कैशलेस हुए चीनी भिखारी, कटोरी में लिए घूमते हैं QR कोड
चीन में टेक्नोलॉजी के प्रभाव से भिखारी भी अछूते नहीं हैं। यहां ये कटोरी में QR कोड लिए घूमते हैं और स्कैन कर ई-वॉलेट से मांगते हैं भीख।
चीन, एजेंसी। छुट्टे नहीं हैं... भिखारियों को देख पॉकेट में छुट्टे की तलाश करने वाले हाथों को चीन के भिखारियों ने राहत देने का काम किया है। दरअसल, आधुनिक तकनीक यहां भिखारियों तक को मिल गई है। अब ये अलीबाबा ग्रुप के अलीपे या टेनसेंट के वीचैट वॉलेट से पैसे लेने के लिए कटोरी में QR कोड लेकर घूमते हैं। यानि जो भीख न देना चाहे उनका गुजारा चीन में नहीं। वहां पर्यटन स्थलों, सबवे स्टेशनों समेत देश के विभिन्न प्रांतों में नजर आ रहे भिखारियों को अब कैशलेस भुगतान की सुविधा है। दूसरे शब्दों में चीनी भिखारी हाइटेक हो गए हैं।
ट्विटर पर एक यूजर ने अपना अनुभव शेयर किया है। उन्होंने लिखा है, ‘शंघाई में हम घूम रहे थे तभी एक भिखारी हमारे पास आया। मैंने कहा, चीन में अब कैश किसी के पास नहीं। उसने कहा आप QR कोड स्कैन कर वीचैट पे के जरिए भुगतान कर सकते हैं।’
बता दें देश में अलीबाबा ग्रुप का अलीपे व टेनसेंट का वीचैट वॉलेट लोकप्रिय ई-वॉलेट है। दोनों के QR कोड बैच पर प्रिंट किए होते हैं। एक अन्य ट्विटर यूजर ने लिखा, ‘चीन में मोबाइल भुगतान, भिखारी तक को चाहिए QR कोड।’
चीन में QR कोड सामान्य तौर पर नजर आने वाली चीजों जैसी हो गई है। एक रिपोर्ट के अनुसार, छोटे बिजनेस व स्थानीय स्टार्ट अप इन भिखारियों को प्रत्येक स्कैन के लिए पैसे देते हैं। बता दें कि स्कैन के जरिए बिजनेस को ई वॉलेट एप से यूजर का डेटा मिल जाता है। मार्केटिंग के लिए ये डेटा इस्तेमाल किए जाते हैं। इसकी मदद से ही भिखारियों के पास स्मार्टफोन रखने की क्षमता आई है।
सामान्य तौर पर भिखारी को प्रत्येक स्कैन में 1.5 से 0.7 युआन ( 7 से 15 रुपये) मिल जाता है। इस तरह से एक सप्ताह में भिखारी के पास कुल 4500 युआन जमा हो जाता है।