चीन का दावा, भारत ने बीआरआइ पर दिखाई है दिलचस्पी
चीन ने दावा किया है कि भारत ने उसकी महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड परियोजना को लेकर रुचि दिखाई है।
बीजिंग (मनीष तिवारी)। चीन ने दावा किया है कि भारत ने उसकी महत्वाकांक्षी 'वन बेल्ट वन रोड' परियोजना को लेकर रुचि दिखाई है। यहां बुधवार को सामरिक, सुरक्षा और आर्थिक मामलों के लिहाज से चीन के सबसे बड़े थिंक टैंक चाइना सेंटर फार इंटरनेशनल इकोनामिक एक्सचेंज के दो बड़े नीति निर्माताओं ने एशिया के 10 देशों के 21 पत्रकारों के समक्ष पहले तो बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) के फायदे गिनाए और फिर यह उम्मीद भी जताई कि क्षेत्र के साझा विकास के लिए भारत जल्द इस परियोजना में शामिल होने के लिए राजी हो जाएगा।
बीजिंग में नेशनल डेवलपमेंट एंड रिफार्म सेंटर में बीआरआइ पर आयोजित बैठक में सीसीआइइइ की मुख्य अर्थशास्त्री चेन वेनलिंग ने कहा कि मैं पिछले साल मई में भारत के दौरे पर गई थी और तब वहां स्थानीय एजेंसियों (अधिकारियों) के साथ बातचीत में मुझे बीआरआइ को लेकर सकारात्मक संकेत मिले थे। चेन ने कहा कि भारत एशिया का एकमात्र देश है, जिसने हमारी इस परियोजना को स्वीकार नहीं किया है। उसकी कुछ शंकाएं हैं, खासकर पाकिस्तान-चीन इकोनामिक कॉरिडोर को लेकर नई दिल्ली की चिंताएं हैं। फिर भी हमें भरोसा है कि इन चिंताओें का समाधान हो जाएगा।
चेन के मुताबिक, बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को लेकर अमेरिका ने जिस तरह का नकारात्मक अभियान छेड़ रखा है उससे भी हमारी मुश्किलें बढ़ी हैं। अमेरिका ने इसे चीन के पड़ोसी देशों के लिए बीजिंग का डेथ ट्रैप बताया है। दावा किया है कि बीजिंग इस परियोजना का इस्तेमाल अपने सामरिक लक्ष्यों की पूर्ति के लिए कर रहा है। चेन और सीसीआइइइ के उपाध्यक्ष एवं पूर्व वाणिज्य उपमंत्री वेई जियांग्वो ने इन दोनों आरोपों को गलत बताते हुए बीआरआइ को साझा विकास की चीन की प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया। चेन के मुताबिक, बीआरआइ अब सहमति के दौर की ओर बढ़ रहा है और चीजें क्रियान्वयन के स्तर पर हैं।
वैसे चेन ने यह भी स्वीकार किया कि इस परियोजना को लेकर चीन से गलतियां हुई हैं, जिनसे बीजिंग ने सबक लिया है। उनका इशारा इंडोनेशिया और मलेशिया के रुख को लेकर है, जो धीरे-धीरे बीआरआइ से अलग हो रहे हैं। संभवत: चीन ने पहली बार अपनी किसी परियोजना को लेकर यह स्वीकार किया है कि उसने अपनी आलोचना से सबक सीखा है। चेन के मुताबिक, हमें कई देशों वाली परियोजनाओं को लेकर अनुभव नहीं था, इसलिए कुछ गलत समझौते हो गए। अब चीन सोच-समझकर समझौते कर रहा है। चीन का आरोप है कि बीआरआइ पर नकारात्मक खबरों के लिए अमेरिका ने पत्रकारों को उन देशों तक भेजा है जो बीआरआइ में शामिल हुए हैं। चेन के मुताबिक, अब तक बीआरआइ को लेकर 80 देशों के बीच लगभग सौ समझौते किए जा चुके हैं। चीन अब तक इस परियोजना पर भारी निवेश कर चुका है।
मंत्रालय जैसी ताकत रखता है नेशनल डेवलपमेंट एंड रिफार्म सेंटर
चीन में अपने देश के नीति आयोग (पूर्व में योजना आयोग) की तरह अगर कोई संस्था है तो नेशनल डेवलपमेंट एंड रिफार्म सेंटर। इस पर चीन की विकास योजनाओं के निर्माण की जिम्मेदारी है और सबसे खास बात यह है कि उसे एग्जिक्यूटिव पावर भी हासिल है। कुल मिलाकर इसे चीन का सबसे शक्तिशाली मंत्रालय माना जा सकता है। इसकी कई शाखाएं हैं, जो चीन में नीति निर्माण के लिए थिंक टैंक का काम करती हैं। इनमें चाइना सेंटर फॉर इंटरनेशनल इकोनामिक एक्सचेंज भी है। जेंग पेयिन इसके मौजूदा चेयरमैन हैं। इसमें ज्यादातर पदाधिकारी वे हैं जो पहले किसी न किसी रूप में चीन के शासन के अंग रह चुके हैं।