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चीन की टैरिफ में छूट पेशकश के बावजूद बांग्लादेश के लोग नाराज, ढाका में बड़ा प्रदर्शन

चीन की टैरिफ में छूट पेशकश के बावजूद बांग्लादेश के लोग नाराज हैं। सैकड़ों लोगों ने चीन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए राजधानी ढाका में प्रदर्शन किया।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 22 Jun 2020 06:01 AM (IST)Updated: Mon, 22 Jun 2020 06:01 AM (IST)
चीन की टैरिफ में छूट पेशकश के बावजूद बांग्लादेश के लोग नाराज, ढाका में बड़ा प्रदर्शन
चीन की टैरिफ में छूट पेशकश के बावजूद बांग्लादेश के लोग नाराज, ढाका में बड़ा प्रदर्शन

नई दिल्ली, आइएएनएस। चीन ने बांग्लादेश में बने 97 फीसद उत्पादों पर टैरिफ में छूट देने की पेशकश की है। इसके बावजूद बांग्लादेश के लोग चीन से खुश नहीं हैं। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग ने बांग्लादेश से व्यापार बढ़ाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाने का प्रस्ताव दिया है। लेकिन, इसे तवज्जो नहीं देते हुए राजधानी ढाका में बड़ा प्रदर्शन हुआ। सैकड़ों लोग राजधानी में चीन के कदम का विरोध करने के लिए इकट्ठा हुए जो एक जुलाई से प्रभावी होना है।

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उइगर मुस्लिमों के साथ बर्ताव के लिए लोगों ने न सिर्फ चीन के खिलाफ नारेबाजी की बल्कि भारत के साथ एकजुटता भी दिखाई। नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर एक विश्लेषक ने कहा कि बांग्लादेश के लोगों के मन में चीन के प्रति कोई सम्मान नहीं। खास तौर से वह उइगर मुसलमानों से जिस तरह का व्यवहार करता है, उसको लेकर लोगों में नाराजगी है। इसके अलावा पाकिस्तान के साथ भी उसकी निकटता है।

विश्लेषक ने कहा, वे अपने सामाजिक ताने-बाने और लोकतंत्र की वजह से भारत के करीब महसूस करते हैं। कई लोगों ने तख्तियां ले रखी थीं, जिनमें कहा गया था कि भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय संबंध बरकरार रहना चाहिए। ह्यूमन राइट्स वॉच पहले ही बता चुकी है कि लाखों उइगर मुस्लिमों को भेदभाव का सामना करना पड़ता है और उनकी निगरानी की जाती है। उनको डीएनए और बायोमीट्रिक नमूने देने के लिए भी कहा जाता है।

लगभग 10 लाख उइगर मुसलमानों को कथित तौर पर चीन में हिरासत शिविरों में रखा गया है। इससे पहले चीन ने इस तरह के किसी भी शिविर का अस्तित्व होने से इन्कार किया था। बाद में कहा गया कि वे केवल स्कूल थे, जो व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करते थे। हालांकि, सुबूतों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि उइगर मुस्लिमों को इन शिविरों में हिरासत में रखा गया है। उन्हें मंदारिन में सबक दिया जाता है और अपना धर्म छोड़ने के लिए भी कहा जाता है।


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