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NSG में चीन ने फिर रोका भारत का रास्ता, कहा- सदस्यता के लिए NTP पर दस्तखत करना जरूरी

चीन का कहना है कि भारत ने NPT पर दस्तखत नहीं किए हैं इसलिए वह NSG में शामिल नहीं हो सकता है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Fri, 21 Jun 2019 05:27 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2019 09:08 PM (IST)
NSG में चीन ने फिर रोका भारत का रास्ता, कहा- सदस्यता के लिए NTP पर दस्तखत करना जरूरी
NSG में चीन ने फिर रोका भारत का रास्ता, कहा- सदस्यता के लिए NTP पर दस्तखत करना जरूरी

बीजिंग, प्रेट्र। परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत की सदस्यता पर विचार करने का बिंदु कार्यसूची में नहीं है। इसलिए एनएसजी भारत के विषय में कोई चर्चा नहीं करेगा। यह कहकर चीन ने एक बार फिर से भारत के एनएसजी में पहुंचने का रास्ता रोक दिया है। मई 2016 से चीन इस खास समूह में भारत के पहुंचने का रास्ता रोक रहा है। 48 देशों के इस खास समूह का सदस्य बनने पर भारत के लिए परमाणु सामग्री का मिलना आसान हो जाएगा।

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एनएसजी की बैठक इस समय कजाखस्तान की राजधानी अस्ताना में चल रही है। बैठक में भारत से संबंधित कोई चर्चा नहीं होंगी। चीन ने साफ कर दिया है कि भारत को लेकर आम सहमति बनाने के लिए वह कोई निश्चित समयसीमा भी नहीं बता सकता। उल्लेखनीय है कि एनएसजी में नया सदस्य शामिल करने के लिए सभी सदस्यों का सहमत होना जरूरी है।

किसी एक सदस्य देश को आपत्ति होने पर समूह का सदस्य नहीं बना जा सकता। चीन इसी प्रावधान का फायदा उठाते हुए भारत की अर्जी पर लगातार आपत्ति जता रहा है। चीन का कहना है कि समूह की सदस्यता के लिए आवेदक देश का परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर दस्तखत करना जरूरी है। भारत ने चूंकि एनपीटी पर दस्तखत नहीं किए हैं, इसलिए वह सदस्य नहीं बन सकता।

इस बाबत सवालों के जवाब देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ल्यू कांग ने कहा, अस्ताना में 20-21 जून को एनएसजी उन देशों के आवेदनों पर विचार नहीं करेगा जिन्होंने एनपीटी पर दस्तखत नहीं किए हैं। इसलिए भारत को शामिल करने पर भी विचार नहीं होगा। प्रवक्ता ने कहा, चीन भारत का रास्ता नहीं रोक रहा बल्कि एनएसजी के नियमों की बात कर रहा है। समूह की सदस्यता के लिए एनपीटी पर दस्तखत करना जरूरी है। इस मामले में किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए।

अमेरिका समेत ज्यादातर सदस्य हैं साथ
भारत का तर्क है कि फ्रांस और कुछ अन्य देश भी एनपीटी पर दस्तखत के बगैर एनएसजी के सदस्य बने थे, इसलिए उसके साफ-सुथरे ट्रैक रिकॉर्ड को देखते हुए सदस्य बनाया जाना चाहिए। अमेरिका समेत समूह के ज्यादातर देश भारत के दावे के साथ हैं लेकिन चीन विरोध कर रहा है। इतना ही नहीं भारत के दावे को कमजोर करने के लिए 2016 में पाकिस्तान ने भी एनएसजी की सदस्यता के लिए आवेदन कर दिया, उसने भी एनपीटी पर दस्तखत नहीं किए हैं।

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