किया था कि इसने संप्रभुता के अपने दावे को मजबूत करने के लिए पेरासेल द्वीप समूह और स्प्रैटली द्वीपों को प्रशासित करने के लिए दो जिलों के स्थापना की घोषणा की।
कई सालों से ऐसी चेतावनी चल रही थी कि दुनिया के देशों के लिए चीन बड़ा खतरा बनता जा रहा है जो इस महामारी ने काफी हद तक साबित भी कर दिया। चीन ने कोविड-19 के संक्रमण को काबू करने की जिम्मेदारी नहीं निभाई जिसके कारण पूरी दुनिया आज इस घातक वायरस के चपेट में है। पश्चिमी देशों के विशेषज्ञों का कहना है कि चीन और सत्ताधारी कम्युनिस्ट से अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसका खामियाजा मांग रहा है।
हालांकि चीन इतना सब होने के बावजूद खुद को कमजोर नहीं दिखाता और घरेलू चिंताओं को छिपाने की कोशिश करता है। चीन में आर्थिक दर के कम होने के साथ ही यहां की सप्लाई चेन भी प्रभावित होगी क्योंकि कई देश अब इसके साथ व्यापार संबंध तोड़ लेंगे। ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और अमेरिका चीन के खिलाफ कोविड-19 संकट की चपेट में आने की जांच की मांग कर रहे हैं।