सऊदी अरब में नहीं गली पाकिस्तान की दाल, अब चीन की शरण में पहुंचे पाक विदेश मंत्री
बैठक में इस साल के अंत में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के पाकिस्तान दौरे को भी अंतिम रूप दिया जा सकता है।
बीजिंग, एजेंसियां। कश्मीर मुद्दे पर सऊदी अरब में पाकिस्तान की दाल नहीं गली तो चीन की शरण में जा पहुंचा। पाक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी दो दिनी यात्रा पर चीन पहुंचे हैं। दूसरे वार्षिक रणनीतिक संवाद के लिए लिए दोनों देशों के विदेश मंत्री हैनान के द्वीपीय रिजॉर्ट में मिलेंगे। इस दौरान चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) समेत कई क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने पर चर्चा होगी। बता दें कि सीपीईसी चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआइ) का हिस्सा है, जो बलूचिस्तान स्थित ग्वादर बंदरगाह को शिनजियांग प्रांत से जोड़ता है।
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक सीपीईसी परियोजना की प्रगति और इस्लामाबाद द्वारा एक बिलियन डॉलर (करीब 7,511 करोड़ रुपये) के कर्ज के अनुरोध पर भी चर्चा हो सकती है। बैठक में इस साल के अंत में चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के पाकिस्तान दौरे को भी अंतिम रूप दिया जा सकता है। चीन रवाना होने से पहले एक वीडियो संदेश में कुरैशी ने कहा, 'मैं एक महत्वपूर्ण दौरे पर जा रहा हूं। मुझे उम्मीद है कि चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ मेरी बैठक दोनों देशों के लिए लाभकारी होगी।'
इससे पहले पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को सऊदी अरब से खाली हाथ लौटना पड़ेगा। बाजवा कश्मीर मसले पर पैदा तल्खी दूर करने गए थे लेकिन उन्हें सऊदी अरब के युवराज मुहम्मद बिन सलमान ने मिलने का समय ही नहीं दिया। पांच अगस्त, 2019 को जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया गया था, तब भारत के खिलाफ पेशबंदी के लिए पाकिस्तान ने यह मसला ओआइसी में उठाया था। लेकिन वहां उसे कोई तवज्जो नहीं मिली। इससे बौखलाए पाकिस्तान ने कई बार ओआइसी की भूमिका पर सवाल उठाए।
हाल ही में विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने ओआइसी की भूमिका पर आपत्ति जताते हुए मुस्लिम देशों का अलग से सम्मेलन बुलाने की धमकी दी थी। लेकिन बाजवा की वापसी के बाद पकिस्तान के सुर बदल गए। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता जाहिद हफीज चौधरी ने कहा, पाकिस्तान और सऊदी अरब के संबंधों में बिल्कुल भी दरार नहीं आई है। दोनों देश मजबूत आर्थिक, राजनीतिक और रक्षा सहयोग कायम किए हुए हैं। सेना प्रमुख का सऊदी दौरा इस बात की ताकीद करता है।