वाराणसी में निकल सकता है भारत-चीन सीमा विवाद का हल, चीनी अधिकारियों ने दिए संकेत
चीन मानता है कि सीमा का मसला काफी सवेदनशील है और दोनो देशों के लिए इसकी काफी अहमियत है।
जयप्रकाश रंजन, बीजिंग। अमेरिका के साथ बेहद गंभीर ट्रेड वार में उलझा चीन अपने सबसे बड़े पड़ोसी देश भारत के साथ पुराने उलझे हुए मामलों को लेकर अब ज्यादा देरी नहीं करना चाहता है। भारत के पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपित शी शिनफिंग के बीच अक्टूबर, 2019 में होने वाली द्विपक्षीय बैठक में सीमा विवाद का जल्द समाधान निकालने पर चीन की तरफ से काफी जोर दिया जाएगा। यह मुलाकात भारत में ही और संभवत: पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में वाराणसी में होगी। इस बारे में दोनो पक्षों के बीच विमर्श जारी है।
भारत से आए पत्रकारों के एक दल से चीन के विदेश मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने विमर्श के दौरान इस बात के साफ संकेत दिए कि दोनो देशों के बीच सीमा विवाद काफी लंबा जरुर है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि उसे सुलझाया नहीं जा सके। यहां के अधिकारी यह भी मानते हैं कि सीमा का मसला काफी सवेदनशील है और दोनो देशों के लिए इसकी काफी अहमियत है। लेकिन अगर आपसी सहमति से थोड़ा बहुत एक दूसरे के पक्ष का सम्मान करने को दोनो देश राजी हो जाए तो सीमा विवाद का समाधान निकलने में देरी नहीं लगेगी।
पहले भी हुई थी विशेष व्यवस्था
बताते चले कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की वर्ष 2003 की ऐतिहासिक चीन यात्रा के दौरान सीमा विवाद सुलझाने के लिए एक विशेष व्यवस्था की गई थी। इसके तहत दोनो देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारो की अध्यक्षता में वार्ता का दौर शुरु किया गया। अभी तक इस व्यवस्था के तहत हर वर्ष दो बार वार्ता हो रही है।
पिछले दिनों भारत के विदेश मत्री एस जयशंकर की चीन यात्रा के दौरान विदेश मंत्री वांग यी ने यह सकेत दिया था कि दोनो देशों सीमा विवाद सुलझाने की तरफ से ब़ढ़ चुके हैं। उनकी इस घोषणा के बारे में कूटनीतिक जानकार मानते हैं कि चीन की तरफ से भारत को सीमा विवाद को लेकर कोई नया प्रस्ताव दिया गया है।
अक्टूबर में पीएम मोदी- शी शिनफिंग की होगी मुलाकात
माना जा रहा है कि अक्टूबर में जब दोनो देशों के प्रमुख आमने सामने होंगे तो इस प्रस्ताव पर आगे विमर्श करेंगे। चीन के कूटनीतिज्ञ का कहना है कि जब भारत अपने एक अन्य पड़ोसी देश बांग्लादेश के साथ इतना पुराना व संवेदनशील सीमा विवाद का स्थाई समाधान निकाल सकता है तो फिर चीन के साथ क्यों नहीं।
भारत और चीन के बीच तकरीबन 3500 किलोमीटर लंबी सीमा है और इसके कम से कम चार ऐसी जगहें हैं जिसको लेकर तनाव पैदा होते रहता है। इसमें से एक स्थल भारत-चीन-भूटान की सीमा के पास स्थित डोकलाम भी है जहां वर्ष 2017 में दोनो देशों की सेनाएं आमने सामने आ गई थी।
इसे भी पढ़ें: अमेरिका, चीन और रूस के बाद भारत ने अंतरिक्ष में मुकाबले को बनाया और रोचक
पिछली मुलाकात के बाद से सीमा पर है काफी शांति
चीन का पक्ष है कि जब तक तक अंतराष्ट्रीय सीमा का सही तरीके से सीमांकन नहीं हो जाता है तब तक इस तरह के विवाद नहीं होंगे, इसकी गारंटी नहीं दी जा सकती है। मोदी और शिनफिग के बीच वुहान (चीन) में अप्रैल, 2018 में मुलाकात के बाद सीमा पर अपेक्षाकृत काफी शांति है। दोनो नेताओं ने अपनी सेनाओं को निर्देश दिया था कि सीमा पर शांति बहाली रखन के लिए अतिरिक्त कदम उठाये जाए।
इसे भी पढ़ें: दक्षिण एशिया में भूटान ही एकमात्र ऐसा देश जिसके साथ चीन के नहीं है कूटनीतिक संबंध
इसे भी पढ़ें: एक-दूसरे को पश्चिम की निगाह से न देखें भारत-चीन, बढ़ रही है चीनी मीडिया की भारत में दिलचस्पी